[चेतावनी: वीडियो के दृश्य हिंसक हैं. इसे देखने के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल करें.]
4 अक्टूबर की दोपहर गुजरात के खेड़ा ज़िले के उंधेला में लोगों ने 10 मुस्लिम व्यक्तियों की सार्वजनिक रूप से की गई पिटाई देखी. ये 10 लोग उन 43 लोगों में से थे जिन्होंने कथित तौर पर इस घटना की पिछली रात उसी गांव में आयोजित एक गरबा कार्यक्रम को बाधित किया था. इन लोगों को एक खंभे से बांधा गया था और सादे कपड़े पहने पुलिसकर्मियों द्वारा उन्हें बेंत से मारा जा रहा था. फिर उन्हें पास में तैनात पुलिस वैन में ले जाया गया.
द प्रिंट से बात करने वाले गांव के एक निवासी के मुताबिक, कोड़े मारने से पहले इलाके के हर घर में एक मेसेज भेजा गया था जिसमें स्थानीय लोगों को मौके पर मौजूद होने के लिए कहा गया था. इस घटना को रिकार्ड भी किया गया और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया गया. दर्शकों को ताली बजाते और जयकार करते हुए सुना जा सकता है. वहां भारत माता की जय के नारे भी लगे थे. वीडियो में जिन लोगों को कोड़े मारे जा रहे थे, उन्हें दया की भीख मांगते हुए भी सुना जा सकता है. (आर्काइव)
This is how Gujarat Police treated j!hadis who attacked Garba playing Hindu devotees in Kheda last night.🙌🏻 pic.twitter.com/061UiKp9pp
— Mr Sinha (@MrSinha_) October 4, 2022
पुलिस द्वारा उन व्यक्तियों के साथ किए गए व्यवहार की काफी निंदा की गई जिसे एक्स्ट्राजुडिशियल पनिशमेंट कहा जा सकता है.
The Gujarat police’s use of striking devices such as lathis to beat Muslim men who were tied to a pole by the police themselves is a serious human rights violation and shows their utter disrespect towards rule of law.
1/4https://t.co/06WSGKuiYK— Amnesty India (@AIIndia) October 5, 2022
वीडियो की वजह से बड़े पैमाने पर आक्रोश जताए जाने के बाद, इस घटना में जांच के आदेश दिए गए. इस घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों की पहचान तीन दिन बाद, 7 अक्टूबर को की गई थी. इनमें पुलिस निरीक्षक ए वी परमार शामिल हैं. पिटाई कर रहे लोगों की जेब से फ़ोन और पर्स निकालते नज़र आए एक अन्य व्यक्ति की पहचान उप निरीक्षक डी बी कुमावत के रूप में की गई है. हालांकि, पुलिस अभी वायरल वीडियो में दिख रहे एक और पुलिसकर्मी का नाम नहीं बता पाई है. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस इस घटना को फ़िल्माने वालों के खिलाफ़ भी कार्रवाई करने जा रही है.
एक तरफ इस घटना की निंदा हो रही थी वहीं कुछ लोगों (विशेष रूप से राईट-विंग के साथ जुड़ाव रखने वाले लोग) ने पब्लिकली कोड़े मारने की घटना का जश्न मनाया और यहां तक कि आरोपियों को ‘जिहादी’ भी कहा. रिडर्स ध्यान दें कि ‘जिहादी’ एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल हिंदू कट्टरपंथी अक्सर मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए करते हैं. ट्विटर यूज़र ‘@MrSinha_’ ने ये वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “गुजरात पुलिस ने जिहादियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जिन्होंने कल रात खेड़ा में हिंदू भक्त बनकर वहां हो रहे गरबा पर हमला किया था.” (आर्काइव)
This is how Gujarat Police treated j!hadis who attacked Garba playing Hindu devotees in Kheda last night.🙌🏻 pic.twitter.com/061UiKp9pp
— Mr Sinha (@MrSinha_) October 4, 2022
न्यूज़ 18 के वरिष्ठ संपादक अमन चोपड़ा ने 4 अक्टूबर को चैनल पर प्राइम-टाइम टीवी न्यूज़ शो ‘देश नहीं झुकेंगे देंगे’ के दौरान पुलिस द्वारा की गई सार्वजनिक मारपीट को ‘डांडिया’ बताया. इतना ही नहीं उन्होंने एक बार भी सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने को ग़लत नहीं कहा और निंदा भी नहीं की. उन्होंने इस घटना का समर्थन करते हुए कहा, “गरबे में पत्थरबाज़ी कर रहे थे, पुलिस ने डांडिया खेल दिया उनके साथ.”
