The Gau Rakshak Clan
The Gau Rakshak Clan

गौमाता, गौरक्षक, बीफ बैन… आज़ाद भारत के 70 साल में कभी ऐसा दौर नहीं आया जो देश बीजेपी के शासनकाल में देख रहा है| रोटी, सड़क, नौकरी जैसे अनेकों मूल मुद्दों को भूल राजनीति और लोगों के मुद्दे गाय और बीफ जैसी चीज़ों तक सीमित हो गये हैं| कुछ राज्यों में बीफ के सेवन पर प्रतिबंध से लेकर कुछ और राज्यों में गाय के नाम पर सेस तक, गौमाता इतना ख़बरों में कभी नहीं रही| 70 आज़ाद सालों के बाद जिस देश में महिलाओं की सुरक्षा अब भी एक प्रमुख मुद्दा हो वहाँ गौ-हत्या पर उम्रकैद वाला एक कानून एक राज्य में लागू किया गया है|

प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं| राम मंदिर के बाद हिंदुत्व को अपना नया राम गौमाता में मिल गया है| केंद्र में बीजेपी सरकार के होने से गौरक्षकों के हौसले बुलंद है| गौरक्षकों की गुंडागर्दी अपने चरम पर पहुँच गयी है| यह बात भी हैरान नहीं करती कि ये गुंडे अपनी गतिविधियों को खुलेआम अंजाम देते हैं| गर्व से कहते घूमते हैं कि ये गौ रक्षा दल के सदस्य हैं| यहाँ तक कि इनके ID कार्ड और हज़ारों लाइक्स के साथ फेसबुक पर पेज बने हुए हैं| इन पेजों पर ये गौरक्षक अपनी छापामारी की वीडियो डाल कर अपना प्रचार करते हैं| आप यह जानकर भी हैरान मत होइए कि इनके पास बिज़नस कार्ड्स हैं जिसमें आपको इनके नंबर्स मिल जायेंगे| इन नंबर्स पर एक कॉल कर के आप किसी भी गाय को बचा सकते हैं| इन सब से ऊपर यह है कि इन गौगुन्डों को लोकल नेताओं का आशीर्वाद प्राप्त है|

Satish Kumar and other goons of Gau Raksha Dal Punjab.file photo

गौ रक्षा के नाम पर जबरन वसूली की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं| पंजाब के पटियाला जिले के राजपुरा कस्बे में पशु व्यापारी गौ रक्षा दल के अध्यक्ष सतीश कुमार के खिलाफ हो गये थे| उनका आरोप था कि गौ रक्षा के नाम पर गौ रक्षा दल जबरन वसूली करता है| रमेश कुमार नारंग नाम के एक व्यापारी ने यहाँ तक कहा कि सतीश कुमार और उनके गुंडों ने उनके साथ जैसा व्यवहार किया, वह आतंकित करने वाला था|

कानून की दज्जियाँ उड़ाते ये गौरक्षक, किसी कट्टर समूह की तरह खुलेआम सड़कों पर मारपीट, जबरन वसूली, जैसी गैर-कानूनी हरकतें करते हैं| इनकी मारपीट से कभी कभी तो पशु व्यापारियों की मौत तक हो जाती है|

हाल ही में इन रक्षकों द्वारा अलवर में एक पशु व्यापारी पर हुए जानलेवा हमले के बाद बीजेपी के कई समर्थक इनके खिलाफ हो गये हैं और इन पर कारवाई की बात कर रहे हैं| कई लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर नरेन्द्र मोदी इस सब पर चुप्पी क्यूँ साधे हुए हैं| इन समर्थकों को यह एह्सास नहीं है कि जब मोदी जी के लिए यह मुद्दा लाभदायक हो तो वह इसके खिलाफ आखिर क्यूँ बोलेंगे|

ध्रुवीकरण की राजनीति

गौ रक्षा के नाम पर ध्रुवीकरण पिछले कुछ सालों से बीजेपी की राजनीति का केंद्र बन गया है|

