सोशल मीडिया पर एक मूर्ति की तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि ये उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित “नागा वासुकी मंदिर” की है.
This is not a tree. It is carved in stone. No one knows who is the sculptor. This is in Naga Vasuki temple, Prayag.
We always feel proud about Tajmahal, ignoring vast cultural heritage which remained unnoticed even today. pic.twitter.com/yJhruFkLSZ— Maj Gen Panwar B S🇮🇳 (@GenPanwar) July 10, 2021
This is not a tree. It is carved in stone. No one knows who is the sculptor. This is in Naga Vasuki temple, Prayag.
We always feel proud about Tajmahal, ignoring vast cultural heritage which remained unnoticed even today.@LostTemple7 pic.twitter.com/bhQc6BEBz1
— Chetan Rajhans © (@1chetanrajhans) July 9, 2021
ये दावा ट्विटर और फ़ेसबुक पर काफ़ी तेजी से वायरल है.
कर्नाटका के उत्सव रॉक ग़ार्डन की मूर्तिकला
गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें “Whereisthis.com” नाम की एक वेबसाइट पर यही फ़ोटो अपलोड की गई मिली.
ये एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो यूज़र्स के ज़रिये ही चलता है. यहां कोई व्यक्ति किसी जगह के बारे में सवाल पूछ सकता है और उसे उस जगह की जानकारी दी जाती है. यहां एक व्यक्ति ने इस तस्वीर के बारे में एक सवाल पोस्ट किया, जिस पर वेबसाइट ने जवाब दिया कि ये मूर्तिकला कर्नाटका के उत्सव रॉक गार्डन की है.
हमने उत्सव रॉक गार्डन की वेबसाइट देखी, जहां हमें “Artistic Banyan Tree” नाम के टॉपिक पर अपलोड की गई मूर्तिकला की एक तस्वीर मिली.
उत्सव रॉक गार्डन भारत के दर्शनीय गार्डन में से एक है जो “ग्रामीण जीवन” को प्रदर्शित करता है. ये बहुत सारी मूर्तियों का एक समूह है. गार्डन की परिकल्पना और डिज़ाइन प्रसिद्ध कलाकार डॉक्टर टीबी सोलाबक्कनवर ने किया था. इनकी विश्व स्तरीय मूर्तियों के लिए लगभग आठ रिकॉर्ड बने हैं.
वेबसाइट पर दी गयी जानकारी के अनुसार ”The ‘Great Banyan Tree’ कर्नाटका के तीन बड़े कलाकारों – डॉक्टर एमवी मिनाजिगी, डीवी हलभवी और टीपी. अक्की को श्रद्धांजलि है. इन्होंने ने कलाकारों और कला शिक्षकों के विकास के लिए आज़ादी से पहले फ़ाइन आर्ट्स कॉलेज की स्थापना की थी.
आगे दी गयी जानकारी के अनुसार, “बरगद के पेड़ को प्रकृति का प्रतीक माना जाता है. रचनात्मक खोज यहां प्रकृति को मां का दर्ज़ा देती है. कलाकार ने पेड़ की शाखाओं और जड़ों के पीछे छिपी मां रुपी प्रकृति को अपने बच्चों के साथ दिखाया है. पेड़ में और भी कई जीव मौजूद हैं जैसे अलग-अलग पक्षी, सांप और बंदर जो सभी प्रकृति में बहुत खुश हैं. यहां बरगद की जड़ों की तुलना ज्ञान से की गई है. बरगद की शाखाओं और जड़ों की तरह, कला भी धरती पर फैलती है और चारों ओर खुशियां लाती है.”
नीचे हमने “Artistic Banyan Tree” का एक वीडियो दिखाया है जिसे उत्सव रॉक गार्डन के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था.
वेबसाइट पर मौजूद मूर्तिकला की तस्वीर और वायरल तस्वीर के बीच रंग में अंतर कुछ लोगों को भ्रमित कर सकता है. नीचे हमने दोनों तस्वीरों को एक साथ दिखाया है. आप इनमें समानता देख सकते हैं.
ऑल्ट न्यूज़ ने दसानुर ग्रुप और उत्सव रॉक गार्डन के संस्थापक प्रकाश दसानुर से बात की. उन्होंने कन्फ़र्म किया कि वायरल तस्वीर में दिख रही मूर्तिकला असल में Artistic Banyan Tree है लेकिन ये तस्वीर कुछ साल पुरानी है जब मूर्तिकला बनाई जा रही थी. इस मूर्ति को उनकी पत्नी श्रीमती वेदारानी दासनूर ने कलाकारों की एक टीम के साथ मिलकर बनाया था. श्रीमती वेदारानी दासनूर उत्सव रॉक गार्डन की क्यूरेटर और कला प्रवर्तक हैं.
इस तरह, कर्नाटका के उत्सव रॉक गार्डन में एक मूर्ति की एक तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की गयी कि यह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में नागा वासुकी मंदिर की है.
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