‘डांडिया’ एक सामाजिक-धार्मिक लोक नृत्य है जिसे काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इसलिए जब अमन चोपड़ा ने आरोपी की सार्वजनिक पिटाई को ‘डांडिया’ बताया, तो वो साफ़ तौर पर पुलिस के इस कदम की सराहना कर रहे थे.
नीचे, ऑल्ट न्यूज़ ने इस घटना पर उनकी रिपोर्ट कवरेज की डिटेल में जांच की है.
अमन चोपड़ा की रिपोर्ट की जांच
न्यूज़ 18 पर ‘देश नहीं झुकने देंगे’ के 4 अक्टूबर के एपिशोड से अमन चोपड़ा के बातों के शुरूआती डेढ़ मिनट की ट्रांसक्रिप्ट नीचे दी गई है.
“चलिये आपको गुजरात पुलिस का सबसे पहले डांडिया दिखाते हैं. सबसे पहले गुजरात पुलिस का डांडिया आपको दिखाते हैं- फ़ुल स्क्रीन पर तस्वीरें दिखा दीजिए. ये देखिए आप. तस्वीरें देखिए फिर मैं तस्वीर की कहानी सुनाऊंगा. ऑडियो दे दिजिये, भाई आम्बियांस दे दिजिये- गुजरात पुलिस का डांडिया. ये गुजरात के खेड़ा में- पुलिस का डांडिया. पुलिस ने कैसे डांडिया खेला ये देखिए आप. ये कौन लोग हैं, पूरी कहानी सुनाऊंगा, पहले इन तस्वीरों को देखिये आप आराम से. वैसा तो लिख दिया गया तस्वीरों में- खंभे से बांध कर पत्थरबाजों की पिटाई. ये देखिए अब- एक… दो…तीन, गिनिये आप.
गरबे में पत्थरबाज़ी कर रहे थे, पुलिस ने डांडिया खेल दिया इनके साथ. ये भी बता दूं, लोगों के बीच में आरोपियों को गांव लाया गया, तस्वीरें देखिये आप, सिर्फ तस्वीर देखिये ध्यान से. लोगों के बीच में, गांव में लाया गया में सब को. ये तस्वीरें है गुजरात पुलिस की और जिन्हें खंभे से बांध कर पीटा जा रहा है ना, ये देखिए आप, जिन्हें डंडे मारे जा रहे हैं, जो अब माफी मांग रहे हैं- इन्होंने खेड़ा में पहले मज़हबी दादागिरी के ज़रिये गरबा कार्यक्रम बंद करने की कोशिश की और फिर उसके बाद गरबा कार्यक्रम में गरबा खेल रहे लोगों पर पत्थरबाज़ी की इन्होंने. उसके बाद पुलिस गांव लेकर आई सारे आरोपियों को और फिर खंभे से बांध कर डांडिया खेला पुलिस ने.”
