मार्च 2015 में प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए समाज के सुविधा संपन्न हिस्से से आने वाले लोगो को “गिव इट अप” अभियान के तहत कुकिंग गैस पर मिलने वाली सब्सिडी का परित्याग करने का अनुरोध किया था. उनके इस आह्वान पर काफी लोगो ने, जो की पहले सब्सिडी का लाभ उठाया करते थे, ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए अपनी गैस सब्सिडी का लाभ न उठाने का फैसला लिया था. भारत सरकार घरेलू एलपीजी को काफी सब्सिडाइज़्ड कीमत पर बेचती है और जो लोग इस सब्सिडी का लाभ उठाते है उन्हें तकरीबन २०० रूपये का फायदा होता है.
“गिव इट अप” अभियान को लेकर ही हिसार से हरियाणा के सांसद दुष्यंत चौटाला ने पेट्रोलियम एंड प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेंद्र प्रधान के सामने लोक सभा में सवाल उठाया था.उन्होंने अपने सवाल में पूछा था की
(१) क्या सरकार ने उन उपभोक्ताओं को जिन्होंने अपनी सब्सिडी का लाभ उठाने से मना कर दिया था , को यह विकल्प दिया था की वे एक साल के पश्चात अपनी सब्सिडी का फिर से लाभ उठा सकेंगे?
(२) यदि सरकार ने उपभोक्ताओं को फिर से अपनी सब्सिडी का लाभ उठाने देने का विकल्प दिया हुआ है तो क्या सरकार उन लोगो की संख्या बता सकती है जिन्होंने स्वेच्छा से सब्सिडी का परित्याग किया था.साथ ही साथ उन्होंने राज्यवार आंकड़े देने की की भी सरकार से गुज़ारिश की थी.
उपर्युक्त प्रश्न का उत्तर देने की समय सीमा 10 अप्रैल तक थी. श्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा थे की “सभी एलपीजी उपभोक्ता जिन्होंने स्वेच्छा से अपनी सब्सिडी का लाभ उठाने से मना कर दिया था,के पास एक वर्ष के पश्चात वापस अपनी सब्सिडी का लाभ उठाने का विकल्प मौजूद है”. उत्तर के अगले हिस्से में उन लोगो की संख्या का राज्यवार ब्यौरा दिया गया था जिन्होंने अपनी सब्सिडी छोड़ दी थी लेकिन बाद में फिर से उसका लाभ उठाने लगे थे नीचे दिए गए आंकड़े १ अप्रैल तक उपलब्ध संख्याओं पर आधारित है.
तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़े इस बात को साफ़ दर्शाते है की १ लाख से भी ज्यादा लोगो ने फिर से अपनी सब्सिडी का लाभ उठाना शुरू कर दिया है. और इसमें महाराष्ट्र सबसे आगे है.
लोगो द्वारा अपनी सब्सिडी का लाभ फिर से उठाये जाने का एक कारण तो यह हो सकता है की हाल ही में नॉन-सब्सिडाइज़्ड एलपीजी की कीमत में 86 रुपये प्रति सिलिंडर का ज़बरदस्त उछाला आया था. कीमत में इस उछाल की वजह से सिर्फ उन्ही लोगो ने इस नॉन-सब्सिडाइज़्ड सिलिंडर को खरीदा था जिन्होंने या तो अपनी सब्सिडी पहले ही छोड़ दी थी या फिर अपने 12 बॉटल्स की सीमा समाप्त कर चुके थे. उन्हें यह सिलिंडर 737.50 रुपये का पड़ा जबकि कीमतें बढ़ने से पहले एक सिलिंडर की कीमत 651.50 रुपये थी. सितम्बर 2016 से एलपीजी की कीमतें आसमान छूती जा रही है.एक नॉन-सब्सिडाइज़्ड सिलिंडर जिसकी दिल्ली में सितम्बर में कीमत 466.50 रुपये थी की कीमत तकरीबन 58% बढ़ गयी है. यह वृद्धि अभूतपूर्व है.
पहले भी कई लोगो ने शिकायत की थी वह भ्रामक वौइस् रिस्पांस सिस्टम का शिकार होने की वजह से अपनी सब्सिडी खो दे रहे है. शिकायतकर्ताओं का कहना था की आईवीआरएस मशीन में पूर्व निर्धारित सन्देश भ्रामक है और उसकी वजह से उनकी सब्सिडी खुद-बा-खुद रद्द हो जा रही है. अगर आप गलती से “0” दबा देते है तो आपकी सब्सिडी रद्द हो जाती है. मोबाइल फ़ोन द्वारा एलपीजी गैस को बुक करने की प्रक्रिया में भी एक बड़ा पेंच है. जैसे ही आप गैस बुक करने के लिए फ़ोन करते है तो आईवीआरएस मशीन द्वारा एक पूर्व निर्धारित सन्देश आता है जिसमें कहा जाता है की ” यदि आप सुविधा संपन्न है तो अपनी सब्सिडी का परित्याग कीजिये जिससे की यह सब्सिडी आपके किसी गरीब भाई के काम आ सके. सब्सिडी का परित्याग करने के लिए 0 दबाये और सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए 1 दबाये.”
“दिक्कत यह है की 1 दबाने के बावजूद पहली बार में गैस बुक नहीं हो रही है और लोग यह जांचने के लिए की बटन ठीक से काम कर रहा है या नहीं, दूसरी बार 0 दबा दे रहे है जिससे उनकी बुकिंग रद्द हो जा रही है.” एक ग्राहक ने अपना नाम न छापने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को बताया.
जो लोग भ्रामक आईवीआरएस या एलपीजी की कीमतों में आये भारी उछाल की वजह से अपनी एलपीजी सब्सिडी का पुनः लाभ उठाना चाहते है उनके लिए पेट्रोलियम मंत्रालय ने अपने वेबसाइट पर तरीका बताया है जो की यहां पर क्लिक करके देखा जा सकता है => http://petroleum.nic.in/dbt/conditions.pdf.
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