24 जनवरी, 2025 को न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDSA) ने आजतक से 19 अप्रैल, 2023 को प्रसारित अपने प्राइम-टाइम शो ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ के पूरे एपिसोड को हटाने के लिए कहा. इस शो की एंकरिंग चैनल के सलाहकार संपादक सुधीर चौधरी ने की थी. NBDSA के अनुसार, इस शो में पाया गया कि इसने तटस्थता, निष्पक्षता बनाए रखने और हेट स्पीच की रोकथाम पर गाइडलाइन्स का पालन न करके LGBTQIA+ समुदाय की गरिमा का उल्लंघन किया है.
ये निर्देश कार्यकर्ता इंद्रजीत घोरपड़े और उत्कर्ष मिश्रा द्वारा दायर की गई शिकायतों की एक सीरीज के बाद आया. इसमें सुधीर चौधरी द्वारा आयोजित दो इंटरव्यूज़ से स्पेसिफ़िक सेक्शन को हटाने के निर्देश भी शामिल थे, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उनके कैबिनेट सहयोगी किरेन रिजिजू शामिल थे. इंटरव्यूज़ के दौरान उन्होंने विवाह समानता पर सुप्रीम कोर्ट के विचार पर चर्चा की थी.
हालांकि, इस आर्टिकल के लिखे जाने तक, चैनलों ने उन तीन शो में से किसी को भी हटाया या एडिट नहीं किया है, जिन्हें NBDSA ने समस्याग्रस्त पाया था.
पहला शो:
19 अप्रैल, 2023 को प्रसारित ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ के इस एपिसोड का हिंदी टाइटल था, “Black And White: सबसे बड़ी अदालत में समलैंगिकता पर नई बहस | Same-Sex Marriage | Supreme Court.” ये एपिसोड भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश D Y चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं की सुनवाई के संदर्भ में प्रसारित किया गया था.
इस वीडियो के संबंध में कार्यकर्ता घोरपड़े ने NBDSA को अपनी 24 अप्रैल, 2023 की शिकायत में आरोप लगाया कि ब्रॉडकास्टर ने तटस्थता, निष्पक्षता, विषय- निष्ठता, सटीकता, गोपनीयता और हेट स्पीच, संभावित अपमानजनक कंटेंट की रोकथाम पर दिशानिर्देश और अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग सहित आचार संहिता और प्रसारण मानकों का उल्लंघन किया है. दो दिन बाद, 26 अप्रैल को, उत्कर्ष मिश्रा ने एक ऐसी ही शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया कि प्रसारण ने मौलिक सिद्धांत संख्या 4, साथ ही स्व-नियमन के सिद्धांत 1 और 2 का उल्लंघन किया, जो रिपोर्टिंग में निष्पक्षता, विषय- निष्ठता और तटस्थता को अनिवार्य करता है.
चैनल की शुरूआती प्रतिक्रिया ये थी कि ये शिकायतें ‘बिना किसी आधार के हैं और इसलिए खारिज करने योग्य हैं.’ चैनल ने कहा कि कार्यक्रम में समलैंगिक विवाह के परिणामों पर चर्चा की गई थी.
शो में क्या हुआ?
एंकर सुधीर चौधरी ने एपिसोड की शुरुआत करते हुए कहा, “आज भी हम (भारत) एक थर्ड वर्ल्ड तीसरी दुनिया के देश माने जाते हैं क्योंकि हमारी जो समस्याएं हैं वो तीसरी दुनियां के देशों की समस्याएं हैं, जैसे बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य सेवाएं हमें पहले चाहिए, भूख, खाना भोजन ये सब हमारी समस्याएं हैं, रोजगार ये हमारी समस्याएं हैं, जो कि विकसित देशों की जिन्हें हम कहते हैं फ़र्स्ट वर्ल्ड कंट्रीज उनकी ये समस्याएं नहीं हैं. उनकी समस्याएं दूसरी हैं. हमारे देश में समस्या है भूख, फ़र्स्ट वर्ल्ड कंट्रीज की समस्याएं हैं डिप्रेशन, उनकी समस्याएं हैं समलैंगिग विवाह, लेकिन हमने उस समस्या को आज पहले ही ले लिया और जनसंख्या जैसी जो दूसरी समस्याएं हैं उनपर कभी विचार ही नहीं किया इसलिए आज कल सुप्रीम कोर्ट में ‘सेम सेक्स मैरिज’ पर एक बहस चल रही है सुनवाई चल रही है जो बहुत ही दिलचस्प है.”
