30 मार्च को पश्चिम बंगाल में हावड़ा ज़िले के शिबपुर में विश्व हिंदू परिषद और एक स्थानीय संगठन ने रैली निकाली थी. ये रैली जब ग्रैंड ट्रंक रोड पर एक मुस्लिम बहुल इलाके से गुज़र रही थीं, तब वहां हिंसा भड़की. न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक, सड़क पर खड़ी कई दुकानों और वाहनों में तोड़फोड़ की गई और उनमें से कुछ को आग के हवाले कर दिया गया. अगले दिन, यानी 1 अप्रैल को उसी जगह पर फिर से हिंसा हुई, जहां खबरें आईं कि पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में पथराव किया गया. अब तक 40 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, यहां तक ​​कि भाजपा ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में इस हिंसा की घटना में CBI जांच की मांग की है.

30 मार्च को रात 11 बजकर 15 मिनट पर, बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने दो वीडियोज़ ट्वीट किए जिनमें से एक वीडियो में कुछ दूरी पर आग लगी दिख रही है और धुआं निकल रहा है. वीडियो में एक महिला कह रही है, “चाचाजी मंदिर में आग लगा दी, ज़ल्दी ऊपर आओ.” अन्य लोग छत से आग को देखते हैं. उनमें से एक किसी को वीडियो कॉल करके ये आग दिखाता है. बंगाली में लिखे वीडियो के कैप्शन का मोटे तौर पर अनुवाद इस प्रकार है, “अगर आप गाय का दूध निकाल रहे हैं तो आपको लात खाने के लिए तैयार रहना चाहिए.” (आर्काइव)

ये कैप्शन 25 मई, 2019 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कहे गए शब्दों से सबंधित है. तब वो इफ़्तार में शामिल होने और ‘अल्पसंख्यक-तुष्टीकरण की राजनीति’ के आरोपों का जवाब देने के बारे में बात कर रही थीं.

सुकांत मजूमदार द्वारा ट्वीट किया गया वीडियो जल्द ही वायरल हो गया. आर्टिकल लिखे जाने तक सुकांत मजूमदार के ट्वीट को करीब 1,200 बार रीट्वीट और लगभग 2 लाख बार देखा गया है.

गोपाल गोस्वामी (@gopalgiri_uk) नामक एक वेरीफ़ाईड यूज़र ने ये वीडियो ट्वीट किया और लिखा, “बंगाल की हालत देखिए! जिहादियों ने रामनवमी पर एक मंदिर को आग लगा दी और नीरो दीदी राहुल के भजन गा रही हैं.” बाद में उन्होंने ये ट्वीट डिलीट कर दिया. लेकिन डिलीट करने से पहले इसे 2,300 से ज़्यादा बार रीट्वीट और 40 हज़ार बार देखा गया था. इस ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न आप यहां पर देख सकते हैं.

राईट विंग इन्फ्लुएंसर मिस्टर सिन्हा (@MrSinha_), जो अक्सर गलत सूचनाएं शेयर करते हैं, ने सुकांत मजूमदार के ट्वीट को कोट-ट्वीट किया और लिखा, “तो पश्चिम बंगाल में हिंदू मंदिर में आग लगाने की खबर सच थी..” इस ट्वीट को 3,700 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

बीजेपी से जुड़े कई और हैंडल्स ने भी ये दावा किया है. इन लिस्ट में भाविन शाह, कार्तिक राव पंथम और नीतू गर्ग शामिल हैं.

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फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने 30 मार्च की हिंसा पर मेनस्ट्रीम मीडिया की कई रिपोर्ट्स देखी. हमें मंदिर में आग लगने की घटना का कोई ज़िक्र इन रिपोर्ट्स में नहीं मिला. वीडियो में किए गए दावे की पुष्टि करने के लिए हमने हिंसा प्रभावित इलाके का दौरा किया. घटनाक्रम को कवर करने वाले पत्रकारों की मदद से हमने सटीक स्थान का पता लगाया.

राज्य सचिवालय, नबन्ना से कुछ ही दूरी पर शिबपुर शहर है जो मुख्य रूप से भारत के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेजों और 1787 में स्थापित एक वनस्पति उद्यान के लिए जाना जाता है. हम उस जगह से लगभग 100 मीटर की दूरी पर पहुंचे जहां 30 मार्च को हिंसा हुई थी. ग्रैंड ट्रंक रोड पर शिबपुर पुलिस स्टेशन से हमने स्थानीय लोगों को ये वीडियो दिखाया. उन्होंने हमें शिबपुर श्री AC मार्केट के सामने के एक शिव मंदिर का रास्ता बताया.

हम ओडिशा के भद्रक के पुजारी सुदामा पंडित से मिले और उन्हें बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार द्वारा ट्वीट किया गया वीडियो दिखाया. उन्होंने उस जगह की पहचान मंदिर के पीछे वाली गली के रूप में की. वीडियो को देखकर उन्होंने कहा कि वीडियो में दिख रही आग मंदिर के ठीक सामने प्लास्टिक के क्रेट, टोकरियां और सड़क किनारे पड़े कचरे तक फ़ैल गई थी.