न्यूज़18 के वरिष्ठ संपादक अमन चोपड़ा ने अपने 6 मिनट के मोनोलॉग के दौरान, व्यक्तियों की सार्वजनिक पिटाई को बार-बार ‘डांडिया’ शब्द का इस्तेमाल करके संबोधित किया. वीडियो में हिंसा को न सिर्फ ट्रिगर चेतावनी के बिना दिखाया गया था बल्कि कई बार बेवजह भी हाईलाइट किया गया. स्क्रीन पर जो दिखाई जा रही थी, उससे खुश होकर उन्होंने अपने क्रू मेंबर्स से अपने दर्शकों के लिए ‘ऑडियो और आम्बियांस को बेहतर करने’ के लिए कहा. मोनोलॉग में 31 सेकेंड पर अमन चोपड़ा को पिटाई (डंडे) की गिनती करते हुए और अपने दर्शकों से उनके साथ जुड़ने के लिए कहते हुए सुना जा सकता है. अमन चोपड़ा ने अपना मोनोलॉग ट्वीट भी किया जिसका कैप्शन था, ‘गुजरात पुलिस द्वारा ‘डांडिया का नया रूप.’ (आर्काइवl लिंक)
New form of ‘Dandiya’ by Gujrat Police
— Aman Chopra (@AmanChopra_) October 4, 2022
हिंसक वीडियोज़ को दिखाने से पहले अक्सर इसे धुंधला कर दिया जाता है या ट्रिगर चेतावनी/डिस्क्लेमर के साथ प्रसारित किया जाता है. ये सभी सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर मानक है, लेकिन जब नेशनल TV की बात आती है तो ये यकीनन सबसे ज़्यादा ज़रुरी हो जाता है. यहां ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस मामले में न तो कोई डिस्क्लेमर दिखाया गया और न ही वीडियो को धुंधला किया गया था. असल में, मोनोलॉग में 22 सेकेंड पर, अमन चोपड़ा को ये कहते हुए सुना जा सकता है, “ये कौन लोग है ये पूरी कहानी सुनाऊंगा, पहले इन तस्वीरों को देखिये आप आराम से.”
मध्य प्रदेश के मंदसौर में हुए एक गरबा कार्यक्रम में कथित पथराव की एक और घटना के बारे में बात करते हुए अमन चोपड़ा कहते हैं, “… गरबा कार्यक्रम पर पत्थरबाज़ी करने वालों को घर से जुदा कर दिया गया- सर तन से जुदा नहीं, घर से जुदा…” इस तरह के बयान के पीछे का मकसद आप खुद समझ सकते हैं, लेकिन पाठक को पता होना चाहिए कि मंदसौर की घटना में “सर तन से जुदा” के नारे लगाने की कोई रिपोर्ट मौजूद नहीं है. ये कहा जा सकता है कि अमन चोपड़ा द्वारा दिया गया ये विशेष बयान बिना किसी कारण के और भड़काऊ था.
इसके बाद अमन चोपड़ा, कथित तौर पर हिंदू त्योहारों में भाग लेने के लिए अपनी पहचान छुपाने वाले मुसलमानों पर तीखा हमला करते हुए कहते हैं, “हर कोई गरबा कार्यक्रमों में प्रवेश कर सकता है, फिर उन्हें अपनी पहचान छिपाने की क्या ज़रूरत है?” हालांकि, हकीकत उनके इस बयान से बिल्कुल उलट है.
मेनस्ट्रीम मीडिया में रिपोर्ट किया गया था कि गरबा कार्यक्रमों में भाग लेने वाले लोगों के लिए पहचान पत्र अनिवार्य कर दिए गए थे. मध्य प्रदेश की संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर द्वारा ‘लव जिहाद’ के मामलों को रोकने के लिए ये सुझाव दिया गया था. (पहला, दूसरा, तीसरा) गरबा में मुसलमानों के प्रवेश को लेकर चल रही बहस ने उस वक्त एक और आक्रामक मोड़ ले लिया जब ऑपइंडिया की प्रधान संपादक नुपुर शर्मा ने मुसलमानों से “दूर रहने” के लिए कहकर उन्हें गरबा से दूर रखने की सलाह दी.
Dear Muslims, garba is a deeply religious affair – it’s not entertainment. It’s a celebration of Navadurga, of the mighty Devi and her nine forms. If you want to participate, please do ghar wapasi and submit to Maa. Else, pls stay away. Thank you.
