ट्रिगर चेतावनी: मोलेस्टेशन

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें दो लड़कियों के साथ कई लड़के छेड़खानी कर रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ये पश्चिम बंगाल की हालिया घटना का वीडियो है. वीडियो छेड़खानी की घटना को अंज़ाम देने वाले लड़कों ने खुद शूट किया है. दोनों लड़कियां भागने की कोशिश करती हैं. लेकिन लड़के उन्हें पकड़ लेते हैं और उन्हें गालिया देते हैं.

ट्विटर ब्लू प्रोफ़ाइल और 21 हज़ार से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स वाले सैंडी (सुदीप) ने 17 मई को ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “ये पश्चिम बंगाल में हिंदू लड़कियों की स्थिति है जहां ममता बनर्जी मुख्यमंत्री हैं. कोई कानून व्यवस्था नहीं. रोहिंगा इसमें शामिल हैं. कृपया इस वीडियो को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाएं ताकि ये हमारे गृह मंत्री अमित शाह जी तक पहुंच सके.” आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 1 लाख से ज़्यादा बार देखा गया और 1,600 बार रिट्वीट किया गया है. (आर्काइव लिंक)

कई और सोशल मीडिया यूज़र्स ने ये वीडियो इस कैप्शन के साथ शेयर किया: “*पश्चिम बंगाल* *दिल दहला देने वाला दृश्य* *मुस्लिम युवकों द्वारा* *दलित हिन्दू बच्चियों के साथ* *ये प्रतिदिन हो रहा है* *कल ये आपके शहर, राज्य या गली मोहल्लो भी हो सकता है* *ये रुक भी सकता है* *अगर सत्ता, योगीजी, हेमंत बिस्वा* *जैसे मज़बूत नेताओं के हाथों में हो*.”

ट्वीटर पर 18 हज़ार से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स वाले ट्विटर ब्लू यूज़र, पंकज पंडित ने इन्हीं दावों के साथ 12 मई को ये वीडियो ट्वीट किया. (आर्काइव)

एक और ट्विटर यूज़र मनोज श्रीवास्तव ने इसी कैप्शन के साथ ये वीडियो ट्वीट किया. इन्होंने पहले भी कई बार ग़लत सूचनाएं शेयर की हैं. आर्टिकल लिखे जाने तक इस वीडियो को 300 से ज़्यादा रीट्वीट और 200 से ज़्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. (आर्काइव)

कुछ और हैंडल्स ने भी इन्हीं दावों के साथ ये वीडियो ट्वीट किया.

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फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने वीडियो के फ़्रेम को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें 29 मई 2017 का डेक्कन हेराल्ड का आर्टिकल मिला. इस आर्टिकल में वायरल वीडियो का स्क्रीन ग्रैब था. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये घटना उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले की है.

की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें मई 2017 की ऐसी और रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें बताया गया था कि वीडियो रामपुर में हुई एक घटना का है. आजतक की वीडियो रिपोर्ट आगे आर्टिकल में देखी जा सकती है.

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ABPLive की 30 मई, 2017 की रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 आरोपियों में से 11 को गिरफ़्तार कर लिया गया है. जबकि एक ने आत्मसमर्पण कर दिया है और दो फ़रार हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि उन पर ‘द दलित एक्ट’ के तहत आरोप लगाए गए हैं.

ये वीडियो 2022 में भी वायरल हुआ था जब उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव हो रहे थे. रामपुर पुलिस के सोशल मीडिया सेल ने एक बयान शेयर किया जिसमें लिखा था, “वीडियो के सबंध में रामपुर पुलिस स्पष्ट करती है कि उक्त वीडियो के संबंध में, तत्काल सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर अभियुक्तों को तुरंत गिरफ़्तार किया गया तथा आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (NSA) भी लगाया गया था.” (आर्काइव)

ट्विटर पर यूपी पुलिस के फ़ैक्ट-चेक हैंडल ने भी इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि ये वीडियो 2017 का है. (आर्काइव)

लिहाजा ये साफ है कि जिस दावे के साथ वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है, वो भ्रामक है. ये वीडियो 2017 का है, साथ ही ये उत्तर प्रदेश का है न कि पश्चिम बंगाल का.

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