कई सोशल मीडिया यूज़र्स एक महिला के फ़ोटो कोलाज का वीडियो शेयर कर रहे हैं. वीडियो में दिख रही तस्वीरों में से एक में एसिड-अटैक विक्टम की तस्वीर है. कुछ यूज़र्स ने अपराधी को ‘अब्दुल’ बताते हुए दावा किया कि वो एक मुसलमान था. वहीं कुछ यूज़र्स ने आरोपी को ‘रामलाल’ कहकर ये जताया कि अपराधी हिंदू था.

ट्विटर ब्लू यूज़र ‘🇮🇳 रूपेन चौधरी’ (@rupen_chowdhury) ने 25 मई को इस कोलाज वाली क्लिप ट्वीट की जिसमें बैकग्राउंड में वॉइस-ओवर है. इसके ऑडियो में कहा गया है कि जब युवा अपने मां-बाप की बात नहीं सुनते और रोमांटिक रिलेशन रखने का फैसला करते हैं तो उनका जीवन, पढाई करियर सब बर्बाद हो जाता है. रूपेन चौधरी ने ये क्लिप इस व्यंग्यात्मक कैप्शन के साथ ट्वीट की, “मेरा अब्दुल ऐसा नहीं #LoveJihaad.” आर्टिकल लिखे जाने इस ट्वीट को 1 लाख से ज्यादा व्यूज़ मिले हैं और 2 हज़ार से ज्यादा बार रीट्वीट किया गया है. (आर्काइव लिंक)

गौर करें कि ‘अब्दुल’ शब्द का इस्तेमाल मुस्लिम व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो हिंदू महिलाओं को रोमांटिक रिश्तों में ‘फंसाते’ हैं. इसे राइट विंग यूज़र्स ‘लव जिहाद’ की घटना बता रहे हैं. “मेरा अब्दुल ऐसा नहीं है”, ये मुहावरा अक्सर राइट विंग यूज़र्स उन हिंदू महिलाओं को टारगेट करने के लिए इस्तेमाल करते हैं जिनका सबंध अंतर-धार्मिक है. ये एक विक्टिम-ब्लेमिंग नैरेटिव को बढ़ावा देता है.

दूसरी ओर ट्विटर द्वारा सस्पेंडेड अकाउंट अमीरा आफ़रीन (@Afreen_khan02) ने भी 27 मई को ये कोलाज का क्लिप ट्वीट किया था जिसमें कहा गया था कि एक हिंदू व्यक्ति (रामलाल नामक) इस घटना का अपराधी है. इस कोलाज को हिंदी कैप्शन के साथ शेयर किया गया था: “इसका बाला रामलाल भी ऐसा वैसा नहीं था…पेंटर था…क्या पेंटिंग की है…बधाइयां बेशुमार…” अकाउंट सस्पेन्ड होने से पहले इस ट्वीट को 1 लाख से ज़्यादा व्यूज़ मिले थे और इसे 100 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया था. (आर्काइव)

This slideshow requires JavaScript.

गौरतलब है कि जहां अमीरा आफ़रीन का अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया, वहीं रूपेन चौधरी का ट्वीट और अकाउंट अभी भी लाइव है. ट्वीट के नीचे कमेंट सेक्शन, असंवेदनशील कमेंट्स से भरा हुआ है जिसमें पीड़िता को दोषी ठहराने और मुस्लिम विरोधी दावे किए गए हैं.

RAJ NAGAR BJP (@TrendRajnagar) सहित कई और सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी इन्ही ट्वीट्स की तरह ऐसे ही दावों के साथ ये तस्वीर ट्वीट की. फ़ेसबुक पर भी ये क्लिप वायरल है. ज़्यादातर यूज़र्स ने अपराधी को मुस्लिम बताया. वहीं फ़ेसबुक पर ‘भगवा लव ट्रैप’ नामक एक ग्रुप ने अपराधी को ‘रामलाल’ बताते हुए तस्वीरें शेयर कीं.

This slideshow requires JavaScript.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे की सच्चाई जानने के लिए वायरल तस्वीर के कोलाज को रिवर्स इमेज सर्च किया. और हमें कई न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं.

यूके टैब्लॉइड मेट्रो में 26 जून 2017 की एक रिपोर्ट की हेडलाइन का हिंदी अनुवाद है: “21 वें जन्मदिन पर हुए रैंडम एसिड हमले के बाद छात्रा ने जिंदगी बदल देने वाले चोट दिखाई.” पीड़िता का नाम रेशम खान बताया गया है और ये घटना 21 जून 2017 को हुई थी. उस दिन उसका 21वां जन्मदिन था और वो अपने चचेरे भाई जमील मुख्तार के साथ जश्न मनाने के लिए जा रही थी. उनकी गाड़ी लंदन के एक ट्रैफ़िक सिग्नल, बेकटन पर रुकी थी. उसी वक्त एक आदमी ने खुली खिड़की से एक कोरोसीव सब्सटैंस फेंका जिससे रेशम का चेहरा जल गया और जमील भी गंभीर रूप से घायल हो गया.

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि रेशम ने घटना के बारे में ट्वीट किया था. हमें 24 जून 2017 को रेशम खान द्वारा पोस्ट किया गया ट्विटर थ्रेड मिला. उनके ट्वीट में भी मेट्रो की रिपोर्ट में बताई गई जानकारियां ही दी गई है. उन्होंने इस हमले से पहले अपनी और अपने चचेरे भाई की एक तस्वीर भी शेयर की थी.

This slideshow requires JavaScript.

थ्रेड के एक और ट्वीट में उन्होंने इवनिंग स्टैंडर्ड की एक न्यूज़ रिपोर्ट का लिंक भी शेयर किया और लिखा, “यही वो आदमी है.” रिपोर्ट में बताया गया था कि पुलिस इस हमले के संबंध में जॉन टोमलिन नामक एक वाइट मैन की तलाश कर रही थी.

9 जुलाई 2017 को बीबीसी ने रिपोर्ट किया कि कैनिंग टाउन के कोलमैन रोड के निवासी जॉन टोमलिन को जानबूझकर गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचाने के शक में गिरफ़्तार किया गया था. इसके अलावा, 20 अप्रैल 2018 को कई न्यूज़ आउटलेट्स ने रिपोर्ट किया कि जॉन टोमलिन को 16 साल की जेल हुई थी. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि पीड़िता और टॉमलिन एक-दूसरे को नहीं जानते थे और सजा सुनाने वाले न्यायाधीश ने हमले को “समव्हॉट रैंडम” बताया.

कुल मिलाकर, एसिड अटैक पीड़िता की जो तस्वीरें शेयर की जा रही हैं, वो रेशम खान की हैं जिन पर लंदन में जून 2017 को जॉन टोमलिन ने हमला किया था. टोमलिन अब जेल में है और जांच के दौरान इस घटना के पीछे कोई सांप्रदायिक मकसद नहीं पाया गया. यानी, ये दावा बिल्कुल झूठा है कि ये एक सांप्रदायिक घटना थी.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.