— Nupur J Sharma (@UnSubtleDesi) September 29, 2022
4 मिनट 20 सेकेंड पर अमन चोपड़ा ने सार्वजनिक डंडे मारे जाने को ‘इलाज’ (उपचार) बताया. इस तरह के शब्द के प्रयोग का मतलब मानव अधिकारों के घोर उल्लंघन का मौन समर्थन है. फिर वो अपनी प्रोडक्शन टीम को फिर से वीडियो का वॉल्यूम बढ़ाने के लिए कहते हैं ताकि एक उचित ‘माहौल’ बनाया जा सके. 5 मिनट 17 सेकेंड से 5 मिनट 58 सेकंड तक चलने वाले एक मोनोलॉग में अमन चोपड़ा ठीक 7 सेकंड के लिए सार्वजनिक रूप से डंडे मारने की गैरकानूनी प्रक्रिया के बारे में बताते हैं. हालांकि, ये पूरी तरह निश्चित नहीं है, क्योंकि वो कहते हैं कि क्या सार्वजनिक रूप से डंडे मारना उचित है इसके जवाब पर बहस की जा सकती है.
मोनोलॉग के बाद राजनीतिक विश्लेषक शिवम त्यागी, जिनके मुताबिक वो भारतीय जनता पार्टी के लिए काम करते हैं, मुस्लिम धर्मगुरु साजिद रशीदी, राजनीतिक विश्लेषक रिजवान अहमद, विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल, वकील सुबुही खान, इस्लामिक जानकार अतीक उर रहमान के साथ एक घंटे की बहस होती है. अमन चोपड़ा बार-बार मुस्लिम पैनलिस्टों से इस तरह के सवाल पूछते हैं कि “मुस्लिम युवा गरबा में इतनी गहरी दिलचस्पी क्यों लेते हैं?” और “हिंदू त्योहारों में प्रवेश करने के लिए मुसलमानों को अपना नाम बदलने की ज़रुरत क्यों पड़ती है?” 15 मिनट 10 सेकेंड पर, सुबुही खान, जो खुद को ‘सनातनी मुस्लिम’ बताती हैं, कहती है कि मुस्लिम युवा गरबा में रुचि रखते हैं क्योंकि हिंदू महिलाएं इस उत्सव के लिए तैयार होती हैं. इस समय, अमन चोपड़ा, सुबुही खान के साथ सहमति जताते हुए कहते हैं कि “कांवर यात्रा में नहीं जाते ये लोग.”
शो में इस पॉइंट पर वो अपने एक पैनलिस्ट से कुछ छोटी-मोटी घटनाओं की वज़ह से मुसलमानों को ‘जनरलाइज़ न करने’ के लिए कहते हैं.
यूट्यूब वीडियो में 38 सेकेंड पर अमन चोपड़ा, पैनलिस्ट अतीक उर रहमान पर “जय मां दुर्गा” कहने के लिए दबाव डालते हैं, क्योंकि बाद में दावा किया गया कि वो जितना हो सके लिबरल रहने की कोशिश करते हैं. 45 मिनट 2 सेकेंड पर फिर से, अमन चोपड़ा ने साजिद रशीदी को “जय श्री राम” कहने की चुनौती दी. सुबुही खान और विनोद बंसल को अमन चोपड़ा की मांग को दोहराते हुए सुना जा सकता है.
वीडियो के इस हिस्से में चैनल पर दिखाए जा रहे टिकर में “गरबा पर पत्थरबाज़ी, अपराध या जिहाद?” जैसे टेक्स्ट चलाए.
इस सेगमेंट को राकेश स्पाइसेस, गोल्डी मसाला, पतंजलि, अनएकेडमी, मनीकंट्रोल और अन्य कॉरपोरेट ब्रांड्स ने प्रायोजित किया था. शो को वी-गार्ड, सिएट, ड्यूलक्स, निवा द्वारा को-पॉवर्ड और MDH और पतंजलि द्वारा को-प्रजेंट किया गया था.
