उज्जैन के अठारह साल के अदनान मंसूरी को जुलाई 2023 में जेल की सजा हुई. पांच महीने से ज़्यादा जेल में बिताने के बाद, 15 दिसंबर, 2023 को उसे जमानत दे दी गई थी. आरोप था कि उसने एक हिंदू धार्मिक जुलूस में हिस्सा लेने वालों पर थूका था. उसके खिलाफ़ दर्ज मामले में शिकायतकर्ता और प्रत्यक्षदर्शी अपने शुरूआती बयान से मुकर गए जिसके आधार पर FIR दर्ज की गई थी. शिकायतकर्ता सावन लोट ने अक्टूबर 2023 में एक लिखित गवाही पेश की जहां उन्होंने FIR में लिखे अपने शब्दों से इनकार किया और कहा कि ‘पुलिस ने उनसे उन कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जो उन्होंने लिखे ही नहीं थे.‘ मंसूरी की जमानत दो अन्य आरोपियों, (दोनों नाबालिग) के जुवेनाइल हिरासत से जमानत पर रिहा होने के दो महीने बाद आई.

अदनान मंसूरी को जमानत देते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति अनिल वर्मा ने कहा, “शिकायतकर्ता से ट्रायल कोर्ट के सामने पूछताछ की गई है, लेकिन वो FIR के शुरूआती हिस्से से मुकर गया और अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया और अपनी बात से भी इनकार कर दिया. प्रत्यक्षदर्शी भी मुकर गया और अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया.”

हालांकि, तब तक तीन मुस्लिम युवकों की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई थी और तबाह हो चुकी थी.

गिरफ़्तारी

17 जुलाई, 2023 को दो नाबालिगों सहित तीन मुस्लिम युवकों – 18 साल के अदनान मंसूरी, उसका 13 साल का भाई और एक 15 साल का दोस्त – पर मध्य प्रदेश के उज्जैन में बाबा महाकाल की सवारी में शामिल होने वाले भक्तों पर पानी का कुल्ला थूकने का आरोप था. सावन लोट नाम के एक स्थानीय व्यक्ति की शिकायत के आधार पर मामले में FIR दर्ज की गई थी. शिकायतकर्ता ने पहले बताया था कि उन्होंने तीन लड़कों को थूकते हुए देखा था और इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं.

सावन लोट द्वारा शूट किया गया एक वीडियो वायरल हो गया और इस घटना पर रिपोर्ट करते समय कई मीडिया आउटलेट्स ने इसे चला दिया. हालांकि, वीडियो में लड़कों को थूकते हुए नहीं दिखाया गया है. सोशल मीडिया पर, वीडियो को “थूक जिहाद” जैसे कैप्शन के साथ शेयर किया गया था और यूज़र्स ने मध्य प्रदेश सरकार से ‘अधर्मियों’ को सबक सिखाने के लिए बुलडोज़र कार्रवाई करने का आग्रह किया था.

FIR पर कार्रवाई करते हुए, उज्जैन पुलिस ने तीनों को IPC की धारा 295 A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर किया गया काम), 153 A (पूजा स्थल पर किया गया अपराध), 296 (धार्मिक सभा में अशांति फैलाना) और 505 (सार्वजनिक बदमाशी) के तहत हिरासत में लिया. दोनों नाबालिगों को जुवेनाइल हिरासत में भेज दिया गया, जबकि अदनान (जो घटना से कुछ महीने पहले 18 साल का हो गया था) को गिरफ्तार कर लिया गया.

