केरला के कासरगोड जिले में, अपने एक श्रमिक की “हिरासत में मौत” के मुद्दे को लेकर की गई हड़ताल के सिलसिले में भाजपा एक बार फिर कठिन परिस्थिति में आ गई हैं। रविवार को जारी की गयी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने, यातनाओं द्वारा हुई श्रमिक की मृत्यु की बात को पूरी तरह से खारिज कर यह स्पष्ट किया हैं की, यह मृत्यु उच्च रक्तचाप के कारण हुए रक्तस्राव से हुई हैं। (स्रोत: रिपोर्टर लाइव)
भाजपा कार्यकर्ता संदीप को, उनके दोस्तों के साथ शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र में शराब पीने के जुर्म में, कृषि विभाग के धान के बीज के खेतों से गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले भी इस समूह के खिलाफ, शराब पीकर खेतो के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करने की कई शिकायतें दर्ज हुई हैं।
पुलिस को देखकर, संदीप और उनके चार साथियों ने उस जगह से भागने का प्रयास किया। ऐसे में संदीप नीचे गिर गया जबकि अन्य साथी पकड़े गए। अन्य साथियों के साथ, पुलिस स्टेशन ले जाते समय संदीप रास्ते में ही बेहोश हो गए. संदीप को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इस सिलसिले में भाजपा ने, संदीप को यातनाओं से मार दिए जाने के आरोप में, शनिवार को जिले में हड़ताल घोषित कर दी। भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ता, पार्टी के जिलाध्यक्ष के श्रीकांत की अगुवाई में, शहर के पुलिस स्टेशन में धरना देने लगे।
लेकिन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह पता चलता हैं कि संदीप के शरीर पर चोट का कोई भी निशान नहीं था। यह पोस्टमार्टम, कोजिक्कोड मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख के नेतृत्व में, छह विशेषज्ञों की एक टीम ने किया था। केवल पैर की अंगुली और घुटने पर छोटे घाव देखे गए थे। ऐसा, भागते समय गिर जाने के कारण से हो सकता हैं। यह रिपोर्ट किसी भी प्रकार के अत्याचार की सम्भावना को खारिज करती है।
भाजपा द्वारा हड़ताल की घोषणा करते समय भी, इसके झूठे आरोपों पर आधारित होने की सम्भावना प्रकट की गयी थी। भाजपा के द्वारा लगाये गए इन आरोपों को, उनकी कासरगोड पुलिस उप-निरीक्षक अजीथ कुमार पी, के साथ नाराजगी को भी ज़िम्मेदार ठहराया गया हैं। हिरासत में यातना का आरोप लगाये जाने पर, विभाग ने उत्तर के रूपे में, अगले ही दिन अजीथ का सशस्त्र रिजर्व कैम्प में स्थानांतरित कर दिया था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हो जाने पर, भाजपा के नेतृत्व में, गलत सूचना के आधार पर, अंधाधुंध घोषित इस हड़ताल पर सवाल उठाया जा रहा है। इसके पहले फरवरी के शुरुआती दिनों में, पार्टी ने थ्रिस्सुर जिले में, युवा मोर्चा कार्यकर्ता निर्मल की हत्या के खिलाफ हड़ताल की थी; उस समय सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं पर इस हत्या का आरोप लगाया गया था। हालांकि, एक दिन बाद ही यह पता चल गया था कि हत्या के पांच आरोपियों में से एक, भाजपा कार्यकर्ता था और यह हत्या व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता का परिणाम थी।
इसके अतिरिक्त, इस सप्ताह की शुरुआत में, 10 आरएसएस कार्यकर्ताओं को, अलापुज़हा जिले में एक 17 वर्षीय पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या के लिए गिरफ्तार किया गया था।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.