इन दिनों सोशल मीडिया पर भारतीय सेलिब्रिटीज के पहचान का गलत इस्तेमाल कर नकली विज्ञापन चलाए जा रहे हैं. सिंगर श्रेया घोषाल और अभिनेत्री रश्मिका मंदाना जैसी जानी-मानी हस्तियों को इन भ्रामक विज्ञापनों में निशाना बनाया गया है. इन विज्ञापनों में मनगढ़ंत समाचार रिपोर्टें होती हैं जो इंडियन एक्सप्रेस, न्यूज़18 और टाइम्स नाउ सहित प्रमुख समाचार आउटलेट्स के नाम, लोगो और वेबसाइट की नकल करते हैं, जिससे इन स्कैम वाले नकली विज्ञापनों को लेकर आम सोशल मीडिया यूज़र्स के बीच विश्वसनीयता का माहौल बने.

नकली विज्ञापन आम तौर पर सोशल मीडिया यूज़र्स का ध्यान खींचने के लिए डिज़ाइन किए गए सनसनीखेज और क्लिकबेट टाइटल और तस्वीर का उपयोग करते हैं. उदाहरण के लिए, श्रेया घोषाल को रोते हुए दिखाते हुए एक विज्ञापन में न्यूज़ वेबसाइट टाइम्स नाउ के लोगो का इस्तेमाल किया गया है और ग्राफिक में लिखा है, “उन्हें एहसास नहीं हुआ कि माइक्रोफ़ोन चालू था, शायद यह उनके करियर का अंत है.” 

एक अन्य विज्ञापन में भारत के प्रमुख इंग्लिश अखबारों में से एक, इंडियन एक्स्प्रेस के लोगो का इस्तेमाल करते हुए एक तरफ सिंगर श्रेया घोषाल की तस्वीर है, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग एक तख्ती लिए खड़े हैं जिसपर लिखा है “Freedom for Shreya Ghoshal”. इसके साथ ही सनसनीखेज हेडलाइन में एक इंटरव्यू का ज़िक्र करते हुए लिखा है, “उन्होंने सच ही कहा! – श्रेया घोषाल के इंटरव्यू के बाद प्रशंसक हैरान!”. इसी प्रकार कई ऐसे विज्ञापन हैं जिसमें उनकी तस्वीर के साथ ये दर्शाने की कोशिश की गई है कि किसी इन्टरव्यू में सच बोलने की वजह से उनका करियर खत्म हो गया और उनपर किसी प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई हुई है. ध्यान दें कि इंडियन एक्सप्रेस ने 2 साल पहले ही इस तरह के विज्ञापनों से पाठकों को बचने की सलाह दी थी.

इन विज्ञापनों में तस्वीर को एडिट करके भी चलाया जा रहा है. उदाहरण के लिए एक विज्ञापन में टाइम्स नाउ न्यूज़ के लोगों का इस्तेमाल कर एडिटेड तस्वीर दिखाई गई है जिसमें उनके चेहरे पर गहरे दाग हैं जो उनपर किसी हमले का संकेत देते हैं. इसके साथ उस विज्ञापन के ग्राफिक पर लिखा है, “कल की खबर के बाद पूरा देश सदमे में है. श्रेया घोषाल ने अपने सामान्य जीवन को अलविदा कह दिया है.” हमने इस तस्वीर के बारे में पता लगाया तो पाया कि ये तस्वीर उनके बीबीसी एसियन नेटवर्क को दिए गए इन्टरव्यू का एक हिस्सा है, वीडियो में देखा जा सकता है कि उनके चेहरे पर कोई दाग या मारपीट के निशान नहीं हैं, यानी ये विज्ञापन वाली तस्वीर एडिटेड है.

इसी तरह, न्यूज़18 के लोगो का इस्तेमाल कर एक विज्ञापन में रश्मिका मंदाना की तस्वीर को एडिट कर उन्हें आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया है. साथ ही कथित तौर पर उनके हवाले से लिखा है, “यह मेरे जीवन का सबसे शर्मनाक दिन है.” 

यहाँ ऐसे कई ट्विटर वेरीफाइड अकाउंट्स के स्क्रीनशॉट्स मौजूद हैं जिनके जरिए इस तरह के विज्ञापन चलाए जा रहे थे.

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मीडिया प्रोफेशनल जॉय दास ने ट्वीट करके पूछा, क्या आप लोग ट्विटर पर श्रेया घोषाल की फोटो और क्लिकबेट अखबार की कटिंग का इस्तेमाल होते हुए कोई स्पैम विज्ञापन देख रहे हैं जिसे 1 या 0 फॉलोअर्स वाले कई वेरिफाइड अकाउंट द्वारा चलाए जा रहे हैं? ट्विटर पर नए स्कैम विज्ञापन शुरू हो गए हैं. जिस पर कई लोगों ने जवाब दिया कि उन्हें भी ऐसे विज्ञापन दिख रहे हैं और यूजर्स ने कई अकाउंट से स्क्रीनशॉट भी शेयर किए.

इन विज्ञापनों में सनसनीखेज भाषा और ग्राफिक इमेजरी का इस्तेमाल किया जाता है जिससे यूज़र्स का ध्यान खींचा जा सके. जिन अकाउंट्स द्वारा इन फ़र्ज़ी विज्ञापनों को चलाया जा रहा है उनमें एक समान पैटर्न हैं.

