सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप काफी तेज़ी से वायरल हो रही है. इसमें कुछ लोग एक धार्मिक ढांचे के दरवाज़े तोड़ते हुए दिख रहे हैं. वीडियो में इन लोगों ने मुस्लिम धर्म से जुड़ी टोपी पहनी है. दावा किया जा रहा है कि केरल में हिन्दू अपने मंदिरों को चाह कर भी नहीं बचा पा रहे हैं. 18 मई को एक यूज़र ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “केरल अघोषित रूप से इस्लामिक स्टेट बन चुका है जहां कोई भी मंदिर हराम है.”
यह है केरल के हालात जहां हिन्दू अपने मंदिरों को चाह कर भी नहीं बचा पा रहे है सिर्फ 40 प्रतिशत हिन्दू वहां बिल्कुल असहाय हो चुके है
केरल अघोषित रूप से इस्लामिक स्टेट बन चुका है जहां कोई भी मंदिर हराम हैकांग्रेस के आने से
मूसा और सेकुलर कीड़ों में खुशी का माहोल है pic.twitter.com/pfC5EXgT1N— पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ (@shripushpendra1) May 18, 2023
ट्विटर पर और भी कई यूज़र्स ये वीडियो केरल का बताकर शेयर कर रहे हैं. (पहला लिंक, दूसरा लिंक)
2022 में आंध्रप्रदेश का बताकर वायरल था ये वीडियो
उस वक्त भी इसे लगभग ऐसे ही दावे के साथ शेयर किया जा रहा था. दावे के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के गुंटूर में मुसलमानों ने एक प्राचीन हिंदू मंदिर तोड़ दिया.
ट्विटर यूज़र @yogeshDharmSena ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “आंध्र प्रदेश में जिहादियों ने प्राचीन मंदिर को तोड़ा जागो हिंदुओं, जागो ये स्वतंत्र भारत में हो रहा है …”
आंंधप्रदेश में जिहादियों ने प्राचीन मंदिर को तोड़ा😡जागो हिंदुओ जागो यह स्वतंत्र भारत में हो रहा है… pic.twitter.com/BIIedtjQIz
— योगी योगेश अग्रवाल (धर्मसेना) (@yogeshDharmSena) October 15, 2022
लेखक और स्वतंत्र कॉलमिस्ट अंशुल पांडे ने भी इसी तरह के दावों के साथ ये क्लिप ट्वीट की. बाद में अंशुल ने आरोप लगाया कि ट्विटर ने जबरन उनके ट्वीट्स डिलीट कर दिए. (आर्काइव लिंक)
कॉलमिस्ट तारेक फतह ने अंशुल पांडे के उस ट्वीट को कोट-ट्वीट किया जिसे ट्विटर ने हटा दिया था. तारेक फतह ने कोट ट्वीट में लिखा, “भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में एक 40 साल पुराने हिंदू मंदिर को तोड़ा.” रिडर्स ध्यान दें कि पहले भी कई बार तारेक फ़तह ग़लत जानकारियां शेयर कर चुके हैं. उनके फ़र्ज़ी दावों को लेकर ऑल्ट न्यूज़ ने एक डिटेल्ड रिपोर्ट पब्लिश की थी जिसे आप यहां पढ़ सकते है.
तारेक फतह की तरह, @MrSinha_ नामक एक और ट्विटर यूज़र ने भी इस घटना के बारे में ट्वीट किया. इस यूज़र का भी ग़लत जानकारी शेयर करने का इतिहास रहा है. लेकिन ट्वीट करते हुए इन्होंने वायरल क्लिप शेयर नहीं की.
अन्य लोगों ने भी वायरल क्लिप इसी दावे के साथ शेयर की है जैसे @arpispeaks, @IVijay_Pathak, @sudhirshiv567, @Chitransh57, @FltLtAnoopVerma और @TriShool_Achukamong.