इसे समलैंगिक जोड़ों के खिलाफ डॉग-व्हिस्लिंग जैसा एक्ट माना जा सकता है, उन्होंने दर्शकों से ये कल्पना करने के लिए कहा कि उनका बेटा किसी पुरुष से शादी कर रहा है या उनकी बेटी एक महिला से शादी कर रही है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी स्थिति से कितना झटका लग सकता है. शो में 1 मिनट पर, सुधीर चौधरी ने समलैंगिक विवाह को एक “बड़ा झटका” बताया और सवाल किया कि हिंदू, मुस्लिम और ईसाई विवाहों में पारंपरिक विवाह अनुष्ठान ऐसे संघों पर कैसे लागू होंगे.
2 मिनट 12 सेकेंड पर, बुलेटिन में होमोफ़ोबिया और रूढ़िवादिता की हवा अभूतपूर्व रूप से हाई (या लो) हो गई जब स्क्रीन पर एक व्यक्ति की तस्वीर प्रदर्शित हुई जिसने आधे कपड़े एक पुरुष के रूप में और आधे ने एक महिला के रूप में पहने थे (नीचे तस्वीर देखी जा सकती है). सुधीर चौधरी ने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए चुटकी ली, ‘इस तस्वीर में आप अपने दामाद और बहू दोनों को देख पाएंगे.’
सुधीर चौधरी ने ये भी कहा कि समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिए जाने के बाद भी, बड़े शहरों के कुछ विशेषाधिकार प्राप्त उच्च वर्ग के व्यक्ति पूछना शुरू कर देंगे कि समलैंगिक विवाह की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए. गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के खिलाफ फैसला सुनाया था और इस मुद्दे पर फैसला संसद पर छोड़ दिया था.
शिकायतकर्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऊपर बताई गई ऐसी कल्पना का इस्तेमाल न सिर्फ असंवेदनशील था, बल्कि “LGBTQIA+ समुदाय के खिलाफ ग़लत धारणाओं और कलंक को बढ़ावा देता है.”
सुनवाई के दौरान, ब्रॉडकास्टर ने तस्वीर के इस्तेमाल का बचाव करते हुए कहा, “कोई भी इसे पेश करने के तरीके से असहमत हो सकता है, जिसे कुछ लोग असंवेदनशील मान सकते हैं; हालांकि, ये आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करता है. तस्वीर को असंवेदनशील नहीं माना जा सकता, क्योंकि ये महज़ दोनों पक्षों के लोगों के विचारों को पेश करने का एक तरीका है और इसे रुचिकर और शालीनता का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है.
शिकायत में ये भी कहा गया था कि चैनल ने पूरे एपिसोड में LGBTQIA+ व्यक्तियों और जोड़ों के वीडियो उनकी सहमति के बिना चलाए. इसके अलावा, शिकायतकर्ता के मुताबिक, “कल्पना करें कि आपका बेटा किसी पुरुष से या आपकी बेटी किसी महिला से शादी कर रही है” जैसे बयानों का मकसद दर्शकों के बीच डर पैदा करना था. शिकायत में कहा गया है कि इसके अलावा, एंकर ने “झूठा और दुर्भावनापूर्ण विचार” दोहराया कि ये एक “शहरी अभिजात वर्ग” का मुद्दा था.
ये ध्यान रखना ज़रुरी है कि आज भी भारतीय समाज में कई लोग LGBTQIA+ समुदाय को कलंकित करना जारी रखते हैं, जिससे गैर-विषमलैंगिक व्यक्तियों के लिए अपने यौन रुझान को खुलकर जाहिर करना मुश्किल हो जाता है. ये चुनौती ग्रामीण क्षेत्रों में और भी ज़्यादा है, जहां रूढ़िवादी और रुढ़िवादी मान्यताएं शहरी क्षेत्रों की तुलना में ज़्यादा गहराई तक मौजूद हैं. कई व्यक्ति जो अपनी कामुकता के साथ सामने आए हैं, उन्हें धारा 377 हटाए जाने के बाद भी “उन्हें ठीक करने” के लिए कन्वर्शन थेरेपी जैसे दुर्भावनापूर्ण और दर्दनाक अनुभवों से गुजरना पड़ा है. दूसरी ओर, शहरी भारत से आने वाले व्यक्तियों को सहायता समूहों जैसे संसाधनों तक बेहतर पहुंच और अपेक्षाकृत बेहतर वित्तीय स्थिति का विशेष अधिकार मिलता है, जो उनके लिए ऐसे मामलों पर सामने आना और बोलना कुछ हद तक संभव बना देता है.
NBDSA ने अपने फैसले में कहा कि समलैंगिक विवाह पर आजतक के प्रसारण ने तटस्थता, निष्पक्षता बनाए रखने और हेट स्पीच की रोकथाम पर दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल होकर LGBTQIA+ समुदाय की गरिमा का उल्लंघन किया है. इसमें कहा गया कि एंकर की टिप्पणियां अनुचित थीं और इसमें LGBTQIA+ व्यक्तियों के दृष्टिकोण शामिल नहीं थे. इसके अलावा, NBDSA ने आजतक को आदेश की तारीख से सात दिनों के भीतर सभी प्लेटफ़ॉर्म्स से वीडियो हटाने का निर्देश दिया.