बुलडोज़र ‘न्याय’ की मांग ढोल नगारे के साथ

सिर्फ प्रत्यक्षदर्शी के आधार पर दर्ज मामले में तीन लड़कों को हिरासत में लिए जाने के एक दिन बाद, 19 जुलाई, 2023 को नगर निगम के अधिकारी इमारत के एक ‘अवैध’ हिस्से को ढहाने के लिए अदनान मंसूरी के घर के पास इकठ्ठा हुए. एक अजीब सी कार्रवाई के तहत अधिकारियों ने डीजे संगीत और ढोल बजाते हुए घर तक मार्च किया. अधिकारियों ने ऑटोरिक्शा पर लाउडस्पीकर की भी व्यवस्था की, जहां उन्होंने सार्वजनिक रूप से तीन लड़कों के नामों की घोषणा की. इनमें दो नाबालिग के नाम भी थे. पूरा ऑपरेशन भारी पुलिस की मौजूदगी में चलाया गया.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने रिपोर्ट किया कि अधिकारियों ने बिल्डिंग में होने वाली कथित अनियमितताओं का डिटेल्स देने से इनकार कर दिया था, लेकिन ये कहा कि निवासियों को पहले ही नोटिस जारी कर दिया गया था. हालांकि, स्क्रॉल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उज्जैन नगर निगम के अधिकारियों ने 19 जुलाई को तीन मंजिला घर के गेट पर 18 जुलाई (तोड़ने के दिन) को बेदखली का नोटिस चिपका दिया. ये घोषणा किया गया कि मंसूरी के घर की “बिल्डिंग खतरनाक” थी.

घटनास्थल पर मौजूद ASP आकाश भूरिया ने मीडिया को बताया कि तीनों लड़कों को हिरासत में लेने के बाद उनकी जानकारी नगर निगम और राजस्व विभाग को दे दी गई है. रिकॉर्ड में पाया गया कि अदनान के पिता अशरफ मंसूरी के घर का एक हिस्सा अवैध था, इसलिए उन्होंने इसका एक हिस्सा तोड़ दिया.

शिकायतकर्ता, ‘प्रत्यक्षदर्शी’ द्वारा फ्लिप-फ्लॉप

क्विंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, “शिकायतकर्ता सावन लोट (अपने दोस्त योगेश बागमार और अजय खत्री के साथ) ने पुलिस को सूचना दी कि जुलूस टंकी चौक को पार कर रहा था जब उन्होंने तीन अज्ञात लड़कों को भक्तों पर ‘थूकते’ देखा.

सावन लोट ने द क्विंट को बताया, ‘ये मेरे लिए किसी भी तरह की राजनीति के बारे में नहीं है. मैं एक पावरलिफ्टर हूं – और मैं महाकाल की सवारी में हिस्सा लेने गया था. मैं अपने दोस्तों के साथ टंकी चौक पर था जब मैंने देखा कि कुछ लड़के अपनी छत से जुलूस पर थूक रहे थे. वहां महिला श्रद्धालु भी मौजूद थीं और वे हमलोगों से भी ज़्यादा गुस्से में थीं. इसलिए, हमने वीडियो शूट किया और शिकायत दर्ज की.

हालांकि, जब 28 अक्टूबर को सावन लोट की लिखित गवाही न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपी गई, तो पाया गया कि उसने उसमें कहा था, “मैं आरोपी को नहीं पहचानता. मैं नाबालिगों को भी नहीं पहचानता.” ये ज़िक्र करते हुए कि शाम के समय घटनास्थल पर कुछ बहस हुई थी, उन्होंने अपनी गवाही में लिखा, “पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर कई लोगों को पकड़ रहे थे और उन्हें पुलिस स्टेशन ले जा रहे थे. मुझे भी साथ ले जाया गया. पुलिस स्टेशन में ही मुझे पता चला कि किसी ने जुलूस पर थूक दिया था. मैंने किसी को जुलूस में थूकते नहीं देखा. थाने में पुलिस अधिकारियों ने मुझसे कुछ कागजात पर हस्ताक्षर करने को कहा, इसलिए मैंने ऐसा किया. मुझे नहीं बताया गया कि पेपर में क्या लिखा है.”

इस मामले में एक अन्य चश्मदीद गवाह अजय खत्री नाम का व्यक्ति था जिसने 9 नवंबर, 2023 को एक लिखित गवाही भी पेश की थी. इसमें किसी को भी जुलूस पर थूकते हुए देखने से इनकार किया गया था. उन्होंने ये भी ज़िक्र किया कि शाम को उस जगह अराजकता फैल गई जहां कुछ लोगों ने दावा किया कि किसी ने ‘महाकाल सवारी’ पर थूक दिया था. उनके बयान में कहा गया, “ये सच नहीं है कि मैंने पुलिस को बताया कि इस घटना से मेरी या समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.”

