10 जुलाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में लुलु मॉल का उद्घाटन किया. उद्घाटन के भव्य समारोह में एक लाख से ज़्यादा लोगों की भीड़ देखी गई. उद्घाटन के सिर्फ दो दिन बाद यानी, 12 जुलाई को कुछ अज्ञात लोगों ने शॉपिंग मॉल के अंदर नमाज़ अदा की. इस घटना का एक फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. कुछ समय बाद मॉल के पब्लिक रिलेशन्स मैनेजर सिब्तैन हुसैन की ओर से सुशांत गोल्फ़ सिटी थाने में FIR दर्ज कराई गई.

इसके बाद, अखिल भारतीय हिंदू महासभा के सदस्यों ने मॉल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और स्थानीय अधिकारियों से हनुमान चालीसा पढ़ने की अनुमति मांगी. 16 जुलाई को दो युवकों ने एक मॉल में हनुमान चालीसा का पाठ किया जहां धार्मिक पूजा-अर्चना करने से मना करने का नोटिस लगा था. दोनों को ज़ल्द ही गिरफ़्तार कर लिया गया. इस विवाद के बारे में ज़्यादा जानने के लिए आप द क्विंट की ये रिपोर्ट पढ़ सकते हैं.

18 जुलाई को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ी राष्ट्रीय न्यूज़ पेपर, नेशनल हेरल्ड ने रिपोर्ट किया, “लखनऊ पुलिस ने बुधवार को मॉल में नमाज़ अदा करने वाले बदमाशों को ढूंढने का अभियान शुरू करने का दावा किया है, लेकिन CCTV फुटेज से पता चलता है कि वे दोनों नौसिखिए थे और शायद गैर-मुस्लिम थे.” (आर्काइव्ड लिंक)

पत्रकार आरफ़ा खानम शेरवानी ने नेशनल हेरल्ड की रिपोर्ट ट्वीट करते हुए दावा किया कि लखनऊ में संघी नमाज़ पढ़ रहे हैं. आरफ़ा खानम शेरवानी के ट्विटर पर 10 लाख से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स हैं. इस रिपोर्ट को शेयर करने वाले लोगों में कॉलमिस्ट एम रेयाज, स्क्रॉल के संपादक नरेश फर्नांडीस, ट्विटर यूज़र हाना मोशिन खान, पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के महासचिव अनीस अहमद और मिल्ली गजट के संपादक जफ़रुल-इस्लाम खान शामिल हैं.

पत्रकार रोहिणी सिंह ने ट्वीट किया कि तो ये पता चला है कि लखनऊ के लुलु मॉल में नमाज़ अदा करने वाले एक्टर थे जो शायद सामाजिक अशांति पैदा करना चाहते थे. आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 2 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका है. (आर्काइव्ड लिंक)

18 जुलाई को कई सोशल मीडिया अकाउंट्स ने सुशांत गोल्फ सिटी PS का एक प्रेस नोट ट्वीट करते हुए दावा किया कि नमाज़ पढ़ने के लिए हिंदुओं को गिरफ़्तार किया गया है. इस प्रेस नोट में 3 हिंदू और एक मुस्लिम नाम है. ये दावा मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रवक्ता अमन दुबे (आर्काइव्ड लिंक), यूपी स्थित पत्रकार वसीउद्दीन सिद्दीकी (आर्काइव्ड लिंक) और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य हिम्मत सिंह गुर्जर (आर्काइव्ड लिंक) ने भी ट्वीट किया है.

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जामिया टाइम्स के संपादक अहमद खबीर ने भी यही दावा किया. उनके ट्वीट के हवाले से रेडियो मिर्ची की साएमा ने भी ये दावा ट्वीट किया. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और डॉ पूजा त्रिपाठी ने भी ऐसा ही दावा किया. इन सभी ने बाद में ये ट्वीट्स डिलीट कर दिए हैं.

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कई फ़ेसबुक अकाउंट से भी ये दावा किया गया जिसमें ‘विद INC‘ भी शामिल है. आर्टिकल लिखे जाने तक इस पोस्ट को 900 से ज़्यादा बार शेयर किया गया.

