ज़ी न्यूज़ के प्राइम टाइम शो DNA के एक एपिसोड की क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल है. वायरल पोस्ट के अनुसार, ‘कोलकाता के एक छोटे से गांव से हज़ारों हिंदू गायब हैं और 45 हिंदू मार दिए गए’. साथ ही पोस्ट में हमले के लिए रोहिंग्या मुसलमानों को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है.

ये वीडियो ट्विटर और फ़ेसबुक दोनों पर काफ़ी वायरल हो रहा है. ऑल्ट न्यूज़ को भी अपने व्हाट्सएप नंबर (+91 76000 11160) पर दावे का सच जानने के लिए कई रिक्वेस्ट मिलीं.

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वायरल वीडियो पर एक और हिंदी कैप्शन लिखा गया है. कैप्शन है- “कहीं पानी मिले तो डूब जाइए. यह उन हिंदुओं के लिए एक तमाचा है जो भाईचारे का नारा लगाते रहते हैं.”

म्यांमार के रखाइन प्रांत का पुराना वीडियो

क्लिप के पहले 20 सेकंड में सुधीर चौधरी कहते हैं कि उनके संवाददाता ने म्यांमार के रखाइन के एक गांव का दौरा किया, जिससे ये स्पष्ट होता है कि रिपोर्ट म्यांमार में नरसंहार पर है न कि कोलकाता के किसी छोटे से गांव के बारे में.

हमने कीवर्ड सर्च किया और हमें सितंबर 2017 में यूट्यूब पर अपलोड किए गए DNA शो का पूरा एपिसोड मिला.

रॉयटर्स के अनुसार, रखाइन के उत्तर में सामूहिक कब्रों में 45 हिंदू ग्रामीणों के शव मिले थे. सामूहिक कब्रों को तब खोजा गया जब नरसंहार के बारे में जानकारी मिली. ये जानकारी उन हिंदुओं से मिली जो हिंसा से बच गए थे और बांग्लादेश में शरण मांगी थी.

सरकार के मुताबिक, अगस्त 2017 में हिंसा भड़की थी जब रोहिंग्या मुस्लिम विद्रोहियों ने 30 पुलिस चौकियों और एक सैन्य शिविर पर हमला कर 12 लोगों को मार दिया था. इसके बाद अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) के लगभग 100 बाग़ी ‘ये बाव क्या’ नामक हिंदू गांव पहुंचे जहां लोगों को उनके खेतों से भगाया गया और उन्हें मार डाला गया.

बांग्लादेश में रॉयटर्स के पत्रकारों ने गांव की हिंदू महिलाओं का इंटरव्यू लिया. महिलाओं ने कहा कि उनके पुरुष प्रियजनों को रखाइन बौद्धों द्वारा मार दिया गया था. हालांकि, उन्हीं महिलाओं में से तीन ने बाद में रॉयटर्स को बताया कि जो मुसलमान उन्हें बांग्लादेश लाए थे, उन्होंने ही उन्हें ये कहने के लिए कहा था कि ये हत्याएं बौद्धों ने की थीं.

रॉयटर्स के अनुसार, कुछ गांव वालों का कहना है कि रोहिंग्या विद्रोहियों को ये शक हुआ था कि हिन्दू सरकार के साथ हैं और सरकारी जासूसों के रूप में काम कर रहे हैं.

2018 में, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अधिक जानकारी के साथ एक रिपोर्ट पब्लिश की थी. इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि नए सबूतों से पता चलता है कि हत्याएं अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) सेनानियों ने की थीं.

2012 में रखाइन प्रांत में बौद्धों और रोहिंग्या मुसलमानों के बीच हिंसा के बाद ASRA का गठन हुआ था. एमनेस्टी के पूर्व क्राइसिस रिस्पॉन्स डायरेक्टर तिराना हसन ने कहा, “ASRA के भयावह हमलों के बाद म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या आबादी के खिलाफ अभियान चलाया. दोनों की निंदा की जानी चाहिए – अगर किसी एक पक्ष ने मानवाधिकारों का उल्लंघन या बुरा व्यवहार किया है तो दूसरे पक्ष का भी वही रवैया हो, ये कहीं से भी उचित नहीं माना जा सकता है.”

इस तरह, ज़ी न्यूज़ की एक रिपोर्ट जो 2017 में म्यांमार के रखाइन राज्य में रोहिंग्या समूह द्वारा हिंदू ग्रामीणों की हत्या के बारे में थी, उसे कोलकाता के एक गांव में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा के रूप में शेयर किया गया.

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