2014 के लोकसभा चुनावों से पहले की चुनावी सभाओं में गौ रक्षा के नाम पर लोगों को उत्साहित करना नरेन्द्र मोदी की रणनीति का एक अहम हिस्सा था| पिंक क्रांति पर अपने भाषणों से नरेन्द्र मोदी ने बीफ के खिलाफ एक माहौल बनाना शुरू कर दिया था|

बिहार के विधानसभा चुनावों से पहले भी फिर से एक बार बीजेपी ने गौमाता-कार्ड खेलने की कोशिश करते हुए नीतीश कुमार और उनके बाकी सहयोगियों के खिलाफ एक विज्ञापन निकाला था| इस विज्ञापन के बाद इलेक्शन कमीशन ने संघान लेते हुए चुनाव के आखिर फेस से पहले विज्ञापनों पर प्रतिबन्ध तक लगा दिया था|

Election commission bans controversial BJP ads in Bihar. 2015

बड़े नेताओं का सरंक्षण

गौ रक्षा के नाम पर ऐसे दल कोई नई बात नहीं है पर जिस निडरता और बेशर्मी से ये दल मारपीट करते और त्वरित न्याय देते फिर रहे हैं, वह जरूर चौकाने वाला है|

नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब सरकारी सहायता से ऐसे कई दलों को सरंक्षण मिला था| हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, “ 2011 से 2014 के बीच नरेन्द्र मोदी की गुजरात सरकार ने 75 लाख रूपये ऐसे 1,394 गौरक्षक दलों को गैर-कानूनी पशु तस्करी को रोकने और उनके खिलाफ पुलिस में FIR दर्ज कराने के लिए पुरस्कृत करने में खर्चे थे| यह आंकड़ा गुजरात सरकार की गौसेवा और गौचर विकास बोर्ड की websites पर उपलब्ध है|”

ऐसे 200 गौरक्षक दल अकेले गुजरात में काम करते हैं और इनमें से बहुत दलों को नेताओं का सरंक्षण प्राप्त है| राष्ट्रीय गोरक्षा सेना नाम का एक ऐसा ही संगठन पशु तस्करी रोकने के लिए काम करता है और इस संगठन के 14 राज्यों में 2700 सदस्य हैं|

शर्मशार करने की राजनीति-

ये गौरक्षक सरकारी आशीर्वाद से कैसे काम करते हैं, इसको समझने के लिए हमें इन घटनाओं को देखने की जरूरत है|

दादरी

मोहम्मद अखलाक की हत्या के आरोपी के वहाँ के लोकल बीजेपी नेताओं से घनिष्ठ सम्बन्ध थे| विशाल नाम का एक आरोपी एक लोकल बीजेपी नेता का बेटा है और उस नेता की केंद्र सरकार में मंत्री महेश शर्मा से नजदीकियां हैं| चार्जशीट में नामजद 11 में से 8 आरोपी बीजेपी नेता संजय राना के रिश्तेदार हैं|

बीजेपी एमएलए संगीत सोम ने उत्तर प्रदेश सरकार पर निर्दोष हिन्दुओं को झूठे आरोपों में फसा कर मुस्लिमों की तरफदारी करने का आरोप लगाया था| संगीत सोम हत्या के आरोप में गिरफ्तार लोगों के परिजनों से मिलने तक गये थे| जब एक आरोपी रवि सिसोदिया की पुलिस हिरासत में किडनी फेल होने से मौत हुई थी तो उसके परिजनों ने उसका शव तिरंगे में लपेटा था| केंद्र सरकार में मंत्री महेश शर्मा रवि की मौत के बाद उसके परिजनों से मिले थे| तब यह साफ़ हो गया था कि बीजेपी इस मामले में किस तरफ है| बीजेपी के कई समर्थक अभी भी अख़लाक़ के परिवार को सपा सरकार द्वारा दी गयी मुआवज़े की राशि को गलत ठहराते हैं|

झारखण्ड

झारखण्ड के एक मामले में जब 2 मुस्लिम पशु पालकों को लटका कर मार दिया गया था, तब उस मामले के मुख्य आरोपी मिथिलेश प्रसाद साहू के गौ क्रांति मंच नाम के एक संगठन से सम्बन्ध सामने आए थे| इस संगठन की नजदीकियां एक लोकल बीजेपी नेता से है|