ऑल्ट न्यूज़ ने शिकायतकर्ता सावन लोट से संपर्क किया. टेलीफ़ोन पर बातचीत में उन्होंने हमें बताया कि उन्हें अपने पहले के बयान से इनकार करने या वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उनके परिवार को ‘मौत की धमकियां’ मिल रही थीं. उन्होंने तीन मुस्लिम युवकों के वायरल वीडियो को रिकॉर्ड करने की बात स्वीकार की जिसमें कथित तौर पर उन्हें ‘थूकते’ हुए दिखाया गया था और उन्होंने ये भी ज़िक्र किया कि घटना के दिन, उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्होंने क्या देखा और पुलिस ने कुछ खाली पेपर पर साइन करने के लिए कहा.

सावन लोट ने ये भी कहा कि शुरुआत में, अदनान मंसूरी और दो अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बाद उन्हें स्थानीय हिंदू नेताओं और बजरंग दल के सदस्यों से समर्थन मिला. हालांकि, जब उन्हें और उनके परिवार को धमकियां मिल रही थीं, तब बहुत से लोग उनके लिए खड़े नहीं हुए. उन्होंने आगे कहा कि उनके पिता के अनुरोध पर उन लोगों के खिलाफ़ औपचारिक FIR दर्ज नहीं की जो उन्हें और उनके परिवार को धमकी दे रहे थे. उनके पिता ये चाहते थे कि उनका बेटा और परिवार हर संभव तरीके से इस मामले से दूर रहे.

‘उज्जैन थूक कांड’: मुख्यधारा मीडिया की प्रतिक्रिया

अदनान मंसूरी और दो नाबालिग लड़कों की गिरफ़्तारी, हिरासत और मंसूरी के घर को तोड़ने की ख़बर को कई राष्ट्रीय और स्थानीय मीडिया आउटलेट्स ने व्यापक रूप से कवर किया था. कुछ न्यूज़ चैनल्स ने इसे ‘उज्जैन थूक कांड’ का नाम दिया. इंडिया टुडे, न्यूज़ 18 इंडिया, न्यूज़ 18 राजस्थान, न्यूज़ 18 MP और छत्तीसगढ़, ज़ी न्यूज़ और हिंदुस्तान जैसे मेनस्ट्रीम चैनल ने आरोपियों पर बुलडोज़र कार्रवाई की सराहना करते हुए इसे कवर किया.

शुरुआती टेक्स्ट में से एक में ट्रेनी पत्रकारों और उप-संपादकों को किसी ऐसे अपराध (जिसकी जांच चल रही है) के बारे में बात करते समय ‘कथित’ शब्द का इस्तेमाल करना सिखाया जाता है. तीन मुस्लिम लड़कों के लिए सजा की मांग करते हुए और नागरिक निकाय द्वारा बुलडोज़र पर त्वरित न्याय देने की सराहना करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और एंकर पत्रकारिता नैतिकता के इस मूल आधार को भूल गए.

कई चैनल ने वायरल वीडियो को लूप पर चलाया और दावा किया कि इसमें लड़कों को ‘थूकते’ हुए दिखाया गया है. हालांकि, वीडियो में दिखाया गया कि लड़के अपने घर की बालकनी में खड़े थे और पानी की बोतलें लिए हुए कभी-कभी उनसे पानी पी रहे थे. आर्टिकल 14 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने अदालत में अभियुक्तों के खिलाफ वीडियो साक्ष्य का भी ज़िक्र किया था, लेकिन इसे कभी भी पेश नहीं किया गया.

न्यूज़ 18 इंडिया

न्यूज़18 इंडिया पर अपने प्राइमटाइम शो ‘देश नहीं झुकने देंगे’ में अमन चोपड़ा ने “उज्जैन थूक कांड” पर अपनी रिपोर्ट ये कहते हुए शुरू किया वो जो कहानी दर्शकों को दिखाने वाले थे वो ‘देश के साथ दुश्मनी करने वालों को मिली सजा’ की थी. ‘बुलडोजर कार्रवाई’ पर उनकी टिप्पणियों के साथ एक बड़ा ग्राफिक भी था जिसमें लिखा था: “उज्जैन थूक कांड पर बड़ी सजा”.