हमने पूछा कि क्या मंदिर को कोई नुकसान हुआ है. उन्होंने मंदिर की बाहरी दीवार की टाइल्स में पड़े दरार की ओर इशारा करते हुए कहा, “हां, दूसरे दिन कुछ पत्थर और ईंटें उड़कर आई थीं और उससे कुछ नुकसान हुआ था.”

“दूसरे दिन (1 अप्रैल) को पथराव हुआ. रामनवमी के दिन कोई नहीं था. मैंने खुद को मंदिर के अंदर बंद कर लिया था और दरवाज़े के एक द्वार से बाहर झांक रहा था. मंदिर के ठीक सामने, चीजों में आग लगा दी गई. बास्केट, पेपर और प्लास्टिक जैसी चीज़ें बिखरी पड़ी थीं.”

उन्होंने आगे ज़ोर देकर कहा, “आग से मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ है. आग मंदिर तक नहीं पहुंची थी. मैं पूरे समय अंदर ही था.”

उन्होंने हमें मंदिर के अंदर बुलाया. हम अंदर गए, वहां सब कुछ ठीक था.

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पंडित ने हमें बताया, “मेरे पिता यहां पुजारी के पास आते थे. मैं यहां पिछले 40 साल से पुजारी हूं. हम अपने मुस्लिम भाइयों के साथ पूरे सद्भाव के साथ रहते हैं. मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा था.”

इस बारे में निश्चित होने के लिए, हमने उनसे फिर से पूछा कि क्या मंदिर में आग लगाने का दावा झूठा था, और उन्हें एक बार फिर से ये वीडियो दिखाया.

उन्होंने कहा, “हां, ये वीडियो मेरे मंदिर के पीछे वाली गली में किसी बिल्डिंग का है. मंदिर में आग नहीं लगाई गई थी. आप खुद देख सकते हैं.”

पाठक बातचीत का एक हिस्सा यहां सुन सकते हैं:

वायरल वीडियो कहां से शूट किया गया था?

ये सुनिश्चित करने के लिए कि क्या हम असल में उसी मंदिर को देख रहे थे जैसा कि वीडियो में देखा गया था, हम उस जगह को ढूंढने की कोशिश करते हुए उस गली में घुसे जहां से इसे शूट किया गया था. हमने अपने मोबाइल स्क्रीन पर वीडियो में फ़्रेम के साथ जगह का मिलान करने की कोशिश की. वीडियो को या तो एक खुली बालकनी से या छत के ऊपर से शूट किया गया था.

गली में लगभग 30 मीटर की दूरी पर, हमने बिना पेंट के एक ताज़ा प्लास्टर वाली बिल्डिंग देखी, जैसा कि वायरल वीडियो में फ़ोन के साथ खड़ी लड़की के सामने दिख रहा है. अगली बिल्डिंग पांच मंजिला थी, वहां से वीडियो शूट किया जा सकता था.

हम इस प्लास्टर वाली बिल्डिंग के बगल वाली बिल्डिंग में ऊपर की ओर गए. छत पर बांस के खंभे थे जो हाल ही में ऊपर बने फर्श को सहारा देने के लिए लगाए गए थे. गली के ऊपर छत के किनारे से वायरल वीडियो जैसा ही नज़ारा दिखता है.

हमने जो सामने देखा वो फ़्रेम वायरल वीडियो में दिख रहे फ़्रेम से मेल खाता था. हम उसी जगह पर खड़े थे जहां से बंगाल बीजेपी प्रमुख द्वारा ट्वीट किया गया वीडियो लिया गया था. रिडर्स नीचे शामिल तस्वीर ये बात साफ तौर पर देख सकते हैं:

हम मंदिर के टॉप को उस पॉइंट से देख सकते थे जहां ये गली मेन रोड से मिलती थी. ये बिल्कुल वैसा ही था. नीचे वीडियो देखें:

हमने कुछ ऐसा भी देखा जिससे ये दावा सही साबित होता है कि वेंडिंग कार्ट के सामानों में आग लगा दी गई थी. जब हमने 3 अप्रैल को मौके का दौरा किया तो देखा कि सभी फल विक्रेताओं ने (जिनकी संख्या बहुत ज़्यादा थी क्योंकि ये रमज़ान का समय था) बांस से बनी नई टोकरियां ली थीं जिन्हें बंगाली में ‘झुरी’ कहा जाता है. एक स्थानीय फल-जूस विक्रेता साहेब आलम ने कहा, “जब रामनवमी की रैली आयी तो हममें से ज़्यादातर लोग नमाज़ पढ़ने के लिए गए थे. उन्होंने हमारी टोकरियों और प्लास्टिक के क्रेटों को सड़क पर फेंक दिया और उनमें आग लगा दी. इसलिए, हमने ये नई टोकरिया ली हैं. आप देख सकते हैं कि हर किसी के पास एकदम नई टोकरियां हैं.” और एक केले बेचने वाली बुजुर्ग महिला ने अपनी नई ‘झुरी’ की ओर इशारा किया.