ऑल्ट न्यूज़ ने क्वीर राइट्स एक्टिविस्ट इंद्रजीत घोरपड़े से संपर्क किया जिन्होंने ‘देश नहीं झुकने देंगे’ के 4 अक्टूबर के एपिशोड में इस्तेमाल की गई हेट स्पीच के बारे में न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDSA) में शिकायत दर्ज कराई थी. उनकी शिकायत के जवाब में, NBDSA के अनुपालन अधिकारी क्षिप्रा जटाना ने कहा कि मेजबान अमन चोपड़ा द्वारा पुलिस की कार्रवाई की गैरकानूनी प्रक्रिया को सही नहीं ठहराया गया था. क्षिप्रा जटाना के मुताबिक, शो की शुरुआत में “ऐंकर ने कहा था कि पुलिस को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए था और कुछ कथित रूप से आरोपी बदमाश, जो कार्यक्रम में पथराव की घटना में शामिल थे, उनकी पिटाई नहीं करनी चाहिए थी.”
ऑल्ट न्यूज़ ने इस रिपोर्ट में पहले ही पुलिस को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए अमन चोपड़ा द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों को बताया है क्योंकि उन्होंने पुलिस हिंसा की गैरकानूनी प्रक्रिया को बताने के लिए 6 मिनट के मोनोलॉग में सिर्फ 7 सेकंड दिए.
क्षिप्रा जटाना ने आगे कहा, “बहस के दौरान ऐंकर ने पैनलिस्टों से भी पूछा कि पुलिस कानून को अपने हाथ में कैसे ले सकती है और आरोपी को पीटने की ऐसी कार्रवाई कैसे कर सकती है.”
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि उनका ये बयान सच्चाई से उलट है.
डिबेट में लगभग 47 मिनट पर, अमन चोपड़ा ने पैनलिस्ट शिवम त्यागी से खेड़ा में पुलिस द्वारा किए गए “इलाज” के बारे में थोड़े सवाल किए. जवाब में, शिवम त्यागी ने कहा कि जिस किसी ने भी ऐसा व्यवहार किया जैसा कि खेड़ा के लोगों ने कथित तौर पर किया था, उसके साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा. शिवम त्यागी ने तब राजस्थान में यौन उत्पीड़न के एक कथित मामले में संदिग्ध मुस्लिम युवकों द्वारा कथित रूप से छुरा घोंपने की घटना का ज़िक्र किया. अमन चोपड़ा ने पूछा, “तो, मौके पर ही निर्णय लिया जाना चाहिए? सड़क पर लाठी?” इसके बाद अमन चोपड़ा ने “पुलिस के कदम की निंदा करते हुए” सार्वजनिक रूप से डंडे मारे जाने को डांडिया बताया.
इस कार्रवाई को ‘इलाज’ बताए जाने के अलावा बहस के दौरान एक बार भी पुलिस द्वारा की गई गैरकानूनी कार्रवाई चर्चा में नहीं आई.
अमन चोपड़ा का संदेहपूर्ण भेदभाव
ये पहली बार नहीं है जब अमन चोपड़ा ने मुसलमानों के खिलाफ़ भड़काऊ टिप्पणी की है. 6 अक्टूबर के ‘देश नहीं झुकने देंगे’ का एपिशोड के दौरान अमन चोपड़ा ये कहते हुए दिखे कि उन साधुओं की “टारगेट लिंचिंग” की गई थी, जिन पर बच्चों के अपहरण का शक हुआ था. बहस के दौरान, एक पैनलिस्ट ने परोक्ष रूप से मुसलमानों पर साधुओं पर हमला करने का आरोप लगाया और कहा कि “संत जिहाद” सनातन धर्म को दबाने की साजिश थी. उन्हें ये कहते हुए भी सुना जा सकता है, “हम कैसे यकीन करें कि साधु पर हमला करने वाली भीड़ लव जिहाद वाली भीड़ नहीं थी?” अमन चोपड़ा ने अपने पैनलिस्ट को अपने शो पर इस सांप्रदायिक नफ़रत उगलने से रोकने की कोई कोशिश नहीं की.