दूसरा शो:
अपनी दूसरी शिकायत में कार्यकर्ताओं ने सुधीर चौधरी द्वारा केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के साथ किए गए एक इंटरव्यू के एक हिस्से को चिह्नित किया. शिकायत के मुताबिक, एंकर ने LGBTQIA+ विवाह समानता मामले में CJI के बयानों को ग़लत ठहराया और सुप्रीम कोर्ट के रुख को ग़लत तरीके से पेश किया. सुधीर चौधरी ने ये भी ग़लत दावा किया कि सॉलिसिटर जनरल की दलीलों की अनदेखी की जा रही है और उन्होंने अपमानजनक टिप्पणी की जिसका मतलब है कि CJI एक तानाशाह की तरह काम कर रहे हैं.
शिकायत में कहा गया है कि प्रसारण ने निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता से संबंधित आचार संहिता और प्रसारण मानकों के साथ-साथ अपमानजनक कंटेंट और अदालत की रिपोर्टिंग पर दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है. इसके अलावा, इसने न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 का उल्लंघन किया.
इस इंटरव्यू के 30 मिनट 21 सेकेंड पर, सुधीर चौधरी ने कहा, “चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ने कहा कि ये तो सरकार ने जब कहा कि ये तो अलीटेस्ट विचारधारा है और उन्होंने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है, और ‘यहां वही होगा जो मैं चाहूंगा’.” शिकायत में कहा गया है कि CJI ने कभी ऐसी टिप्पणी नहीं की. चैनल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि होस्ट ने सिर्फ ये बताया कि मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि सरकार ये तय नहीं कर सकती कि अदालत में क्या सुना जाएगा और टिप्पणी की कि मुख्य न्यायाधीश स्वयं इसका निर्धारण करेंगे.
33 मिनट 3 सेकेंड पर, एंकर ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे सॉलिसिटर जनरल की सुप्रीम कोर्ट में चल नहीं रही हैं, और सुप्रीम कोर्ट ऐसा लग रहा है कि मन बना चुका है कि वो चाहता है ऐसा हो. इसके अलावा, वीडियो के 34 मिनट 53 सेकेंड पर, रिजिजू बताते हैं कि कैसे, लोकतंत्र में राज्य के नागरिक निर्णय लेते हैं, क्योंकि संप्रभुता उनके साथ निहित है. सुधीर चौधरी फिर कहते हैं, “आपने पहले बयान दिया था तो भी मैं थोड़ी दूसरी भाषा में कहूं जो हमारे आम दर्शकों को समझ में आता है, आपने तब भी यही कहने की कोशिश की थी कि ये देश किसी के बाप का नहीं है देश के लोगों का है और कुछ लोग इसको चलाने की कोशिश कर रहे हैं.”
NBDSA ने चैनल को इंटरव्यू वीडियो से इन हिस्सों को हटाने का निर्देश दिया और एंकर से भविष्य में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते वक्त ज़्यादा परिपक्वता दिखाने के लिए कहा.
तीसरा शो:
इन्द्रजीत घोरपड़े की तीसरी शिकायत में इंडिया टुडे के कर्नाटक राउंडटेबल 2023 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ सुधीर चौधरी द्वारा आयोजित एक अन्य इंटरव्यू के कुछ हिस्सों को उजागर किया गया.
इंटरव्यू में 39 मिनट 43 सेकेंड पर सुधीर चौधरी ने अमित शाह से सवाल करते हुए कहा था, ‘ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का जो बेंच है वो काफी नए-नए लॉजिक लेकर आ रहा है कि क्यों ये हमारे देश में होना चाहिए, इस पर आपकी क्या राय है, देश के गृह मंत्री होने के नाते?” शिकायत में कहा गया है कि एंकर का बयान ग़लत था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की थी या ये घोषणा नहीं की थी कि समलैंगिक विवाह को वैध बनाया जाना चाहिए. जवाब में चैनल ने तर्क दिया कि सवाल में दिए गए बयान को संदर्भ में समझने की ज़रूरत है और शिकायत में निष्पक्षता का अभाव है, क्योंकि ये सीधे मेजबान और उसकी इंटरव्यू के स्टाइल को टारगेट करता है, जो स्वाभाविक रूप से व्यक्तिपरक है.
NBDSA ने एंकर को भविष्य के प्रसारण में परिपक्वता बनाए रखने का आदेश दिया. इसके अलावा, इंडिया टुडे को आदेश के सात दिनों के भीतर प्रसारण के समस्याग्रस्त हिस्सों को एडिट करने और हटाने का निर्देश भी दिया गया.
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