गुडगाँव

गुडगाँव से भी एक ऐसा ही चौकाने वाला मामला सामने आया था जब गुडगाँव गौरक्षा दल नाम के एक संगठन ने 2 मुस्लिम पशु व्यापारियों को गोबर खाने को मजबूर किया था| इस घटना की विडियो बनाई गयी थी और बाद में वह विडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी| गौ रक्षा दल के घर्मेंद्र यादव ने बड़े गर्व से यह खुलासा किया था कि ये पूरी घटना को उनके आदमियों ने अंजाम दिया था| धर्मेन्द्र यादव की बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर से नजदीकियां हैं| अगर आप उनके फेसबुक पेज पर जायेंगे तो देखेंगे कि बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ उनकी तस्वीरों से पूरा पेज भरा हुआ है|

dharmendra yadav gau rakshak

प्रतापगढ़, राजस्थान

गौ रक्षा समिति और बजरंग दल के कुछ सदस्यों के नेतृत्व में राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में 150 लोगों की एक भीड़ ने पिछले साल तीन पशु व्यापारियों पर हमला बोल दिया था| इस भीड़ ने इसके बाद इन तीन में से एक व्यापारी को सरेआम नंगा कर के शर्मशार किया था| इस घटना में केस दर्ज होने से पहले ही पुलिस ने सातों पीड़ितों को हिरासत में ले लिया था| खानापूर्ति के लिए एक आरोपी को भी हिरासत में लिया गया था|

इस मामले में जब पुलिस द्वारा और लोगों को हिरासत में लिया गया तो गौ रक्षा दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष साध्वी कमल दीदी के नेतृत्व में उन लोगों की रिहाई की मांग लेकर लगभग 400 लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया था| डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने इनकी मांगों के आगे झुक उस एसएचओ का तबादला कर दिया था जिसने उन 5 आरोपियों को हिरासत में लिया था| यह वही कमल देवी हैं जिन्होंने हाल ही में जयपुर के एक होटल में कथित रूप से बीफ परोसे जाने पर हंगामा कर के उस होटल को बंद करवा दिया था|

इस मामले का एक आरोपी खुद को बीजेपी का सदस्य बता रहा था और फेसबुक पर लिख रहा था कि उसने जो किया उसपर उसे गर्व है|

ऊना

पिछले साल गुजरात के ऊना कस्बे में हुई एक घटना में कुछ गौरक्षकों ने मृत गाय की खाल निकालने पर दलितों को कार से बाँध कर बेरहमी से पीटा था| इस घटना की विडियो वायरल होने पर चौतरफा आलोचना के बाद गुजरात में बीजेपी सरकार को दलितों का विरोध झेलना पड़ा था| शिवसेना के जिला अध्यक्ष और लोकल गौरक्षा दल का नेतृत्व करने वाले प्रमोद्गिरी गोस्वामी का नाम इस घटना के मुख्य षड्यंतकारी के रूप में सामने आया था|

तेलंगाना से बीजेपी के एमएलए राजा सिंह ने फेसबुक पर एक विडियो डाल कर इस घटना में आरोपी गौरक्षकों का बचाव किया था| उन्होंने कहा, “मैं गौ हत्या कर उसके मॉस को खाने वाले दलितों की मारपीट का समर्थन करता हूँ| इसका यह मतलब भी है कि मैं उनको पीटने वालों का भी समर्थन करता हूँ|“

BJP MLA Raja Singh supporting the beating of Dalits in Una

BJP MLA Raja Singh supports the brutal thrashing of Dalits in Una in Gujarat while they were skinning a dead cow. He calls the victims of Una "galeez" (filthy) and appreciates the Gau Rakshaks for beating them up. He also states indirectly that the violent methods adopted by Gau Rakshaks should continue. Now do we call him fringe? He's a MLA! A person who is supposed to make laws is blatantly egging on people to use violent methods.