ये क्लिप फ़ेसबुक पर भी इसी तरह के दावों के साथ वायरल है.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने तेलुगु में सबंधित की-वर्ड्स का इस्तेमाल कर सर्च किया जिससे हमें इस घटना से संबंधित कई वीडियोज़ मिलें. शेख नागुल मीरा नामक यूज़र ने इस मामले के बारे में अपडेट देते हुए एक सीरीज शेयर की थी. इस यूज़र के बायो के मुताबिक, ये आंध्र प्रदेश में बीजेपी के अल्पसंख्यक क्षेत्र के प्रभारी हैं.
13 अक्टूबर को उन्होंने अपने फ़ेसबुक पेज पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने धार्मिक ढांचे को दरगाह ‘हजरत बाजीबाबा निशान’ बताया. फ़ेसबुक पोस्ट में इस ढांचे की पहचान मंदिर के रूप में नहीं की गई है. हालांकि, इसमें कहा गया है कि हिंदू-मुस्लिम भावनाएं इस जगह से जुड़ी हुई हैं.
ऑल्ट न्यूज़ ने शेख नागुल मीरा से संपर्क किया जिन्होंने हमें फ़ोन पर बताया कि उस जगह पर कई ऐसे प्रतीक थे जिससे वहां एक दरगाह के अस्तित्व का पता चलता है. उन्होंने कहा, “कुछ असामाजिक तत्व यहां आए और वहां मस्जिद बनाने के इरादे से इन ढांचों को गिरा दिया. ये खबर पूरे इलाके में फ़ैल गई और पुलिस को इसकी सूचना दी गई.”
आगे बताते हुए उन्होंने कहा, “जमीन एक ऐसे व्यक्ति की थी जो कोविड से मरा था. ढांचे को तोड़ने वाले लोगों का दावा है कि वो वहां एक मस्जिद बनाना चाहता है और उसकी बेटी ने इसके लिए जमीन उन्हें सौंप दी थी.”
हमें फ़ेसबुक पर एक और वीडियो मिला जिसमें कुछ महिलाओं ने कैमरे पर बात करते हुए इस घटना पर अपनी शिकायतें बयां की. वीडियो में दिख रही महिलाओं का कहना है कि वो पिछले 40 सालों से LR कॉलोनी थर्ड लाइन वार्ड 17 दरगाह जा रही हैं और जाति या धर्म कभी कोई मुद्दा नहीं रहा. उनका ये भी आरोप है कि जिन लोगों ने ढांचा गिराने की कोशिश की उनमें से कुछ ने उनके साथ ग़लत व्यवहार किया.
ऑल्ट न्यूज़ ने L R कॉलोनी के शाहीन नामक एक स्थानीय व्यक्ति से बात की. उन्होंने विवादित ढांचे की उत्पति के बारे में बताया: “ईसु रत्नम नामक एक बीमार व्यक्ति था जिसे बाजी बाबा ने ठीक किया था. जब वो ठीक हो गया, तो बाजी बाबा ने उसे बाबा के नाम पर अपनी ज़मीन पर एक धार्मिक स्थान बनाने का निर्देश दिया. हिंदुओं और मुसलमानों ने इस जगह का दौरा किया और 40 सालों यहां चढ़ावा चढ़ाया. वृद्ध व्यक्ति की हाल ही में कोविड से मौत हो गई. उनकी मौत के बाद, कुछ लोगों ने दावा किया कि उन्होंने अपनी ज़मीन उन्हें बेच दी थी जहां अब मस्जिद बनाई जाएगी. ये लोग 7 अक्टूबर को आए और हमसे कहा कि बाबा से जुड़ी सभी चीजों को हटा देना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि ईसु रत्नम ने उन्हें यहां एक मस्जिद बनाने के लिए कहा था. इसलिए उनका हमसे विवाद हो गया.”
शाहीन ने कहा कि ईसु रत्नम की भतीजी ने बुढ़ापे में उनकी देखभाल की. उन्होंने और सभी स्थानीय लोगों ने इस अधिग्रहण का विरोध किया. “हम उत्पीड़न के बारे में शिकायत करने के लिए प्रशासन के पास गए. बाद में वक्फ़ बोर्ड के एक प्रतिनिधि ने घटनास्थल का दौरा किया.”