अमन चोपड़ा ने बैकग्राउंड में बजते संगीत के साथ अपनी विशिष्ट नाटकीय शैली में घटना का कवरेज जारी रखा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उस घर में रहने वाले लोगों द्वारा किया गया काम कितना ग़लत और शर्मनाक था, जिस घर को बाद में तोड़ा गया. इस कार्यक्रम में वो वायरल वीडियो चलाया गया और अमन चोपड़ा ने कहा कि लड़कों ने ‘जानबूझकर’ महाकाल के जुलूस पर थूका था. उन्होंने आगे बताया कि लड़कों ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और महाकाल बाबा के भक्तों का अनादर करने की कोशिश की और MP सरकार के ‘बुलडोज़र मॉडल’ ने उन्हें इसकी सजा दी.

इससे पहले कि कोई कुछ कहे, अमन चोपड़ा ने ये भी साफ कर दिया कि ‘बुलडोज़र कार्रवाई’ किसी विशेष समुदाय को निशाना नहीं बना रही है. अपने बयान के समर्थन में उन्होंने उस घटना का हवाला दिया जहां भाजपा नेता प्रवेश शुक्ला ने एक दलित व्यक्ति पर पेशाब कर दिया था और मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले में कड़ी कानूनी कार्रवाई की थी. शुक्ला पर भी ‘बुलडोज़र कार्रवाई’ हुई थी.

ज़ी न्यूज़

यूट्यूब पर मौजूद घटना के बारे में ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट का टाइटल है, “भगवान शिव की यात्रा पर थूकने वाले अदनान का घर तोड़ा गया उज्जैन पुलिस की बुलडोज़र कार्रवाई. महाकाल.” वीडियो 19 जुलाई, 2023 को पब्लिश किया गया था.

न्यूज़ प्रज़ेंटर अंकुर भारद्वाज ने 1 मिनट 49 सेकेंड के वीडियो की शुरुआत ये बताते हुए की कि कैसे “महाकाल सवारी का अनादर करना कुछ लोगों को महंगा पड़ा.”

घर तोड़ने की क्लिप और वायरल वीडियो लगातार स्क्रीन पर प्लग किए जाने और एक सनसनीखेज बैकग्राउंड चलने के साथ, अंकुर भारद्वाज ने कहा: उज्जैन में कुछ लोगों का थूकते हुए एक वीडियो वायरल हो गया था. ये सभी लोग छत पर खड़े होकर महाकाल की सवारी पर थूक रहे थे. इस घटिया हरकत को महाकाल की सवारी में मौजूद एक व्यक्ति ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया. ये वीडियो जैसे ही पुलिस के पास पहुंचा तो पुलिस ने आरोपियों को घर से उठा लिया इन्हें घसीटते हुए थाने लाया गया, थाने में इनका उचित इलाज किया गया.”

जैसे ही वायरल वीडियो बैकग्राउंड में चला, एंकर ये बताता रहा कि वीडियो में लड़कों को जुलूस और भक्तों पर थूकते हुए दिखाया गया है. लेकिन सच तो ये है कि ऐसा नहीं हुआ था. और अंकुर भारद्वाज या ज़ी न्यूज़ की संपादकीय टीम को इसकी कोई परवाह नहीं थी.

लाइव हिंदुस्तान

19 जुलाई 2023 को लाइव हिंदुस्तान ने अदनान मंसूरी का घर तोड़े जाने की घटना को कवर किया था. यूट्यूब वीडियो के थंबनेल में लिखा है: “महाकाल सवारी में भक्तों पर थूका, मामा (MP सीएम का ज़िक्र) ने घर पर चलवा दिया बुलडोज़र.”

वीडियो रिपोर्ट में MP सरकार की ‘बुलडोज़र कार्रवाई’ को आरोपियों के खिलाफ ‘सख्त कार्रवाई’ बताया गया है.