Posted by Pratik Sinha on Sunday, July 31, 2016

ऊना में हुई घटना और उसके बाद के दलितों के विरोध प्रदर्शन के बाद ही नरेन्द्र मोदी ने गौरक्षकों की गुडागर्दी पर अपनी जुबान खोली थी| उन्होंने इस पूरी घटना से खुद को और खुद की पार्टी को अलग रखने की कोशिश करते हुए कहा, “कुछ लोग गौरक्षा के नाम पर एक धंधा चला रहे हैं| मैंने कुछ लोगों को देखा है जो रात में असामाजिक गतिविधियों में लिप्त होते हैं और वही लोग दिन में गौभक्तों का चोला पहन कर घूमते हैं|” नरेन्द्र मोदी ने सीधे शब्दों में गौरक्षा के नाम पर गुडागर्दी करने वालों को कड़ा सन्देश देते हुए कहा, “ये लोग गौरक्षकों का चोला अपने बुरे कर्मों के लिए सजा से बचने के लिए पहनते हैं|” पर जब अपनी पार्टी के सदस्यों के खिलाफ नरेन्द्र मोदी कुछ भी कारवाई नहीं कर पाए तो यह शब्द महज शब्द बन कर ही रह गये|

विश्व हिन्दू परिषद् की गुजरात इकाई ने नरेन्द्र मोदी के शब्दों को गौरक्षकों का अपमान बताया थाl कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने नरेन्द्र मोदी को चेतावनी दी थी कि इसके दुष्परिणाम उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में भुगतने पड़ेंगे| यह कोई हैरानी वाली बात नहीं है कि नरेन्द्र मोदी की स्टेटमेंट को भुला दिया गया और गौरक्षक अपनी गुंडागर्दी को बेख़ौफ़ अंजाम देते रहे|

अलवर

एक बार फिर, हाल ही में अलवर में गौरक्षकों के हाथों हुई पहलु खान की हत्या के बाद बीजेपी के अधिकाँश नेता इस घटना में गौरक्षकों को सीधे-सीधे जिम्मेदार ठहराने से बच रहे थे| हमले की विडियो वायरल होने के बाद भी बीजेपी के संसदीय कार्यों के राज्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने पूरी घटना को नकार दिया| घटना को बिल्कुल अलग मोड़ देते हुए उन्होंने संसद में कहा, “इस सदन को यह सन्देश नहीं देना चाहिए कि यह गौहत्या का समर्थन करता है|”

गौरक्षकों ने इस घटना में कानून की दज्जियाँ उड़ाते हुए उन लोगों पर हमला किया जो वैध कागजों के साथ दूध की डेरी के लिए गाय को खरीद कर एक जगह से दूसरी जगह ले जा रहे थे| इसके बाद भी राजस्थान के गृह राज्य मंत्री जीसी कटारिया ने कहा कि इस मामले में दोनों पक्षों की गलती है|

बीजेपी के सत्ता में आने के बाद गौ रक्षक दल खुलेआम गुंडागर्दी करते हैं| कुछ गौरक्षक दल जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हो गये हैं| इन दलों में अधिकतर वालंटियर्स हैं और इनका पूरा नेटवर्क Whatsapp ग्रुप्स से चलता हैं जहां सूचना का आदान-प्रदान होता है| इन गौ रक्षक दलों की एकता इसी से बनी हुई कि ये सारे संघ परिवार की तरह ही हिन्दू संस्कृति को बचाने निकले हैं| Whatsapp पर रोज़ अनेकों सन्देश इन्हें याद दिलाते हैं कि हिन्दू खतरे में हैं और इनकी अपनी संस्कृति बचाने के लिए सेवा कितनी अहम है| इनमें से अधिकतर लोग बीजेपी के सदस्य हैं और कई लोगों की पहुँच तो बीजेपी के लोकल और राज्य स्तर के नेताओं तक है|

इन गौ रक्षक दलों के सदस्य सोशल मीडिया पर बेख़ौफ़ होकर गर्व से अपनी गुंडागर्दी की फोटो और विडियो पोस्ट करते हैं| इन्हें किसी बात का डर नहीं है| पकड़े जाने का तो बिल्कुल नहीं| कुछ-कुछ समय में बीजेपी के नेता इनके समर्थन में बयान देते रहते हैं| इनके हमलों के बाद, अगर जिंदा बचे तो हिरासत में भी सबसे पहले पीड़ितों को ही लिया जाता है|

अनुवाद, Amit Sheokand के सौजन्य से।
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