एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें मुस्लिम समुदाय से जुड़ी टोपी पहना व्यक्ति एक बच्चे को राशन दान कर रहा है और उसके गले में पड़ा हुआ तावीज़ काट रहा है. वीडियो पर बंगाली में लिखा है নোয়াখালী ত্রাণসামগ্রী বিতরন সাথে ছেলেকে শিরক মুক্ত করা হলো (नोआखाली में राहत सामग्री वितरण के वक्त बच्चे को शिर्क से मुक्ति मिल गई). ये वीडियो शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेश में इस्लामवादियों ने राहत सामग्री के बदले में हिंदू बच्चे का पवित्र धागा काट दिया.
अक्सर ग़लत जानकारी शेयर करने वाले यूजर जितेंद्र प्रताप सिंह ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “यह देखिए किस तरह से बांग्लादेश की नई सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं को खत्म कर रही है. बांग्लादेश के नोआखाली में एक हिंदू बच्चा बाढ़ में फंसा है और कई दिनों से भूखा है. जमाते इस्लामी का एक मौलवी उस हिन्दू बच्चे को सहायता देने से पहले पहले उसके कान में कलमा पढ़ता है उसके बाद उसके गले में हिंदू पहचान यानी तुलसी की माला जबरजस्ती निकालता है और उसे फेंक देता है और बच्चे से कहता है कि तुम अब हिंदू नहीं हो बच्चा माला वापस मांगता है तो उससे कहा जाता है कि फिर तुम्हें सहायता सामग्री नहीं दी जाएगी.” (आर्काइव लिंक)
यह देखिए किस तरह से बांग्लादेश की नई सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं को खत्म कर रही है
बांग्लादेश के नोआखाली में एक हिंदू बच्चा बाढ़ में फंसा है और कई दिनों से भूखा है
जमाते इस्लामी का एक मौलवी उस हिन्दू बच्चे को सहायता देने से पहले पहले उसके कान में कलमा पढ़ता है उसके बाद उसके… pic.twitter.com/eucAWonSuE
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) August 30, 2024
राइट विंग प्रॉपगेंडा वेबसाइट ऑपइंडिया ने वीडियो के बारे में रिपोर्ट करते हुए बच्चे को हिन्दू बताया और दावा किया कि मौलवी ने उस बच्चे के गले से तुलसी माला काट कर हटा दी. बाद में इस आर्टिकल को अपडेट कर दिया गया और लिखा गया कि वीडियो में ये बात साफ नहीं है कि बच्चा हिन्दू है या मुस्लिम. हालांकि, ये रिपोर्ट लिखे जाने तक आर्टिकल के URL में ये बात साफ दिखती है कि इसमें बच्चे को हिन्दू बताया गया था. (आर्काइव लिंक)
भाजपा समर्थक रौशन सिन्हा ने ये वीडियो पोस्ट करते हुए दावा किया कि बांग्लादेश में राहत सामग्री के बदले हिन्दू बच्चे के गले से धार्मिक धागा काटा जा रहा है. (आर्काइव लिंक)
अक्सर गलत जानकारी फैलाते हुए पाए जाने वाले अकाउंट फ्रन्टल फोर्स ने भी वीडियो शेयर कर ऐसा ही दावा किया. (आर्काइव लिंक)
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ को बांग्लादेश के फ़ैक्ट-चेकर सोहनुर रहमान का एक ट्वीट मिला जिसमें उन्होंने बताया है कि वीडियो में दिख रहा बच्चा हिंदू नहीं है और उसने तुलसी माला नहीं बल्कि तावीज़ पहना हुआ है. वीडियो में बांग्ला भाषा में लिखा है कि राहत सामग्री वितरण के साथ, लड़के को शिरिक-मुक्त किया गया. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ये वीडियो नोआखली से है जहां चांदपुर के तौहीद अकादमी और इस्लामिक सेंटर नामक एक सलाफी इस्लामिक स्कूल ने राहत सामग्री का वितरण किया था. सलाफी/अहले हदीस के अनुयायी तावीज़ के खिलाफ हैं, और सलाफी सदस्यों द्वारा तावीज़ काटने के कई वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं. इस वीडियो को रसेल खान नाम के व्यक्ति द्वारा फ़ेसबुक पर अपलोड किया गया था.
The boy is not Hindu, and it was not a Tulsi mala; rather it was a Taweez.
There is Bangla text on the video that reads: “With the relief distribution, this boy was made ‘Shirik-free.'”
The video was uploaded on August 26, by Rasel Khan. It is from Noakhali, where a Salafi… https://t.co/NmVBmDURV1 pic.twitter.com/32eEAvf7yo
— Shohanur Rahman (@Sohan_RSB) August 30, 2024
हमने पत्रकार सोहनुर रहमान के ज़रिए चांदपुर ज़िले के कछुआ थाना के अंतर्गत दहुलिया गांव में स्थित तौहीद अकादमी और इस्लामिक सेंटर द्वारा संचालित जामिया दारुत तौहीद के सहायक प्रिंसिपल अब्दुल मालेक मियाजी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि तावीज़ काटने वाले व्यक्ति का नाम अब्दुल मालेक मियाजी है जो जामिया दारुत तौहीद का सहायक प्रिंसिपल है. तौहीद एकेडमी और इस्लामिक सेंटर की पहल पर वो बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित करने के लिए नोआखली गए थे. वीडियो में दिख रहा बच्चा मुसलमान है और स्थानीय मदरसे में तीसरी कक्षा में पढ़ता है. उसका नाम सोहेल है, पिता का नाम अब्दुल हक और माँ का नाम रज़िया खातून है और ये नोआखली के चार अलगी गाँव के हैं.
बच्चे से जुड़ी और जानकारी चार अलगी गाँव के प्रतिनिधि मोहम्मद यूसुफ ने हमें भेजी. उन्होंने उस बच्चे का एक और वीडियो भी भेजा जिसमें उसने अपना नाम सोहेल, पिता का नाम अब्दुल हक और खुद को मुसलमान बताया है. ये वीडियो भारत में इस बच्चे के हिन्दू होने के दावे के वायरल होने के बाद रिकार्ड किया गया था.
क्या होता है शिर्क?
जानकारों की मानें तो इस्लाम में शिर्क का मतलब है अल्लाह के अलावा दूसरों को ईश्वरीय शक्ति मानने का पाप. इसे इस्लाम में सबसे गंभीर पापों में से एक माना जाता है, क्योंकि यह एकेश्वरवाद (तौहीद) की मूल अवधारणा का खंडन करता है. हालांकि, इस्लाम में कई लोग तावीज़ बांधते हैं और पीर-मज़ार इत्यादि पर भी जाते हैं, लेकिन कई लोग इसे सही नहीं मानते. चूंकि अगर किसी तावीज़ या पीर मज़ार से कुछ मांगा जाए, या उसको किसी से रक्षा या सीख के लिए पहना जाए तो यह इस्लाम की मूल धारणा एकेश्वरवाद (तौहीद) को चुनौती देता है, चूंकि लोगों का मानना है कि कुछ देना, या रक्षा, इत्यादि करने का काम सिर्फ अल्लाह का है.
कुल मिलाकर, राइट-विंग प्रॉपगेंडा वेबसाइट और सोशल मीडिया यूज़र्स ने बांग्लादेश में राहत सामग्री वितरण के दौरान बच्चे के गले से तावीज़ हटाने का वीडियो झूठे दावे के साथ शेयर किया कि मुसलमानों द्वारा राहत सामग्री के बदले हिन्दू बच्चे के गले से तुलसी माला उतार दिया गया.
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