कई देशों में फ़रवरी की 14 तारीख को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है. लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस अवसर को शहीद दिवस बताकर शेयर कर रहे हैं. उनका दावा है कि भारतीय स्वतंत्रता सेनानी- भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु इसी दिन शहीद हुए थे.
2019 से शेयर
भारतीय पहलवान बबिता फोगट भी उन में से हैं जिन्होंने2019 में इस दावे को #JaiHind के साथ
ट्वीट किया था.
विडम्बना देखिये कि फोगट के ट्वीट में बायीं तरफ की तस्वीर में भगत सिंह की तस्वीर में ’27 Sep 1907 – 23 March 1931′ लिखा हुआ था लेकिन दायीं तरफ की तस्वीर में 14 फ़रवरी को श्रद्धांजली दिवस बताया गया है.
कई अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स ने ऐसे ही दावे किये और भारतीयों से अनुरोध किया कि वे शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पण करें. व्हाट्सऐप पर भी ये दावा शेयर किया जा रहा है.
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव 23 मार्च, 1931 को शहीद हुए थे
गूगल पर एक आसान सा की-वर्ड्स सर्च से पता चल जाता है कि वायरल दावा झूठा है. कई षडयंत्र के मामलों में आरोपी साबित होने के बाद क्रन्तिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु लाहौर जेल में 23 मार्च, 1931, को फांसी पर लटकाए गए थे. इस घटना को मीडिया ने अच्छी तरह से कवर किया था. ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि 25 मार्च 1931 के
The Tribune के पहले पन्ने पर ही ये खबर छपी थी जिसका टाइटल था, “भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी”
कई किताबों ने भी इन शहीद क्रांतिकारियों के बारे में लिखा है, जिन में यही तारीख बताई गयी है। ये अंश बिपिन चद्र की किताब ‘India’s struggle for independence’’ (पेज नम्बर 240) से लिया गया है।
राजगुरु पर एक किताब में इस दिन का वर्णन किया है।
‘Rajguru: The invincible revolutionary’ में ‘Martyrs’ march into history’ चैप्टर में लिखा गया है-
“सेंटल जेल, लाहौर। मार्च 23, 1931। जेल अधिकारियों के लिए ये एक चौंका देने वाला दृश्य था, क्यूंकि सबको पता था की उनकी फांसी 24 मार्च को सुबह 7 बजे तय हुई थी…मजिस्ट्रेट ने अपनी घड़ी देखी: शाम के 7 33 बजे उसने अपना हाथ उठाया। बोल्ट खींचे गए, जाल दरवाज़ों को झटके से खोला गया। शरीर नीचे की तरफ गिर पड़े और एकाएक रुक गए।”
14 फरवरी, 1931 को क्या हुआ था?
14 फरवरी 1931, को स्वतंत्रता सैनानी पंडीत मदन मोहन मालवीय ने ब्रिटिश भारत के वाइसराय को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के फांसी को रोकने की अपील के लिए तार भेजा था। उस तार का एक अंश
‘Revolutionaries and the British Raj’ नाम की किताब में मौजूद है, जिसमे मालवीय ने कहा,
“मैं महामहिम से दरख्वास्त करता हूँ कि भगत सिंह, राज गुरु और सुखदेव के केस में क्षमा के परमाधिकार का इस्तेमाल कर उन्हें मौत की सज़ा न देकर ज़िंदगी प्रदान की जाए।” -(अनुवादित)
यही जानकारी
बॉम्बे सर्वोदय मंडल/ गाँधी बुक सेंटर की वेबसाइट पर भी मौजूद है,
“14 फरवरी को पंडित मदन मोहन मालवीय ने विसोरी से भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के केस में दया की अपील की और मौत की सज़ा को ज़िन्दगी प्रदान करने की बात की। उनके हिसाब से, उनकी ज़िन्दगी सिर्फ मानवता के तौर पर ही नहीं बख्शी जानी चाहिए थी, वरन इसलिए भी कि ये कोई व्यक्तिगत या स्वार्थी भावना नहीं, लेकिन देश भक्ति में किया हुआ काम था। इसके अलावा, उनकी सज़ा आम जनता के लिए बहुत बड़ा धक्का होगा, और अगर उनकी जान बख्शी जाती है तो काफी फायदेमंद होगा”।
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी पर प्रशस्त साहित्य के बावज़ूद वैलेंटाइन्स डे पर उनकी फांसी की गलत खबर सोशल मीडिया पर लगातार फैलाई जा रही है।
फेक न्यूज़ के पक्ष में विकिपीडिया पेज को भी बदला गया?
14 फरवरी की सुबह को विकिपीडिया पर ‘Martyrs’ Day (India)’ पेज पर लिखा गया था की भारत देश 14 फरवरी को मिलाकर पांच दिन के शहीद दिवस मनाएगा। इस खबर को भी फेक न्यूज़ के पक्ष में शरारती तरीके से संपादित किया गया था।
हालांकि, ये गलत जानकारी अब
ठीक कर दी गयी है।
यह गलत दावा निरंतर प्रसारित
We Support Indian Army नाम के एक फेसबुक ग्रुप पर ये दावा किया गया की तीनों को 14 फरवरी को फांसी दी गयी और इस दावे को 10,000 शेयर्स मिले।
सच्ची बातें+ नाम के फेसबुक पेज पर इस दावे को 1,200 शेयर्स मिले।
I Support Modi पेज पर इस झूठी खबर को मात्र दो घंटे में 900 शेयर्स मिल गए।
ये खबर हर साल वैलेंटाइनस डे पर बार बार
उभर आती है।
ऑल्ट न्यूज़ के ध्यान में इतिहास के साथ ऐसे छेड़छाड़ की कई घटनाएँ कई बार आई है। भले ही वो क्रांतिकारियों को गौरवान्वित करें या उनकी बुराई करें, इसके अंतर्निहित प्रचार को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसलिए, बेहद ज़रूरी है की सोशल मीडिया की ख़बरों को पूरी जांच पड़ताल के बिना विश्वास ना करें।
अनुवाद: ममता मंत्री के सौजन्य से
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