सोशल मीडिया पर एक वीडियो इस दावे के साथ वायरल है कि संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशन) की सेना ने ISIS के टेंट्स से 38 महिलाओं को बचाया है जिन्हें वहां आतंकवादी ग्रुप द्वारा सेक्स स्लेव के रूप में रखा गया था. ये भी दावा किया गया है कि ये महिलाएं भारत और बांग्लादेश से हैं और इनमें से ज़्यादातर हिंदू हैं. कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस घटनाक्रम को फ़िल्म ‘द केरला स्टोरी’ से जोड़ा और कहा कि इस तरह फ़िल्म में किए गए दावे सही साबित होते हैं.
कई यूज़र्स ने ये वीडियो शेयर किया जिसमें आर्मी-स्टाइल वाले प्रिंट की वर्दी पहनी कुछ महिलाओं को एक टेंट में घुसते हुए देखा जा सकता है. वहां उन्हें दो लड़कियां जंजीर से बंधी हुई मिलती हैं. उन्होंने लड़कियों की जंजीर खोली और चेक किया कि कहीं उन्हें चोट तो नहीं लगी है.
ट्विटर ब्लू यूज़र अनामिका सिंह ने ये वीडियो 26 मई को इस कैप्शन के साथ ट्वीट किया: “संयुक्त राष्ट्र सेना ने ISIS के टेंट पर हमला किया और भारत और बांग्लादेश की 38 सेक्स स्लेव (गुलाम) महिलाओं को बचाया – बहुसंख्यक हिंदू लड़कियां. जो लोग *द केरला स्टोरी* फ़िल्म पर विश्वास नहीं करते, उनके लिए ये सबूत है. देखिए कैसे लड़कियों को जंजीरों से बांधा गया है.” इस ट्वीट को करीब 8 हज़ार व्यूज़ मिले हैं. (आर्काइव)
UN Army attacks ISIS tent, army and rescues 38 sex enslaved women from India and Bangladesh – majority Hindu girls.
For those who don’t believe *The Kerala Story* film, this is the proof. Look at the way the girls have been chained pic.twitter.com/hkbHiN0iI2
— Anamika Singh (@AnamikasinghIN) May 26, 2023
जितेंद्र सिंह, जो अपने फ़ेसबुक बायो के मुताबिक, एक डिजिटल क्रिएटर हैं, ने 25 मई को इसी कैप्शन के साथ ये वीडियो पोस्ट किया. उनके पोस्ट को 200 से ज़्यादा बार शेयर किया गया है.
एक और ट्विटर हैन्डल ‘@CBShukla3‘ ने भी 25 मई को इसी तरह के दावे के साथ ये वीडियो ट्वीट किया. (आर्काइव)
UN Army attacks ISIS tent, army and rescues 38 sex enslaved women from India and Bangladesh – majority Hindu girls.
For those who don’t believe *The Kerala Story* film, this is the proof. Look at the way the girls have been chained pic.twitter.com/tVxlfYJ7F5
— C. B. Shukla (@CBShukla3) May 25, 2023
कई और यूज़र्स ने ये क्लिप इसी तरह के कैप्शन के साथ ट्विटर और फ़ेसबुक पर शेयर की है:
फ़ैक्ट-चेक
वायरल वीडियो के फ़्रेम में ऑल्ट न्यूज़ को एक लोगो दिखा. इसमें एक रेड स्टार और ‘YPJ NAVENDA RAGIHANDINE’ टेक्स्ट है. की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें वेबसाइट ‘द कुर्दिश प्रोजेक्ट‘ मिली जिसके मुताबिक, YPJ, कुर्द में ‘वुमन प्रोटेक्शन यूनिट्स’ का शॉर्ट फॉर्म है. ये कुर्दिस्तान के सीरियाई क्षेत्र की सशस्त्र बलों की एक महिला ब्रिगेड है जो ISIS से तुर्की-सीरियाई सीमा पर कुर्द शहर, कोबानी को वापस लेने की प्रक्रिया में सहायक रही है.
