10 अक्टूबर को दिल्ली में अफ़ग़ान दूतावास में अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया था. हालांकि, इस प्रेस कांफ्रेंस के चर्चाओं में रहने का एक अहम कारण है उसमें महिला पत्रकारों को शामिल होने की अनुमति नहीं दिए जाना. इस विवाद के मद्देनजर, कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने एक तस्वीर शेयर की जिसमें अमीर खान मुत्तकी एक सभा को संबोधित कर रहे हैं और वहां महिलाएं भी नज़र आ रही थीं. इस फोटो के साथ ये दावा किया गया कि महिला पत्रकारों को असल में अनुमति दी गई थी. लेकिन इसके उलट दावा चलाकर सोशल मीडिया यूज़र्स मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं. 

महिलाओं के अधिकारों और एजेंसी पर नकेल कसने के तालिबान शासन के इतिहास को देखते हुए, ये विवाद और स्पष्ट खंडन महत्व रखते हैं.

X यूज़र @ocjain4 ने फ़ोटो पोस्ट करते हुए आरोप लगाया कि अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकार मौजूद थीं. कैप्शन से ये भी पता चलता है कि इस विवाद को विपक्ष ने पीएम मोदी के विरोधियों के साथ मिलकर खड़ा किया था. (आर्काइव)

ध्यान दें कि ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी इस यूज़र द्वारा किए गए कई वायरल दावों की पड़ताल की है. (यहां, यहां, यहां और यहां देखें.)

X पर मुकेश जोशी, रोहित गुज्जर, जसराज गोदारा और अन्य यूज़र्स ने भी वायरल दावे के साथ ये तस्वीर शेयर की. (आर्काइव: 123)

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ये दावा फ़ेसबुक पर भी वायरल है.

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फ़ैक्ट-चेक

इन दावों की सच्चाई जानने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने वायरल तस्वीर के कुछ फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें एक X पोस्ट मिली जिसे 10 अक्टूबर की शाम को नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक, विवेकानंद इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन (VIF इंडिया) ने पोस्ट किया था. इसमें कई महिलाओं दिखती हैं और साथ ही अमीर खान मुत्तकी मंच पर हैं.

नोट करें कि इस पोस्ट में शामिल तस्वीरों में से ही एक वायरल तस्वीर है. यानी, वायरल फ़ोटो अमीर खान मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का नहीं है. VIF इंडिया की X पोस्ट से ये साफ होता है कि तस्वीरें उनके परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम की हैं जिसमें मुत्तकी भी शामील थे.

मीडिया आउटलेट्स ने भी VIF में विद्वानों के साथ मुत्तकी की बातचीत पर खबरें पब्लिश की थी. इनमें से कुछ रिपोर्ट्स में वही तस्वीर है जो कि वायरल थी. 

उधर, मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए अफ़ग़ान दूतावास के बाहर मौजूद महिला पत्रकारों ने पुष्टि की कि उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया. द वायर की देवीरूपा मित्रा की ये रिपोर्ट इसकी पुष्टि करती है.

ये भी उल्लेखनीय है कि हिंदुस्तान टाइम्स के इस आर्टिकल में बताया गया है, मेजबान देश (इस मामले में भारत) के पास विदेशी दूतावास में होने वाले मामलों में हस्तक्षेप करने का बहुत कम अधिकार क्षेत्र है. इसके अलावा, 12 अक्टूबर को अफ़ग़ान दूतावास में एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई – इस बार, महिला पत्रकारों की मौजूदगी में जो आगे की सीटों पर बैठी थीं. अफ़ग़ान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने स्पष्ट किया कि 10 अक्टूबर को सम्मेलन से महिला पत्रकारों को बाहर रखना जानबूझकर नहीं किया गया था. बल्कि एक ‘टेक्निकल इशू‘ था.

कुल मिलाकर, VIF इंडिया में विद्वानों के साथ अफ़ग़ान विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी की बातचीत की एक तस्वीर इस दावे का खंडन करने के लिए ग़लत तरीके से शेयर की गई कि महिला पत्रकारों को 10 अक्टूबर को अफ़ग़ान दूतावास में मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी. दोनों अलग-अलग घटनाएं हैं. ये बात अच्छी तरह से स्थापित और निर्विवाद है कि महिलाओं को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लेने से रोका गया था.

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