वक्फ़ बोर्ड के इंस्पेक्टर के दौरे का वीडियो फ़ेसबुक पर भी मौजूद है.
గుంటూరు నగరంలో ఉన్న నాయకులకు, ప్రజా ప్రతినిధులకు, ముఖ్యంగా గుంటూరు తూర్పు ఎమ్మెల్యే గారికి, 17 వ వార్డు కార్పొరేటర్ గారికి ఈ విషయంలో జోక్యం చేసుకుని స్థానికులు, భక్తుల మనోభావాలను పరిగణనలోకి తీసుకుని న్యాయం చేయాలని కోరుకుంటున్నాను….
ఎవరి రాజకీయ స్వలాభం కోసం ఇలా గ్రూపులు కడుతున్నారు.
40 ఏళ్ల నుంచి ఇక్కడ బాజీ బాబా దర్గా నిషాని ఉన్నది అని స్థానికులు చెబుతున్నారు, నిషాని అంటే తెలియదా వీరికి… పెదకాకాని దర్గాలో కసుమురు దర్గా యొక్క నిషాని, అజ్మీర్ దర్గా యొక్క నిషాని, గుంటూరులో కడప దర్గా నిషాని లు ఉన్నాయి… నేడు ఇవి రేపు ….
ఎవడో రాజకీయ క్రీడకు గ్రూపులు కట్టి వేరు చేసి సునకానందం పొందవద్దని మా మనవి….
(గుంటూరు జిల్లా వక్ఫ్ బోర్డు ఇన్స్పెక్టర్ గారు స్పాట్ కు వెళ్లి ఇన్స్పెక్షన్ చేసినప్పుడు చిత్రించిన వీడియో)Posted by Shaik Nagul Meera on Wednesday, 12 October 2022
ऑल्ट न्यूज़ ने शेख मुख्तार बाशा से बात की जिन्होंने साइट का निरीक्षण किया और पुलिस को इसकी सूचना दी. उन्होंने हमें बताया, “जिन लोगों ने दरगाह को गिराया उनके पास कोई अनुमति नहीं थी और उन्होंने प्रशासन से मंजूरी लिए बिना ऐसा किया.” मुख्तार ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि वो ढांचा मंदिर का नहीं था.
17 अक्टूबर को पब्लिश द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में एक धार्मिक स्थल को ‘भाजी भाषा निशानी दरगाह’ कहा गया है. इसमें ये भी ज़िक्र किया गया है कि सभी धर्मों के लोग पिछले 40 सालों से दरगाह पर प्रार्थना करते हैं.
हमें घटना के संबंध में लालापेट पुलिस स्टेशन में पुलिस निरीक्षक प्रभाकर द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में एक न्यूज़ रिपोर्ट भी मिली. उन्होंने बताया कि ये एक सांप्रदायिक मुद्दा नहीं था और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से धार्मिक अशांति को भड़काने का प्रयास करने वालों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
न्यूज़ रिपोर्ट का अनुवाद:
“पटनाम बाज़ार के CI प्रभाकर ने कहा, LR कॉलोनी थर्ड लेन में कुछ लोग ये खबर फ़ैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए बाजी बापू दरगाह तोड़ी गई. जो कोई भी अशांति भड़काने के लिए ये खबर फैला रहा है, CI प्रभाकर उनके खिलाफ़ कार्रवाई करना चाहते हैं. रविवार को लालपेट थाने में बैठक हुई जिसमें CI प्रभाकर ने इस मुद्दे पर बात की. उन्होंने कहा कि दो पक्षों के बीच संघर्ष को भड़काने और क्षेत्र में शांति भंग करने की संभावना है. पूछताछ करने पर पता चला कि जाधा ईसु रत्नम और उनकी पत्नी नागा रत्नम LR कॉलोनी थर्ड लेन के रहने वाले थे और उनके पास 105 वर्ग गज ज़मीन थी और वो 40 साल से वहीं रह रहे थे. 