  • पहला इनके ना के बराबर फॉलोवर्स होते हैं.
  • दूसरा ये सभी अकाउंट्स ट्विटर पर वेरीफाइड होते हैं.

इससे यूज़र्स को ये विश्वास दिलाने में गुमराह कर सकते हैं कि ये अकाउंट्स भरोसेमंद हैं. इन विज्ञापनों को ट्विटर के वेरीफाइड अकाउंट के ज़रिए प्रचारित किया जाता है, जहाँ उन्हें असली न्यूज़ आर्टिकल की तरह डिज़ाइन किया जाता है जिनमें नाम और लोगो के लिए किसी असली न्यूज़ आउटलेट का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि आम यूज़र्स को भ्रमित किया जा सके.

इन नकली विज्ञापनों का मुख्य उद्देश्य यूज़र्स को धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं में फंसाना होता है जिसके ज़रिए इन विज्ञापनों को चलाने वाले वित्तीय लाभ कमा सकें. इन विज्ञापनों में एक लिंक रहता है. जब यूज़र्स इस लिंक पर क्लिक करते हैं, तो उन्हें नकली न्यूज़ वेबसाइटों पर रिडायरेक्ट कर दिया जाता है जो स्कैम वेबसाइट्स के लिए एक मुखौटा के रूप में काम करती हैं. इन वेबपेज पर मौजूद हर हाइपरलिंक में स्कैम वेबसाइट का लिंक मौजूद होता है. जब यूज़र वहां मौजूद किसी लिंक पर क्लिक करता है तो उसे स्कैम वबसाइट पर रीडायरेक्ट कर दिया जाता है. ये स्कैम वेबसाइट संदिग्ध ट्रेडिंग योजनाओं को बढ़ावा देती हैं और यूज़र्स को थोड़े पैसे के निवेश पर अत्यधिक रिटर्न के वादे के साथ लुभाती हैं. प्रसिद्ध मीडिया आउटलेट्स से मिलते-जुलते ग्राफ़िक्स और लोगो का उपयोग करके स्कैम वेबसाइट्स द्वारा विश्वसनीयता का दिखावा करने का लक्ष्य रखा जाता है, जिसका अंतिम उद्देश्य होता है इन धोखाधड़ी वाले प्लेटफ़ॉर्म में निवेश करने के लिए लोगों को लुभाना, जो पैसे ठगने के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं.

ऐसा पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटीज़ और पत्रकारों की तस्वीर और मीडिया आउटलेट्स के नाम का इस्तेमाल फ़र्ज़ी विज्ञापन में कर स्कैम वेबसाइट को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऑल्ट न्यूज़ ने 2023 में इस मामले पर एक डिटेल्ड रिपोर्ट पब्लिश की थी. हमने विस्तार से बताया था कि भारत और विदेशों में विभिन्न सेलिब्रिटी, पत्रकारों और मीडिया संगठनों का इस्तेमाल फ़र्ज़ी विज्ञापनों को चलाने के लिए किया जा रहा है. हमने इस नेक्सस से जुड़े पैटर्न का खुलासा किया था. इसमें भारत के पत्रकार कारण थापर, श्वेता सिंह, इन्डस्ट्रीयलिस्ट रतन टाटा, आदि का नाम भी शामिल था. इन लोगों की तस्वीरों का इस्तेमाल फ़र्ज़ी विज्ञापन में किया जा रहा था. बाद में पत्रकार करण थापर ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी और फेसबुक के ग्रीवेंस ऑफिसर को फ़र्ज़ी इन्टरव्यू वाले विज्ञापन के बारे में सूचित किया था. फ़ेसबुक द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर थापर ने भारत सरकार की ग्रीवेंस अपेलेट कमिटी में अपील की, जिसने पत्रकार के पक्ष में फैसला सुनाया और फेसबुक को फ़र्ज़ी इन्टरव्यू हटाने का निर्देश दिया था.

ऑल्ट न्यूज़ की ये विस्तृत रिपोर्ट आप नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

एक्सक्लूसिव: फ़ेसबुक पर फ़ेमस पर्सनालिटीज के नामों का ग़लत इस्तेमाल कर विज्ञापन चला रहा कई पेजों का नेटवर्क

प्लेटफार्मों के लिए धोखाधड़ी वाले विज्ञापन का पता लगाने और उसपर अंकुश लगाना बेहद महत्वपूर्ण है, वरना इनके कई दुष्परिणाम हो सकते हैं. ये धोखाधड़ी वाली योजनाओं के शिकार होने वाले व्यक्तियों के लिए वित्तीय नुकसान का कारण बन सकते हैं. इसके अलावा विज्ञापन में जिन सेलिब्रिटीज की तस्वीर और नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है, यह उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकते हैं. क्योंकि ना चाहते हुए भी उनके नाम का इस्तेमाल स्कैम वेबसाइट्स के संदिग्ध गतिविधियों और योजनाओं से जुड़ जाते हैं. जिससे इन व्यक्तियों के बारे में लोगों की धारणा प्रभावित हो सकती है.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).