Aman Chopra does a show on Child Kidnapping. One of the panellist in the debate indirectly blames Muslims for attacking Sadhus (Sant Jihad, Baccha Jihad, Love Jihadi)
The anchor doesn’t bother to stop her. pic.twitter.com/iveUsZZo51— Mohammed Zubair (@zoo_bear) October 8, 2022
जब एक अन्य पैनलिस्ट ने दावा किया कि प्रसारित किए जा रहे वीडियो में भीड़ में किसी को भी टोपी पहने नहीं देखा गया था, तो अमन चोपड़ा ने इस मामले में कभी भी सांप्रदायिक ऐंगल का ज़िक्र करने से इनकार किया. ऐसा करने पर वो अपने पैनलिस्ट को फटकार भी लगाते हैं.
लेकिन इस कार्यक्रम में चलाए जाने वाले टिकर गौर करने वाले हैं:
1. “बच्चा चोर की अफ़वाह या निशाने पर भगवा”
2. “सनातन से बदला साधुओं पर सीरियल हमला”
Aman Chopra does a show on Child Kidnapping. One of the panellist in the debate indirectly blames Muslims for attacking Sadhus (Sant Jihad, Baccha Jihad, Love Jihadi)
The anchor doesn’t bother to stop her. pic.twitter.com/iveUsZZo51— Mohammed Zubair (@zoo_bear) October 8, 2022
ऑल्ट न्यूज़ ने बच्चों के अपहरण के कई स्क्रिप्टेड वीडियोज़ की पड़ताल की है. इन वीडियोज़ के आमतौर पर लाखों व्यूज़ होते हैं और इनसे लोगों में दहशत पैदा होती है. सबसे प्रासंगिक बात ये है कि अमन चोपड़ा के कवरेज में ये नहीं बताया गया कि साधु, फकीर, ट्रांस व्यक्तियों, और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों साथ ही निर्दोष लोग अक्सर लिंचिंग के शिकार बनते हैं.
अमन चोपड़ा ने अपने प्राइम टाइम शो में अल्पसंख्यकों के खिलाफ पुलिस की हिंसा का जश्न मनाने के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, वो कोई अनोखा मामला नहीं है. समय-समय पर, अल्पसंख्यक, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक के खिलाफ़ हिंसक कार्यों को कई न्यूज़ आउटलेट्स द्वारा महिमामंडित किया गया है. उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा और शब्द हिंसा को न्यायसंगत और सामान्य बनाती है. असल में वो कानून की उचित प्रक्रिया के बजाय भीड़ द्वारा किए गए न्याय के विचार को प्रोत्साहित करते हैं.
अप्रैल 2022 में दिल्ली के जहांगीरपुरी में असंवैधानिक निष्कासन अभियान पर रिपोर्ट करते हुए, अमन चोपड़ा ने गर्व से “बुलडोजर वाला भारत” घोषित किया. मोनोलॉग में उन्होंने “देश मांगे बुलडोजर राज” और “पत्थर जिहादी” जैसे वाक्यों का इस्तेमाल किए था.
16 नवंबर, 2021 को अमन चोपड़ा ने इस आरोप पर एक शो किया था कि भारतीय मुसलमान खाने में थूक रहे हैं. इसमें ‘खाने में थूकना, जिहाद या जहालत?’, या ‘रिवाज-ए-थूक, ये कैसी भुख?’, और हैशटैग #थूकजिहाद जैसे टिकर्स का इस्तेमाल किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में टीवी चैनलों पर डिबेट के ज़रिए हेट स्पीच पर नाराज़गी जताई थी. अदालत ने ‘विजुअल मीडिया’ को ‘हेट स्पीच का मुख्य माध्यम’ कहा और सरकार से सवाल किया कि जब ये सब हो रहा है तो वो एक मूकदर्शक बनकर क्यों खड़ी है और इसे ‘सामान्य मुद्दे’ क्यों मान रही है.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
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