सोशल मीडिया पर कुछ लोगों के बोरियां उठाकर चलने की एक तस्वीर उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद राहत कार्य में जुटे RSS कार्यकर्ताओं की बताकर शेयर की जा रही है. फ़ेसबुक पेज ‘Rss’ ने ये तस्वीर एक लंबे मेसेज साथ पोस्ट की है. दावा है कि उत्तराखंड के चमोली में आयी आपदा के बाद पिछले 3 दिनों से RSS कार्यकर्ता खाद्य से भरी बोरियां उठाकर राहत कार्य में लगे हुए है. Rss के पोस्ट के मुताबिक, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जंवाज़ों ने पिछले 3 दिनों से मोर्चा संभाल रक्खा है… कोई भूखा न मरे… कोई बीमारी से न मरे…”. आर्टिकल लिखे जाने तक इस पोस्ट को 1,200 बार शेयर किया जा चुका है. (आर्काइव लिंक)
चमोली… तपोवन !! लगभग 13 गांवो के तो अवशेष ही बचे हैं… सैकड़ों स्त्री-पुरुष-बच्चे खुले में पड़े हैं… दिन जैसे तैसे कट…
Posted by Rss on Wednesday, 10 February 2021
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर पी सिंह ने भी ये तस्वीर इसी दावे के साथ ट्वीट की है. (आर्काइव लिंक)
चमोली तपोवन के लगभग 13 गांवो के तो अवशेष ही बचे है पुल बह चुका है सड़कों का नामोनिशां नहीं ऐसे में खाद्यों से भरी बोरियां कंधे पर उठाए @RSSorg के स्वयंसेवको ने मोर्चा संभाल रक्खा है ताकि कोई भूखा न सोये न ही कोई बीमारी से मरे। #UttarakhandGlacierBurst pic.twitter.com/Pnh4162l64
— R.P. Singh: ਆਰ ਪੀ ਸਿੰਘ National Spokesperson BJP (@rpsinghkhalsa) February 11, 2021
भाजपा नेता और अभिनेता परेश रावल ने भी ये तस्वीर कोट ट्वीट की है. (आर्काइव लिंक)
Any calamity Anywhere In India . #RSS is the first one to reach there and Last one to leave . Always.Respect. https://t.co/52sY4hS3fO
— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) February 11, 2021
फ़ेसबुक और ट्विटर पर और भी कई यूज़र्स ये तस्वीर पोस्ट कर रहे हैं. ऑल्ट न्यूज़ के ऑफ़िशियल मोबाइल ऐप पर इस तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए रीक्वेस्ट भी आई है.
फ़ैक्ट-चेक
आसान से गूगल रिवर्स इमेज सर्च से हमें ये तस्वीर 1 जुलाई 2013 के संवाद के आर्टिकल में मिली. ये आर्टिकल उस वक़्त उत्तराखंड में आई भारी बारिश के बाद रिलीफ़ कैम्प चला रहे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में है. रिपोर्ट के मुताबिक, अलग-अलग जगहों पर 15 रिलीफ़ कैम्प चलाए जा रहे थे. और तकरीबन 5 हज़ार स्वयंसेवक बाढ़ग्रस्त इलाके में काम कर रहे थे.
की-वर्ड्स सर्च से हमें 1 जुलाई 2013 के एक ब्लॉगपोस्ट में भी ये तस्वीर मिली.
19 जून 2013 की RSS की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में आयी इस कुदरती आपदा के दौरान बचाव कार्य में सेना के साथ RSS और VHP ने भी हिस्सा लिया था. द हिन्दू ने भी 26 जून 2013 को इस बारे में खबर दी थी.
RSS से जुड़े राजेश पदमर ने 20 जून 2013 की प्रेस रिलीज़ ट्वीट की थी. इस प्रेस रिलीज़ में बताया गया है कि उत्तराखंड में उस वक़्त आई बाढ़ के दौरान स्वयंसेवक हर रोज़ ज़रूरी खाने की चीज़ें बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंचाते थे.
RSS Press Release (in Hindi) from Ground Zero: Uttarakhand Calamity Relief Committee. pic.twitter.com/QFohtV84a9
— Rajesh Padmar (@rajeshpadmar) June 20, 2013
यानी, RSS स्वयंसेवकों के बचाव कार्य की वायरल हो रही तस्वीर हकीकत में साल 2013 में उत्तराखंड में आयी आपदा के रिलीफ़ कार्य की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हरि भाऊ की बातचीत एडिट कर भ्रामक वीडियो बनाया गया :
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.