20 साल पहले उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया जिसके बाद जाधा ईसु रत्नम ने अपना नाम बदलकर रहमान रख लिया. कुछ साल बाद, उनकी पत्नी नागा रत्नम की मौत हो गई. उनकी मौत के सालों बाद, रहमान ने अपनी ज़मीन पर एक कब्र बनाई और उस पर झंडे फहराए, साथ ही वहां धार्मिक गतिविधियां करना शुरू कर दिया. उस कब्र को चलाने से उन्हें जो चंदा मिला उससे उन्होंने अपना गुजारा किया. वो अपने आस-पास के लोगों से कहते थे कि उसकी मौत के बाद, उन्हें उस जगह पर एक मस्जिद बनानी चाहिए. 2020 में उनकी मौत हो गई. कुछ दिनों पहले, रहमान की बेटी सत्यवती ने अपने पिता की उस जगह पर मस्जिद बनाने की इच्छा के अनुसार, उस इलाके के मुस्लिम बुज़ुर्गों को घर की चाबियां दे दीं. इस महीने की 12 तारीख को मुस्लिम बुज़ुर्ग मौजूदा स्थल को तोड़ने और रहमान की इच्छा के अनुसार मस्जिद बनाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए इकट्ठा हुए. लेकिन रहमान की भतीजी ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर इसका विरोध किया. उसने जोर देकर कहा कि कब्र की जगह को पहले की तरह संचालित करना जारी रखना चाहिए. इसी चर्चा के बीच तोड़फोड़ शुरू हो चुकी है. पुलिस को मौके पर बुलाया गया और उस समय तक साइट का एक हिस्सा पहले ही तोड़ दिया गया था. पुलिस ने मामले की जानकारी वक्फ़ बोर्ड के निरीक्षक को दी जिन्होंने दोनों पक्षों को निर्देश दिया कि वो साइट पर आगे का काम बंद कर दें. CI प्रभाकर जोर देकर कहते हैं कि ये कोई धार्मिक संघर्ष नहीं है और शांति बनाए रखने के लिए धरना दिया गया है.”
वो इस बात पर भी जोर देते हैं कि “किसी को भी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए धार्मिक अशांति को भड़काने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और ऐसा करने की कोशिश करने वाले को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.”
अंडमान और निकोबार के प्रभारी भाजपा के राष्ट्रीय सचिव Y सत्य कुमार ने ट्वीट करते हुए वीडियो में दिख रही जगह को दरगाह बताया है न कि मंदिर.
The upper caste Ashraf Muslims in AP’s Guntur have demolished with full impunity the dargah revered by BC Nagoor Meera & Dudekula Pasmanda Muslims.
I strongly condemn the act of snatching away the religious rights of BC Muslims & demand strict action against the perpetrators. pic.twitter.com/Wx99dgGmWS
— Y. Satya Kumar (సత్యకుమార్) (@satyakumar_y) October 14, 2022
ऑल्ट न्यूज़ ने गुंटूर शहरी SP आरिफ़ हफीज से बात की जिन्होंने कहा, “ये मंदिर नहीं है. ये एक छोटी सी दरगाह है, असल में ये दरगाह भी नहीं है क्योंकि वहां कोई दफन नहीं है. ये एक मुस्लिम गुरु का छोटा सा स्मारक है. और ये कोई सांप्रदायिक घटना नहीं है. ये उस मोहल्ले के मुस्लिम समुदाय का मसला है कि वहां मस्जिद बननी चाहिए या स्मारक, जस का तस बना रहना चाहिए.”
कुल मिलाकर, मुस्लिम समुदाय के भीतर दो समूहों के बीच ये विवाद हुआ कि मौजूदा स्मारक के स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण किया जाना चाहिए या नहीं. इस विवाद को सोशल मीडिया पर एक सांप्रदायिक ऐंगल देकर शेयर किया गया कि मुस्लिम समुदाय ने एक हिंदू मंदिर तोड़ दिया. हालांकि ये साफ नहीं है कि तोड़ने से पहले असल में क्या हुआ था. लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि वो स्मारक मंदिर नहीं थी.
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