ओडिशा के बालासोर ज़िले में 2 जून, 2023 को हुए भीषण ट्रेन हादसे में कम से कम 288 लोगों की मौत हो गई और 800 लोग घायल हो गए. इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक मिली जानकारी के मुताबिक, 2 जून, शुक्रवार शाम करीब 7 बजे शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस के 10 से 12 डिब्बे पटरी से उतरकर दूसरे ट्रैक पर जा गिरी. उस लाइन पर चलने वाली बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, पटरी से उतरी ट्रेन से टकरा गई. इससे बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के भी तीन से चार डिब्बे पटरी से उतर गए. हादसे में एक मालगाड़ी भी चपेट में आ गई.

इसके बाद दुर्घटना स्थल की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे. कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने दुर्घटनास्थल के पास एक मस्जिद होने का दावा कर इस दुर्घटना को सांप्रदायिक एंगल देने की कोशिश की.

ट्विटर यूज़र द रैंडम इंडिया (@randomsena) ने घटनास्थल की एक ड्रोन से ली गई तस्वीर शेयर की. इसमें तीर के जरिए एक सफेद इमारत की ओर इशारा करते करते हुए लिखा, “Just Saying, Yesterday Was Friday (कल शुक्रवार था, बस बता रहा हूँ)”. ऐसा कहते हुए यूज़र ने ये दिखाने की कोशिश की कि हादसे के लिए मुसलमान ज़िम्मेदार हो सकते हैं. ये ट्वीट एक थ्रेड का हिस्सा था जिसमें यूज़र ने ये बताने की कोशिश की थी कि ट्रेन दुर्घटना मुसलमानों द्वारा सुनियोजित हमला था. (आर्काइव लिंक)

हैंडल @RajputRanjanaa, @RealVirendraBJP, @abbajabbadabba4, वेरीफ़ाइड यूज़र @VIRALKI44722069 और पैरोडी अकाउंट @mdallahwala सहित अन्य यूज़र्स ने वही तस्वीर ट्वीट की जिसमें सफेद इमारत की ओर इशारा किया गया था और दावा किया कि दुर्घटना के लिए मुसलमान ज़िम्मेदार थे.

एक यूज़र ने ये तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “शुक्रवार का दिन है और पड़ोस में मस्जिद है । जेहाद करने को ही हाईवे और रेलवे ट्रैक से लगते हुए मुस्लिम कॉलोनी और मस्जिद उगाई जा रही हैं।”

This slideshow requires JavaScript.

ये दावा फ़ेसबुक पर भी वायरल है.

फ़ैक्ट-चेक

घटनास्थल की तस्वीरों को बारीकी से जांच करने पर हमने पाया कि वायरल तस्वीर में दिख रही सफेद संरचना एक मंदिर की तरह दिखती है, न कि मस्जिद की तरह. नीचे दी गई तस्वीर रॉयटर्स की रिपोर्ट में प्रकाशित हुई थी. इस रिपोर्ट का टाइटल है “Deadly Indian rail crash shifts focus from new trains to safety”. हमने नीचे दी गई तस्वीर में मंदिर जैसे दिखने वाली संरचना हाइलाइट करने के लिए लाल घेरा लगाया है.

हमने दुर्घटनास्थल पर मौजूद पत्रकार तमाल साहा से संपर्क किया. उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ से पुष्टि की कि दुर्घटना के पास जो संरचना दिख रही है वह वास्तव में एक मंदिर है. आगे जांच करने पर, हमने पाया कि वहां बाहानगा इस्कॉन मंदिर था. पांच महीने पहले अपलोड किए गए मंदिर के एक यूट्यूब वीडियो से पता चलता है कि संरचना सफेद रंग का है और उस समय बन ही रहा था, लेकिन मंदिर में पूजा जारी था.

हमारे अनुरोध पर, पत्रकार तमाल साहा ने मंदिर का दौरा किया और हमें मंदिर के बाहर इस्कॉन बाहानगा कहते हुए बोर्ड की एक तस्वीर भेजी.

हमें मंदिर के प्रवेश द्वार का वीडियो भी मिला है.

नीचे दिए गए कम्पेरिजन ग्राफिक्स में मंदिर के प्रवेश द्वार के वीडियो का स्क्रीनशॉट, कथित मस्जिद को दिखाने वाली वायरल तस्वीर और रॉयटर्स की रिपोर्ट में मौजूद तस्वीर के बीच तुलना की गई है. इससे स्पष्ट होता है कि तीनों एक ही संरचना दिखाते हैं. यानी, वायरल पोस्ट्स में जिसे मस्जिद बताकर शेयर किया जा रहा था, असल में वो एक मंदिर है.

नीचे एक और वीडियो है जिसमें मंदिर के बाहर सड़क को कैप्चर किया गया है.

हमने बाहानगा में इस्कॉन मंदिर के अधिकारियों से भी संपर्क किया जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि ट्रेन दुर्घटना मंदिर के पास की पटरियों पर हुई थी. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि दुर्घटना स्थल की वायरल तस्वीर में पटरियों के बगल में जो संरचना दिखाई दे रही है वो एक इस्कॉन मंदिर है.

इसके अलावा, सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दुर्घटना के 12 घंटे से अधिक समय के बाद, रेलवे अपने प्रथम दृष्टया कारण के रूप में सिग्नल त्रुटि की संभावना देख रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, पर्यवेक्षकों द्वारा एक बहु-अनुशासनात्मक संयुक्त-निरीक्षण नोट ने निष्कर्ष निकाला कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को नामित मुख्य लाइन से गुज़रने के लिए हरी झंडी दी गई थी. और फिर सिग्नल बंद कर दिया गया था. लेकिन ट्रेन लूप लाइन में घुसकर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई और पटरी से उतर गई. इसी दौरान डाउन लाइन पर यशवंतपुर से सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन आ गई और उसके दो डिब्बे पटरी से उतर गए.

कुल मिलाकर, ये स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर शेयर की गई बालासोर में ट्रेन दुर्घटना स्थल की ड्रोन-व्यू तस्वीर में दिखाई देने वाली सफेद संरचना मस्जिद नहीं, बल्कि बाहानगा में एक इस्कॉन मंदिर है. ये दावा निराधार और भ्रामक है कि इस उजले संरचना की निकटता का दुर्घटना से कोई लेना-देना था. इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक, दुर्घटना का सही कारण का पता लगाने के लिए जांच जारी है.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged:
About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.