शुक्रवार, 17 अप्रैल को हिंदी मीडिया चैनल न्यूज़ 24 ने फ़ेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया जिसका टाइटल था, “कोरोना ने बदला इबादत की तरीका,दिल्ली के जामा मस्जिद का माहौल क्या है?”

वीडियो की शुरुआत में एंकर ने बताना शुरू किया कि कोरोना वायरस ने दुनिया भर के इस्लामिक देशों को इतना डरा दिया है कि वे नमाज़ अदा करने के दूसरे तरीके खोज रहे हैं. “लोगों को घर पर ही नमाज़ अदा करने की सलाह दी जा रही है. लेकिन हम आज दिल्ली की जामा मस्जिद में हैं और यहां जुमे की नमाज़ आम दिनों की तरह अदा की जा रही है.”

चैनल ने दर्शकों को यह संदेश देने की कोशिश की कि कोरोना वायरस के खतरे के बीच लगाए गए लॉक डाउन के बावजूद लोग नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिद में इकट्ठा हुए हैं.

यह बताए जाने पर कि ब्रॉडकास्ट एक महीने पुराना है, न्यूज़ 24 ने वीडियो हटा लिया. यह पहली बार 13 मार्च को चैनल पर चलाया गया था. इसके जवाब में चैनल ने दावा किया कि पुराना वीडियो ‘गलती से’ शेयर किया गया था और यह पूरी तरह अनजाने में हुआ था.

हालांकि कई लोगों ने यह वीडियो डाउनलोड किया और सोशल मीडिया पर इसे नया वीडियो मानकर ही शेयर किया.

चैनल ने दावा किया कि यह गलती से हुआ. लेकिन क्या ऐसा सच में हुआ था?

“मुझे एक बार मूर्ख बनाओ, तुम पर लानत है. मुझे दो बार मूर्ख बनाओ, मुझ पर लानत है, मुझे तीसरी बार मूर्ख बनाओ…”

न्यूज़ 24 ने झूठ नहीं कहा कि इस ब्रॉडकास्ट को पहली बार 13 मार्च को चलाया गया था. हालांकि इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि 17 अप्रैल को वीडियो शेयर करना लापरवाही या गलती थी जबकि चैनल पर ब्रॉडकास्ट किए जाने के बाद से इसे तीन बार शेयर किया जा चुका था.

चैनल ने वही वीडियो 19 मार्च और 1 अप्रैल को भी शेयर किया था. न्यूज़ 24 ने जान बूझकर अपने दर्शकों को भृमित किया कि कोरोना वायरस से बेपरवाह लोग भारी संख्या में दिल्ली के जामा मस्जिद में इकट्ठा हुए, अपने साथ दूसरों को भी खतरे में डाला.

नीचे वह वीडियो है जिस पर सवाल उठाया जा रहा है.

जब इसे शुरू में शेयर किया गया, यानी 13 मार्च तक कोरोना वायरस को मुख्य धारा के मीडिया ने प्रमुखता से कवर नहीं किया था. यहां तक कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की थी कि यह स्वास्थ्य इमरजेंसी नहीं है. हालांकि जब 19 मार्च को चैनल ने वीडियो दोबारा शेयर किया तब तक दिल्ली सरकार ने सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक आयोजनों में 50 से ज़्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक लगा दी थी.

1 अप्रैल को इसे तीसरी बार शेयर किया गया, तब तक केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए पूरे देश में लॉक डाउन की घोषणा कर दी थी. 17 अप्रैल को चैनल ने इसे फिर से शेयर किया (और बाद में हटा लिया), तब तक कोरोना वायरस का मामला मुस्लिम विरोधी एंगल ले चुका था क्योंकि दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज़ को हॉटस्पॉट घोषित किया जा चुका था. न्यूज़ 24 का यह ब्रॉडकास्ट 60 लाख से ज़्यादा लोगों तक पहुंचा है.

न्यूज़ 24 ने 17 अप्रैल की घटना का स्पष्टीकरण देते हुए उसे ‘एक गलती’ कहा है. लेकिन यह जानना दिलचस्प होगा कि उससे पहले दो बार वही ब्रॉडकास्ट शेयर करने को चैनल कैसे तर्कसंगत बताता है.

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.