फ़ैक्ट-चेक

वायरल ट्वीट्स से हिंट लेते हुए ऑल्ट न्यूज़ ने @DCP_South का ट्विटर हैंडल देखा. डीसीपी साउथ लखनऊ ने ऑफ़िशियल अकाउंट से 15 जुलाई को एक प्रेस नोट शेयर किया था.

इस प्रेस नोट के मुताबिक, 15 जुलाई 2022 को लुलु मॉल में अलग-अलग धर्म और समुदाय के चार लोगों ने बिना अनुमति के धार्मिक क्रियाकलाप का प्रयास किया था. उनका इरादा सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना था. मॉल के पब्लिक रिलेशन्स मैनेजर सिब्तैन हुसैन के अनुसार, ये प्रेस नोट 12 जुलाई को नमाज़ अदा करने से संबंधित नहीं है. ये प्रेस नोट 15 जुलाई को धार्मिक क्रियाकलापों के संदर्भ में लोगों को गिरफ्तार किये जाने की बात करता है.

तीन दिन बाद, 18 जुलाई को पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ ने एक और प्रेस नोट ट्वीट किया. इसमें घटना के बारे में डिटेल में बताया गया था. इसमें लिखा था कि दर्ज मामले में 12 जुलाई की घटनाओं से जुड़े किसी भी आरोपी की पहचान नहीं हो पाई है. पुलिस ने आगे कहा कि 15 जुलाई को सरोज नाथ योगी, कृष्ण कुमार पाठक और गौरव गोस्वामी ने हनुमान चालीसा पढ़ने की कोशिश की और अरशद अली ने नमाज़ अदा करने की कोशिश की थी. पुलिस ने उन पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 [संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए गिरफ़्तारी], 107 [अन्य मामलों में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा], और 116 [सूचना की सच्चाई के लिए पूछताछ] के तहत आरोप लगाए हैं. साथ ही पुलिस ने इस प्रेस नोट के ज़रिये सोशल मीडिया पर चल रही भ्रामक जानकारी का खंडन किया.

द हिंदू ने बताया कि 12 जुलाई को लुलु मॉल में नमाज़ अदा करने वाले 8 लोगों को गैर-मुस्लिम बताने वाली रिपोर्ट्स का लखनऊ पुलिस ने खंडन किया है.

19 जुलाई को यूपी पुलिस ने 12 जुलाई की घटना के सिलसिले में चार लोगों को गिरफ़्तार किया जिनमें मोहम्मद रेहान, आतिफ़ खान, MD लोकमान और मोहम्मद नोमान शामिल हैं.

कुल मिलाकर 12 जुलाई को लखनऊ के लुलु मॉल परिसर में आठ अज्ञात लोगों ने नमाज़ अदा की. इस घटना का विरोध करते हुए 15 जुलाई को 4 और लोगों ने मॉल के अंदर धार्मिक क्रियाकलाप किया. इन्हें उसी दिन पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था. लेकिन अभी 12 जुलाई की घटना के आरोपियों को गिरफ़्तार करना बाकी था. ऐसे में 15 जुलाई को गिरफ़्तार हुए आरोपियों को 12 जुलाई की घटना का आरोपी समझ लिया गया. इन गिरफ्तारियों ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी. पत्रकार और सोशल मीडिया यूज़र्स ने इसे 12 जुलाई की घटना के संदर्भ में शेयर कर दिया. साथ में दावा किया गया कि हिंदुओं ने मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने के लिए 12 जुलाई को नमाज़ अदा की थी. इसके अलावा, नेशनल हेरल्ड ने 18 जुलाई को एक स्टोरी पब्लिश की जिसमें दावा किया गया कि 12 जुलाई की घटना में गिरफ़्तार किए गए लोग “शायद गैर-मुस्लिम” थे. हालांकि, 12 जुलाई की घटना में पुलिस ने 19 जुलाई को चार लोगों को गिरफ़्तार किया. और ये चारों मुसलमान हैं.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.