इंडिया टुडे

इंडिया टुडे ने भी इस घटना पर एक कार्यक्रम चलाया. इसके यूट्यूब चैनल पर बुलेटिन का टाइटल है, “पवित्र महाकाल यात्रा पर तीन लोगों के थूकने के बाद मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह सरकार द्वारा बड़ी कार्रवाई.” कार्यक्रम की मेजबानी करने वाले एंकर ने ‘कथित’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, भले ही मामले में मुकदमा भी शुरू नहीं हुआ था, सजा तो दूर की बात है. वीडियो में लड़कों की वायरल क्लिप भी प्लग की गई, जिसमें एंकर ने झूठा जोर दिया कि इसमें उन्हें थूकते हुए दिखाया गया है.

रिपब्लिक भारत

अर्नब गोस्वामी के नेतृत्व वाले रिपब्लिक टीवी के हिंदी आउटलेट रिपब्लिक भारत ने भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा का एक बयान अपलोड किया, जहां उन्होंने मामले में त्वरित कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया. वीडियो रिपोर्ट का टाइटल है: “बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा बोले-महाकाल की सवारी पर थूकने वालों के मकान भी तोड़ेंगे और…| उज्जैन.” विधायक आगे कहते हैं, ”मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार है और दिल्ली में नरेंद्र मोदी की सरकार है. हम चोरों, देशद्रोहियों और धार्मिक जुलूसों पर थूकने वालों को बिरयानी नहीं देंगे.

प्रॉपगेंडा आउटलेट ऑपइंडिया

राईट विंग प्रॉपगेंडा आउटलेट ऑपइंडिया ने इस मामले पर एक ख़बर पब्लिश की जिसका टाइटल था, “मध्य प्रदेश: उज्जैन प्रशासन ने अदनान मंसूरी के घर पर बुलडोज़र चला दिया, उसने और दो अन्य लोगों ने एक हिंदू धार्मिक जुलूस पर थूका था.” स्टोरी में कहा गया, “हिंदू धार्मिक जुलूस ‘महाकाल की सवारी’ पर छत से थूकने वाले तीन आरोपियों में से एक के घर को बुधवार (19 जुलाई) सुबह बुलडोज़र से तोड़ दिया गया.” इस स्टोरी में एक बार भी ‘कथित’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसमें बार-बार ज़िक्र किया गया है कि तीनों ने जुलूस पर ‘थूका था.’

शिकायतकर्ताओं के पलटने पर कोई रिपोर्ट नहीं: मेनस्ट्रीम मीडिया का इतिहास रहा है

हमने ऊपर बताए सभी आउटलेट्स के ट्विटर और यूट्यूब पेज की जांच की और पाया कि अदनान मंसूरी की जमानत के बाद दो हफ्तों में उनमें से किसी ने भी इसकी सूचना नहीं दी. न ही उनमें से किसी ने इस फैक्ट को बताया कि प्रत्यक्षदर्शी और शिकायतकर्ता अपने पहले के ‘बयानों’ से पलट गए. डेट फ़िल्टर के साथ सर्च रिजल्ट में इंडिया टुडे, न्यूज़ 18 इंडिया, ज़ी न्यूज़, लाइव हिंदुस्तान, रिपब्लिक भारत और प्रोपगंडा आउटलेट ऑपइंडिया के रिपोर्ट यहां देखे जा सकते हैं.

हमने फ़िल्टर के साथ गूगल पर अंग्रेजी (1, 2) और हिंदी (1, 2) दोनों में सबंधित की-वर्डस सर्च किया. हमें इससे संबंधित कोई रिपोर्ट नहीं मिली. इन्हीं आउटलेट्स ने आरोपियों के खिलाफ पूरी ताकत झोंक दी थी और किसी भी तरह की सुनवाई होने से पहले ही उन्हें दोषी घोषित कर दिया था.