इसके बाद, हमने वीडियो के कुछ फ़्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च किया. इससे हमें 6 सितंबर 2022 की SDF प्रेस सेंटर की एक रिपोर्ट मिली. SDF का मतलब सीरियन डेमोक्रेटिक फ़ोर्सेस है जो अमेरिका के समर्थन से इस्लामिक स्टेट से लड़ने वाले लगभग 55 हज़ार लड़ाकों का गठबंधन है.
रिपोर्ट के टाइटल में कहा गया है, “द YPJ अल-होल कैंप में कैद चार महिलाओं को आज़ाद कराने का वीडियो.” अल-होल उत्तरी सीरिया का एक रेफ्यूजी कैंप है. इस शिविर को 1991 में स्थापित किया गया था जब इराक में ISIS विरोधी अभियान शुरू हुआ, तब इसे फिर से खोल दिया गया और सीरिया में सीमा पार नागरिकों की भीड़ भेज दी गई थी. शिविर में ज़्यादातर आबादी महिलाओं और बच्चों की है.
रिपोर्ट में 7 मिनट 28 सेकेंड का एक वीडियो भी है जिसे SDF प्रेस सेंटर के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है. वायरल क्लिप यूट्यूब वीडियो के 21 सेकेंड मार्क से शुरू होती है.
हमें YPJ के यूट्यूब चैनल YPJ मीडिया सेंटर पर भी 5 सितंबर, 2022 को पोस्ट किया गया यही वीडियो मिला. कुर्द में लिखे टाइटल में कहा गया है: “YPJ और आंतरिक सुरक्षा बलों ने 4 महिलाओं को छुड़ाया जिन्हें दाएश गिरोहों ने बंदी बना लिया था. #YPJ.”
एक और बार की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें 5 सितंबर 2022 को YPJ का एक ट्विटर थ्रेड मिला जिसमें बचाव अभियान का एक छोटा वीडियो (1 मिनट 54 सेकेंड का) था. (आर्काइव)
In this video you will see how #YPJ forces liberate women in the ongoing campaign against #ISIS cells in al-#Hol camp.
It shows 3 women that where found in a tent, where ISIS women had put their legs in chains. Their bodies showed marks of torture.#Syria #Daesh #SDF #YPG pic.twitter.com/7W2kWOHcYy
— YPJ Information (@YPJ_Info) September 5, 2022
थ्रेड में चौथे ट्वीट में ज़िक्र किया गया है कि रेस्क्यू की गई महिलाएं यज़ीदी समुदाय की थीं जो एक कुर्द धार्मिक अल्पसंख्यक है जो मुख्य रूप से उत्तरी इराक, दक्षिणपूर्वी तुर्की, उत्तरी सीरिया, काकेशस क्षेत्र और ईरान के कुछ हिस्सों में रहते हैं. ये शेंगल (वैकल्पिक रूप से शिंगल या सिंजर के रूप में लिखे गए) शहर से आए थे. और कम उम्र में ही इनका अपहरण कर लिया गया था. बचाए जाने के बाद उन्हें मनोवैज्ञानिक सहायता दी गई.
यहां ये बताना जरूरी है कि अल-होल कैंप में कुछ ISIS महिलाएं हैं. वो इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट की हार और मार्च 2019 में इसके स्वघोषित खिलाफत के पतन के बाद से शिविर में हैं.
कुल मिलाकर, ये दावा झूठा है कि वीडियो में ISIS के टेंट से रेस्क्यू की गईं महिलाएं भारत और बांग्लादेश की हैं. वीडियो 2022 का है और जिन महिलाओं को YPJ बलों ने अल-होल कैंप से बचाया गया, वो यज़ीदी थीं, न कि भारतीय या बांग्लादेशी.
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