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हावड़ा के SP त्रवीन त्रिपाठी ने इस दावे को खारिज कर दिया कि एक मंदिर में आग लगाई गई थी. ”ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. हम उन लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई करेंगे जो ऐसी कोई अफवाह फ़ैलाने की कोशिश कर रहे हैं. उनसे कानून के मुताबिक, सख्ती से निपटा जाएगा.”

आग किसने लगाई?

पुजारी, सुदामा पंडित ने बताया था कि मंदिर के सामने चीजों को आग लगाई गई थी. जब ऑल्ट न्यूज़ ने उनसे पूछा, तो उन्होंने कहा, “रैली में आये लोगों ने ऐसा किया. मैंने मंदिर से ऐसे करते हुए देखा था.”

हमें एक स्थानीय कार्यकर्ता से उस दिन के कई वीडियोज़ मिले. उनमें से एक में मंदिर के सामने लगी हुई आग दिखती है. वीडियो शूट करने वाला व्यक्ति पहले लोगों की भीड़ पर फ़ोकस करता है, उनमें से कई लोग भगवा पहने हुए हैं और भगवा झंडे लिए हुए हैं, उनमें से एक उन्हें कुछ तोड़ने के लिए कहता हैं (उसने कहा, “तोड़, साले तोड़,”). फिर लोग जय श्री राम का नारा लगाते हुए मंदिर के ठीक बगल वाली आग की ओर दौड़ते हैं. आग के करीब जाकर फिर वो दूसरों से चीजों को जलाने के लिए कहता है (उसने कहा, “जला, जला”). भगवा पहने और भगवा झंडे लिए लोगों को बांस की टोकरियों, प्लास्टिक के टोकरे और यहां तक ​​कि एक ट्रॉली वैन को मंदिर के सामने आग लगाते हुए देखा जा सकता है. बैकग्राउंड में शिबपुर श्री AC मार्केट का साइनबोर्ड (37 सेकेंड पर साफ तौर पर देखा जा सकता है) और उसके बगल में स्थित मंदिर इस बात को साबित करता है कि ये वही जगह है. अन्य लोगों को भी जय श्री राम के नारे लगाते हुए सुना जा सकता है. 42 सेकेंड पर एक शख्स हाथ में तलवार लेकर डांस भी कर रहा है.

हमने दर्शकों की सहूलियत के लिए वीडियो में मंदिर को घेरे में दिखाया है.

पत्रकार तमाल साहा ने एक और वीडियो ट्वीट किया जिसमें भीड़ उसी जगह पर प्लास्टिक के क्रेट आग में फेंकते हुए दिख रही है. उसके चारों ओर भगवाधारी लोग खड़े हैं. मंदिर और बाज़ार की बिल्डिंग, बैकग्राउंड में दिखती है जिससे पुजारी द्वारा कही गई बात कंफ़र्म होती है. कैप्शन में उन्होंने बताया है कि कोई मंदिर नहीं जलाया गया था.

सड़क पर आग लगाने के पीछे कौन था, इस सवाल का जवाब देते हुए SP त्रिपाठी ने हमें बताया, “CID ​​मामले की जांच कर रही है.”

कुल मिलाकर, शिबपुर, हावड़ा में रामनवमी के दिन हिंसा वाली जगह पर हमारी ग्राउन्ड रिपोर्ट से ये साबित होता है कि वायरल वीडियो में दिख रहे मंदिर को आग से कोई नुकसान नहीं हुआ है. वीडियो को सोशल मीडिया पर बिना किसी वेरिफ़िकेशन के ये कहते हुए शेयर किया गया कि रामनवमी के दिन मुसलमानों ने एक मंदिर में आग लगा दी थी. मौके पर स्थानीय लोगों के साथ हमारी बातचीत और कार्यकर्ताओं द्वारा शूट किए गए वीडियो से पता चलता है कि रैली में आये लोगों या भगवा झंडे लेकर आये लोगों ने मंदिर के पास अलग-अलग चीजों में आग लगा दी थी.

ये एक भ्रामक वीडियो के आधार पर बनाई गई झूठी कहानी का उदाहरण है. भाजपा के राज्य प्रमुख सुकांत मजूमदार के ट्वीट पर कमेंट्स और कोट-ट्वीट्स पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि इस दावे ने उनके फ़ॉलोवर्स को कैसे उकसाया. एक मंदिर में आग लगने की ‘खबर’ से भड़के लोगों ने मुसलमानों पर अपना गुस्सा निकालते हुए कुछ इस तरह की बाते लिखी हैं, “ये दंगों की शुरुआत है. मुझे कोई उकसाने वाला नहीं दिख रहा है.”, “जिहादी समाज के लिए जहरीले हैं.”, “पागल कुत्ते. इंसानों के भेष में लहूलुहान जानवर. सभ्य समाज पर एक धब्बा.”, “इसलिए भारत में NRC की जरूरत है..” आदि.

 

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About the Author

Indradeep, a journalist with over 10 years' experience in print and digital media, is a Senior Editor at Alt News. Earlier, he has worked with The Times of India and The Wire. Politics and literature are among his areas of interest.