जितेन्द्र प्रताप नाम के एक यूज़र द्वारा बस पर हमला करने वाले लोगों के समूह का एक वीडियो, इस संदेश के साथ शेयर किया गया है- “यह फ्रांस में हुआ जब पुलिस एक मुस्लिम इलाके में घुसी। अब सभी भारतीय आँखें खोलें।” -(अनुवादित) सुझाव दिया गया है कि यह दृश्य फ्रांस में पुलिस पर हमला करने वाली एक मुस्लिम भीड़ को दर्शाता है। गौरतलब है कि जितेन्द्र प्रताप को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं।
This happened in france when police entered in one Muslim area.
Open eyes all Indian now. pic.twitter.com/ILq3kq2o7n— 🇮🇳 Chowkidar Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) April 28, 2019
फेसबुक और ट्विटर पर कई अन्य व्यक्तियों ने इसी संदेश के साथ वीडियो शेयर किया है। यह हिंदी में संदेश के साथ भी वायरल है, “फ्रांस में जब पुलिस एक मुस्लिम बहुल इलाके में प्रवेश किया तो शांतिदूतो ने पुलिस का ऐसे वैलकम किया करोड़ों (कानूनी और अवैध) शरणार्थियों का स्वागत करने वाले पुरे यूरोप को इसी तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ रहा हैये जाहिल इंसान के भेष में छूपे खुंखार भेड़िये है”.
इसी दावे के साथ यह व्हाट्सएप पर भी प्रसारित हो रहा है।
एक ट्विटर यूज़र, @Timido762, ने एक संदेश के साथ वीडियो को पोस्ट किया जिसमें स्पेनिश में वही दावा दोहराया गया। (En Francia hoy en un barrio musulmán a policías…esto no sale en la Sexta…..cuando las barbas de tu vecino veas.)
En Francia hoy en un barrio musulmán a policías…esto no sale en la Sexta…..cuando las barbas de tu vecino veas…. pic.twitter.com/rbwkp8LnWC
— Timido76 (@Timido762) April 22, 2019
पुराना वीडियो
एजेंस फ्रांस-प्रेसे ने पहले इस वीडियो को खारिज किया था और पाया था कि यह पिछले महीने अल्जीरिया में हुए एक विरोध से संबंधित है। हमें उसी घटना का एक और वीडियो मिला जो अल्जीरिया की राजधानी अल्जीयर्स में मार्च, 2019 में हुई थी। फेसबुक पेज कैशबा ट्रिब्यून ने 8 मार्च को यह वीडियो पोस्ट करते हुए कहा था, “पुलिस के खिलाफ हिंसा का एक पहलू, करीम बेल्केसम स्ट्रीट # अल्जीरिया, इस शुक्रवार, 8 मार्च, 2019″। (गूगल अनुवाद)
En vidéo ↪️ Exemple de violences commises contre la police ce vendredi 8 mars 2019, rue Krim Belkacem à #Alger
↩️بالفيديو : جانب من أعمال العنف التي مورست ضد الشرطة هذه الجمعة 8 مارس 2019، شارع كريم بلقاسم #الجزائرPosted by Casbah Tribune on Friday, 8 March 2019
मार्च, 2019 में बीमार राष्ट्रपति, अब्देलज़ीज़ बोउटफ्लिका के पांचवें कार्यकाल के खिलाफ अल्जीरियाई लोगों द्वारा एक सामान्य हड़ताल देखी गई। ये विरोध मोटे तौर पर अप्रैल की शुरुआत में, प्रदर्शन के हिंसक हो जाने तक पूरे देश में शांतिपूर्वक रहे थे। राष्ट्रपति बोउटफ्लिका ने आखिरकार अप्रैल, 2019 की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया।
विभिन्न संदेशों के साथ वायरल
इससे पहले, इस वीडियो को ट्विटर पर एक झूठे संदेश के साथ वायरल किया गया था कि डेनमार्क के कोपेनहेगन में एक मुस्लिम भीड़ द्वारा पुलिस पर हमला किया गया था। हालांकि, 15 अप्रैल को कोपेनहेगन में झड़पें हुईं थीं, जिसके बाद 23 लोगों की गिरफ्तारी भी की गई थी।
अंत में, अल्जीरिया में एक पुलिस बस पर हमला करने वाले प्रदर्शनकारियों का एक वीडियो, झूठे तरीके से फ्रांस में पुलिस पर ‘मुस्लिम भीड़’ द्वारा हमले के रूप में शेयर कर दिया गया।
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