28 अक्टूबर को दोपहर 1:25 बजे, एएनआई ने बैंगलोर साहित्य समारोह (Bangalore Literature Festival) में शशि थरूर के भाषण का एक हिस्सा ट्वीट किया, जिसमें कांग्रेस सांसद ने एक अज्ञात आरएसएस नेता का हवाला दिया था, जिन्होंने नरेंद्र मोदी को लाक्षणिक रूप से “शिवलिंग पर बिच्छू – (अनुवादित) कहा था, जिसे न तो छुआ जा सकता है और न ही चप्पलों से मारा जा सकता है।

तुरंत बाद, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर थरूर को इस टिप्पणी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया। उसी शाम लगभग 6 बजे प्रसाद ने एक ट्वीट पोस्ट करके कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से थरूर की टिप्पणियों, जिसे उन्होंने हिंदू देवताओं और आस्था की “भयानक निंदा” के रूप में वर्णित किया था, के लिए माफ़ी मांगने के लिए कहा।

कई अन्य भाजपा नेताओं ने भी थरूर के खिलाफ दृढ़ता से प्रतिक्रिया व्यक्त की। बिहार के सांसद आरके सिन्हा ने एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने थरूर पर भगवान शिव का नाम खींचकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ गलत भाषा का उपयोग करने का आरोप लगाते हुए उन्हें “आदतन गाली देने वाला” कहा।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर थरूर ने पाकिस्तान में यह टिप्पणी की होती, तो उन्हें ‘खामोश’ कर दिया गया होता। भाजपाई मंत्री ने कहा, “उन्होंने न केवल प्रधानमंत्री का, बल्कि इस देश के करोड़ों हिंदुओं और भगवान शिव के अनुयायियों का अपमान किया है – (अनुवादित)।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने मांग की कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी थरूर को उनकी टिप्पणी के लिए पार्टी से बाहर करें।

अमेरिकी-हिंदू आचार्य डॉ डेविड फ्राउली ने भी थरूर की निंदा की और आरोप लगाया कि उन्होंने “मोदी पर हमला करने के लिए भ्रामक रूप से भगवान शिव का इस्तेमाल किया – (अनुवादित)।

थरूर ने वास्तव में क्या कहा था?

अगर कोई उस वीडियो को सावधानी से सुने, जिसमें थरूर बयान दे रहे हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यह टिप्पणी उनकी नहीं थी। कांग्रेस सांसद एक अज्ञात आरएसएस नेता का हवाला दे रहे थे जिन्होंने कैरेवान (Caravan) के विनोद जोस को ऐसा बयान दिया था।

थरूर ने 28 अक्टूबर को बैंगलोर साहित्य समारोह में यह कहा था: “एक अनाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) स्रोत द्वारा कैरेवान के पत्रकार विनोद जोस को व्यक्त असाधारण रूप से मर्मभेदी उपमा है, जिसे मैं उद्धृत करता हूँ। इसमें उन्होंने मोदी को नियंत्रित करने की अपनी अक्षमता पर अपनी निराशा व्यक्त की। मोदी शिवलिंग पर बैठे बिच्छू की तरह हैं, आप उसे अपने हाथ से नहीं हटा सकते और न ही आप इसे चप्पल से मार सकते हैं – (अनुवादित)।

कैरेवान के कार्यकारी संपादक विनोद जोस की 2012 की रिपोर्ट ‘बेताज बादशाह – नरेंद्र मोदी का उदय’ – (अनुवादित) में एक आरएसएस नेता ने मोदी को बिच्छू की उपमा दी थी।

भाजपा के गोरधन झड़फिया ने भी 2010 में ऐसी उपमा दी थी

जब एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने जोस से आरएसएस नेता का नाम बताने के लिए कहा था, तो उन्होंने बताने से इनकार कर दिया था। उन्होंने ट्वीट किया, “एक पत्रकार अपने स्रोत से कैसे धोखा कर सकता है – (अनुवादित)?” उन्होंने कहा कि मोदी-बिच्छू उपमा न केवल आरएसएस नेता द्वारा, बल्कि 2001-02 में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व में गुजरात के गृह मंत्री रहे गोरधन झड़फिया द्वारा भी उद्धृत की गई थी।

शशि थरूर ने उसी उपमा को उद्धृत करते झड़फिया की 50-सेकंड की क्लिप ट्वीट की।

मूल वीडियो छह मिनट लंबा है और 12 सितंबर, 2010 को न्यूज़एक्स (NewsX) द्वारा पोस्ट किया गया था। वीडियो के 20 वें सेकंड में, ‘मोदी एक बिच्छू’ शब्द – स्क्रीन पर चमकते हैं, जिसके बाद झड़फिया कहते हैं – “अगर मैं कहना चाहता था, मैं कह सकता हूं कि एक बिच्छू शिव लिंग पर बैठा है। न तो संघ परिवार इसे छू सकता है, न ही वे (उस पर)कुछ फेंक सकते हैं, नुकसान होगा (शिव लिंग को)। पूरा परिवार देख रहा है, उनकी ये भावनाएं हैं लेकिन वे कुछ नहीं कर सकते हैं – (अनुवादित)।

शशि थरूर ने मोदी-बिच्छू संदर्भ खुद नहीं बनाया, बल्कि एक आरएसएस सदस्य को उद्धृत किया, और अपने भाषण में जिसे उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, फिर भी, भाजपा नेताओं ने इसे हिंदू विरोधी और मोदी विरोधी टिप्पणी के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया। रविशंकर प्रसाद तो इस वर्णन के आधार पर प्रेस कॉन्फ्रेंस तक आयोजित कर बैठे।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.