सोशल मीडिया पर दो भाइयों का एक वीडियो वायरल है. भारत-पाक बंटवारे की वज़ह से ये दोनों भाई 74 साल तक एक-दूसरे से अलग रह रहे थे. एक भाई भारत के पंजाब में रहता है जबकि दूसरा भाई पाकिस्तान के पंजाब में रहता था. और सालों बाद ये दोनों फिर से मिले. ये वीडियो शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि जो भाई पाकिस्तान में रहा उसे अपना धर्म बदलकर इस्लाम अपनाना पड़ा और जो भारत आ गया वो अपने सिख धर्म का पालन करता रहा था. वायरल मेसेज में लिखा है कि भारत में रहने वाला भाई, “वाहेगुरु जी दा खालसा, वाहेगुरु जी दी फतेह” कह सकता है. लेकिन पाकिस्तान में रहनेवाले भाई को “अल्लाह ओ अकबर” कहना पड़ता है.
पत्रकार राकेश कृष्णन सिम्हा ने ये वीडियो इसी दावे के साथ पोस्ट किया.
Two Sikh brothers were separated in 1947. The one who came to India remains a Sikh. The one who remained in Pakistan converted to Islam. The Indian Sikh can proudly say, “Wah Guru Ji Da Khalsa, Wah Guru Ji Di Fatah.” The Pakistani brother has to say “Allah hu akbar.” pic.twitter.com/dcqUVb2nNK
— Rakesh Krishnan Simha (@ByRakeshSimha) January 13, 2022
इस दावे को ट्विटर यूज़र @LogicalHindu_ ने भी शेयर किया. उन्होंने लिखा कि अखंड विश्वास वाले धर्म, जैसे ईसाई और इस्लाम को ज़बरदस्ती फैलाया जाता है.
After a long time, I watched something that really made me a little emotional. Two brothers, one from India’s Punjab and the other from Pakistan’s Punjab, met in Kartarpur 74 years after they were separated. pic.twitter.com/AIlfPpDEPy
— Roohan Ahmed (@Roohan_Ahmed) January 12, 2022
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने वीडियो की जांच की और देखा कि इसमें 36 सेकंड पर, दोनों भाइयों को “सत श्री अकाल जी” कहकर एक-दूसरे का अभिवादन करते हुए सुना जा सकता है. की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें कई न्यूज़ मिले जिसमें भाइयों की पहचान कंफ़र्म की गई है. डेली मेल यूके और इंडिया टुडे की रिपोर्ट में दोनों भाइयों की पहचान मुहम्मद/मोहम्मद सिद्दीक़ और हबीब उर्फ शेला के रूप में की गई है.
हमें वीडियो पर एक टिकटॉक लोगो और यूज़रनेम ‘@deryaala222’ लिखा दिखा. हमने टिकटॉक पर ‘@deryaala222‘ अकाउंट को ढूंढने के लिए TOR ब्राउज़र का इस्तेमाल किया. इसी यूज़रनेम के साथ इंस्टाग्राम पर एक पेज भी है. हमने देखा कि वीडियो पंजाबी लहर नाम के एक पाकिस्तानी संगठन ने बनाया था. ये संगठन, बंटवारे के दौरान हुई हिंसा में अलग हुए परिवारों को मिलाने की कोशिश करता है.
पंजाबी लहर के यूट्यूब पेज पर हमें मई 2019 का एक वीडियो मिला. वीडियो में मोहम्मद सिद्दीक़ (पाकिस्तान में रहनेवाला भाई) का एक मेसेज था जिसमें वो अपने भाई हबीब (भारत में रहनेवाला भाई) को ढूंढ रहे थे. इस मेसेज के तुरंत बाद, टीम ने फुलेवाला, पंजाब, भारत के निवासी डॉ. जगसीर सिंह की मदद से दोनों भाइयों का एक -दूसरे से संपर्क कराया. बाद में उसी वीडियो में दोनों भाई वीडियो कॉल पर मिलते हैं. कानूनी दस्तावेज तैयार करने में और दो साल लग गए और आखिरकार दोनों जनवरी 2022 में व्यक्तिगत रूप से मिले. दोनों भाइयों के फिर से मिलने का पूरा वीडियो पंजाबी लहर के यूट्यूब चैनल पर मौजूद है.
ऑल्ट न्यूज़ ने पंजाबी लहर के सह-संस्थापक नासिर ढिल्लों से संपर्क किया. नासिर ने हमें बताया कि बंटवारे के दौरान, हबीब सिर्फ छह महीने का था और अपनी मां के साथ फुले अपने नाना के घर गया था. इस दौरान हिंसा भड़क उठी थी जिसमें उनके पिता की मौत हो गई. इसकी वजह से सिद्दीक़ और उसकी मंझली बहन अनाथ हो गए थे. हबीब की मां की मानसिक स्थिति बिगड़ गई और बंटवारे के चार साल बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली.
नासिर ढिल्लो ने हमें ये भी कंफ़र्म किया कि दोनों भाई जन्म से मुसलमान थे. नासिर ने बताया कि भारत में रह गया छोटा भाई हबीब मुस्लिम ही बना रहा. उसे एक स्थानीय परिवार ने गोद ले लिया था. वो एक मजदूर के रूप में काम करता था. अपने दावे का समर्थन करने के लिए नासिर ने हमारे साथ दोनों भाइयों के पहचान पत्र भी शेयर किए. गौरतलब है कि हबीब को उनके गांव में सिका खान के नाम से जाना जाता है. लेकिन जन्म से उनका नाम हबीब है.
इस तरह, भारत-पाकिस्तान विभाजन के 74 साल बाद दो भाई फिर से मिले थे जिसका वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया गया कि ये दोनों भाई सिख थे लेकिन पाकिस्तान में रहने वाले भाई का धर्म बदलकर ज़बरदस्ती इस्लाम कर दिया गया. जांच करने पर पता चला कि ये दावा बिलकुल ग़लत है. दोनों भाई जन्म से मुसलमान थे और इस्लाम धर्म का पालन करते रहे थे. किसी का भी धर्म परिवर्तन नहीं हुआ था.
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