कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री ख़ालिदा ज़िया की एक तस्वीर इस कथित बयान के साथ शेयर की है- “मुझे बांग्लादेश में जारी हिंदुओं और बौद्धों के नरसंहार पर खेद है लेकिन बांग्लादेश एक इस्लामिक राष्ट्र है, न कि धर्मनिरपेक्ष. अब यहां मुसलमानों की संख्या ज़्यादा है. ऐसी स्थिति में, अगर हिंदू और बौद्ध सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो उन्हें या तो इस्लाम धर्म अपना लेना चाहिए या भारत चले जाना चाहिए. तस्वीर पर ‘This is why CAA’ लिखा है. इसे बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंसा से जोड़कर शेयर किया जा रहा है.

पिछले साल 20 जुलाई को।
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हर देश मे जब दंगे भड़कते…

Posted by स्वयंसेवक on Tuesday, 19 October 2021

ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर और मोबाइल ऐप पर इस दावे कि सच्चाई पता करने कि रिक्वेस्ट मिली. साथ ही ये फ़ेसबुक पर वायरल है.

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ट्विटर यूज़र @ssingapuri ने वायरल तस्वीर अगस्त महीने में पोस्ट की थी जिस पर करीब 300 रीट्वीट हुए.

पिछले कुछ सालों में कई फ़ेसबुक यूजर्स ने भी ये दावा पोस्ट किया है.

दरअसल ये दावा कई सालों से सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.

फ़ैक्ट-चेक

पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि अगर बांग्लादेश की पूर्व पीएम ख़ालिदा ज़िया ने ये बयान दिया होता तो इसे लोकल और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने कवर किया होता. किसी भी न्यूज़ आउटलेट ने ये खबर नहीं दी कि ख़ालिदा ज़िया ने ऐसा बयान दिया है.

इसके अलावा, ज़िया बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी से जुड़ी हैं. वायरल तस्वीर में जैसा बताया गया है, ‘बांग्ला नेशनल पार्टी’ नाम की कोई पार्टी नहीं है.

फ़ेसबुक पेज Khabar24x7.com ने 20 जुलाई 2015 को यही टेक्स्ट शेयर किया था जो वायरल तस्वीर में खालिदा ज़िया के बयान के रूप में दिखता है.

ऑल्ट न्यूज़ ने khabar24x7.com डोमेन देखा. मालूम पड़ा कि फिलहाल ऐसी कोई वेबसाइट मौजूद नहीं है.

बिग डोमेन डेटा के अनुसार, डोमेन 2014 में बनाया गया था. इसे आखिरी बार Wix.com पर होस्ट किया गया था.

इस तरह, एक झूठे सांप्रदायिक बयान के लिए बांग्लादेशी पीएम बेगम ख़ालिदा ज़िया को जिम्मेदार बताया गया. ये बयान कई सालों से राइट विंग वेबसाइटों पर प्रसारित किया जा रहा है. सबसे पुराना कोट हमें मई 2014 का मिला. इस महीने की शुरुआत में ऑल्ट न्यूज़ ने एक रिपोर्ट में बताया था कि मुसलमान हस्तियों के फ़र्ज़ी’ बयान वाले होर्डिंग यूपी के प्रतापगढ़ में दिखाई दिए. मालूम पड़ा कि उनमें से कुछ कोट सोशल मीडिया पर एक दशक पहले से मौजूद हैं.


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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.