सोशल मीडिया पर एक मस्जिद का वीडियो काफी शेयर किया जा रहा है. इसे शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि मुसलमानों ने केरल के एक प्राचीन हिंदू मंदिर को अपने कब्ज़े में लेकर उसे मस्जिद में तब्दील कर दिया है. साथ ही ये भी आरोप लगाया गया कि हिंदू समुदाय के विरोध के बावजूद, केरल की ‘वाम-कम्युनिस्ट’ सरकार ने कोई भी कार्रवाई न करने का फैसला किया है. दावे के मुताबिक, कथित मंदिर को हाल ही में मुसलमानों ने अपने कब्ज़े में ले लिया था.

कई ट्विटर यूज़र्स ने ये वीडियो इसी कैप्शन के साथ ट्वीट किया.

ये वीडियो इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर भी वायरल है.

फ़ैक्ट-चेक

वीडियो को ध्यान से देखने पर ऑल्ट न्यूज़ ने नोटिस किया कि इसे डॉक्यूमेंट्री की तरह एडिट किया गया है. वीडियो की असलियत तक पहुंचने में ये पहला साइन था. फिर हमने देखा कि कुछ ही सेकंड में वीडियो पर एक वॉटरमार्क दिखाई देता है. इसमें “TSOI” लिखा है जो बाद में बदलकर “थाउजेंड शेड्स ऑफ़ इंडिया” हो जाता है. नाम से पता चलता है कि वीडियो शायद किसी डॉक्यूमेंट्री से लिया गया हो.

इसे ध्यान में रखते हुए हमने ‘थाउजेंड शेड्स ऑफ़ इंडिया’ (टीएसओआई) का इंस्टाग्राम पेज चेक किया. इस पेज ने ये वीडियो 20 दिसंबर 2021 को अपलोड किया था. कैप्शन में लिखा है कि वीडियो मैंगलोर के बुंदर में ज़ीनत बख्श मस्जिद का है जो भारत के सबसे पुराने मुस्लिम समुदायों में से एक है

यूट्यूब पर ‘थाउजेंड शेड्स ऑफ़ इंडिया’ के बायो के अनुसार, ये पेज राष्ट्र की अलग-अलग विरासत को दिखाता है. इसमें लिखा है, “हम अपनी कहानियों और डॉक्यूमेंट्री से जीवन और आजीविका, संस्कृति और परंपरा, विरासत और इतिहास, कला और शिल्प में भारत की विविधता का जश्न मनाते हैं.” ऐसा लगता है कि इस वीडियो का मकसद संरचना की सुंदरता को दिखाना था.

मैंगलोर में ज़ीनत बख्श मस्जिद

गूगल पर कीवर्ड सर्च करने पर हमें इस मस्जिद के बारे में कुछ ब्लॉग और न्यूज़ रिपोर्ट्स मिले. इनमें से एक ब्लॉग कर्नाटक पर्यटन विभाग का था. ब्लॉग के मुताबिक, मस्जिद ज़ीनत बख्श असल में मैंगलोर के बुन्दर इलाके में स्थित है. ये मस्जिद, पैगंबर मोहम्मद के जीवन के बारे में कहानियां दर्शाती है. और माना जाता है कि इसे 644 ईस्वी के दौरान, अरब मुस्लिम व्यापारियों ने बनाया था. ब्लॉग पोस्ट में एक ऐसा हिस्सा भी है जिसमें मस्जिद की विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है. ब्लॉग पोस्ट में इस मस्जिद के पहले हिंदू मंदिर होने का कोई ज़िक्र नहीं है.

कर्नाटक पर्यटन विभाग की वेबसाइट सहित कई रिपोर्ट्स इस बात को साबित करती हैं कि 17वीं शताब्दी में टीपू सुल्तान ने मस्जिद का नवीनीकरण करवाया और नाम बदला था.

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क्या केरल में मुसलमानों ने एक मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया है?

ऑल्ट न्यूज़ ने इस मामले के लिए कई न्यूज़ रिपोर्ट्स चेक किए. लेकिन इस तरह की कोई ख़बर नहीं मिली. अगर ये सच होता तो मीडिया में इस बात की ख़बर छपी होती. मैंगलोर में एक मंदिर पर कब्ज़ा कर लेने की कोई ख़बर नहीं है.

कुल मिलाकर, मैंगलोर में एक मस्जिद के एक वीडियो को ग़लत सांप्रदायिक ऐंगल के साथ शेयर किया गया और झूठा दावा किया गया कि मुसलमानों ने केरल के एक प्राचीन मंदिर पर जबरन कब्ज़ा कर लिया है.

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