जबकि हर मीडिया आउटलेट को संपादकीय निर्णय लेने होते हैं कि क्या कवर करना है और क्या नहीं कवर करना है. इस मामले में, जमानत की गैर-रिपोर्टिंग और इससे भी ज़रुरी बात ये है कि शिकायतकर्ता का मुकरने से पत्रकारिता में नैतिकता की साफ कमी और आरोपियों के प्रति पूर्वाग्रह का पता चलता है जिनमें सभी आरोपी मुस्लिम थे. उनमें से दो नाबालिग थे और यदि झूठी शिकायत के आधार पर उनका जीवन उलट-पुलट हो गया है, तो किसी भी मीडिया आउटलेट का कर्तव्य बन जाता है कि वो गवाह और शिकायतकर्ता के मुकरने के परिणामों की रिपोर्ट करे. इसके अलावा, कानून-प्रवर्तन एजेंसियों पर सवाल उठाना भी लगभग अनिवार्य हो जाता है, जो अपनी कार्रवाई पूरी तरह से शिकायतकर्ता के बयान के आधार पर करती हैं. उसी शिकायतकर्ता के मुताबिक, जो अपने बयान से उलट गया. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने मामले में बदलाव को ‘आश्चर्यजनक’ बताया.

यहां ये बताना ज़रुरी है कि भारतीय मेनस्ट्रीम न्यूज़ चैनल की किसी कथित अपराध (जिसमें आरोपी मुस्लिम हो) को सनसनीखेज बनाने की उत्सुकता कोई आश्चर्य की बात नहीं है. न ही तीनों की जमानत और शिकायतकर्ता के मुकरने पर रिपोर्ट न करने की कोई नई बात है. मुसलमानों को अपमानित करना पिछले लगभग एक दशक से भारतीय मेनस्ट्रीम मीडिया के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया रही है. इनके उदाहरण इतनी आसानी से मौजूद हैं कि उन्हें कोट करना लगभग बेमानी लगता है. कोविड महामारी की शुरुआत में तब्लीगी जमात का कवरेज ऐसा कुछ है जो तुरंत दिमाग में आता है.

इंडिया टुडे ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाया

15 जनवरी को आर्टिकल 14 नवीनतम अपडेट के साथ इस मामले पर रिपोर्ट पब्लिश करने वाले पहले मीडिया आउटलेट्स में से एक था. इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई ने 16 जनवरी को एक कार्यक्रम की मेजबानी की जिसमें उन्होंने अदनान मंसूरी की जमानत और शिकायतकर्ता और प्रत्यक्षदर्शी द्वारा बयानों से पीछे हटने के बारे में बात की. इंडिया टुडे के ऑफ़िशियल ट्विटर पेज से अपने शो को ट्वीट करते हुए बताया गया: “वास्तविक भारत को जानें: जेल गया, उसके घर पर बुलडोज़र चला, अब पता चला कि एक युवक के खिलाफ मामला झूठे गवाह के दावों के तहत दर्ज किया गया था! देखिए उज्जैन से ये स्टोरी. ऐसी स्टोरीज जो अब आपको न्यूज़ चैनलो के प्राइम टाइम पर देखने को नहीं मिलेंगी.”

कार्यक्रम में राजदीप सरदेसाई ने अदनान मंसूरी के साथ हुए बर्ताव की आलोचना की. उन्होंने पूछा, उन्हें वे 151 दिन कौन लौटाएगा जो उन्होंने जेल में बिताए और वह घर जो बुलडोज़र से ढहा दिया गया. हालांकि, इंडिया टुडे मेनस्ट्रीम के राष्ट्रीय न्यूज़ चैनलों में से एक था, जिसने जुलाई 2023 में विध्वंस को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा एक ‘बड़ी कार्रवाई’ कहा था.

उज्जैन पुलिस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं

ऑल्ट न्यूज़ ने इस मामले के संबंध में SP और ASP से कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. जब भी वे हमसे बात करेंगे, ये स्टोरी अपडेट की जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस ने उज्जैन के SP सचिन शर्मा के हवाले से कहा, “ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से अभियोजन पक्ष के गवाह मुकर जाते हैं. ऐसा कभी-कभी होता है.” जब पूछा गया कि गवाहों ने ये क्यों दावा किया कि उनसे बिना पढ़े कागजों पर हस्ताक्षर करवाए गए, तो शर्मा ने कहा, “हत्या के मामलों में भी गवाह मुकर जाते हैं. इसका मतलब ये नहीं कि हत्या नहीं हुई है.”

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