13 सितंबर को भारतीय जनता पार्टी के विरोध मार्च नबन्ना अभियान में पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय, कोलकाता के अलग-अलग हिस्सों में और हावड़ा ज़िले के आस-पास हिंसा भड़क उठी. हिंसा तब भड़की जब पुलिस ने नबन्ना मार्च को रोकने की कोशिश की. विरोध रैली ऐसे समय में शुरू की गई जब तृणमूल कांग्रेस के कई नेता, राज्य के मंत्री और सरकारी अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही है. जुलाई के आखिर में स्कूल सेवा आयोग घोटाले में आरोपी पूर्व शिक्षा और उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी के एक ‘करीबी सहयोगी’ के अपार्टमेंट से 50 करोड़ रुपये नकद और आभूषण बरामद किए गए थे.
13 सितंबर की दोपहर को कोलकाता और हावड़ा का कुछ हिस्सा युद्ध का मैदान बन गया क्यूंकि प्रदर्शनकारी, पुलिस से भिड़ गए थे. पुलिस ने पानी की बौछारों और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. साथ ही लाठीचार्ज का भी सहारा लिया गया. भाजपा नेताओं और सदस्यों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश की. इस विरोध मार्च के टीवी कवरेज में दिखाया गया कि सेंट्रल कोलकाता के चित्तपुर चौराहे पर एक पुलिस जीप में आग लग गई. मौके से कुछ मीटर की दूरी पर पार्टी के झंडे लिए हुए भाजपा सदस्यों ने कोलकाता पुलिस के सहायक आयुक्त देबजीत चटर्जी पर कथित तौर पर रॉड और डंडों से हमला किया.
इस मामले के संदर्भ में एक वीडियो इस दावे के साथ ट्विटर पर शेयर किया गया कि रैली के दौरान तृणमूल कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता पुलिस पर पथराव कर रहे थे. वीडियो में दिख रहा है कि कुछ लोग कोई चीज़ फेंक रहे हैं. (उनमें से एक ने मुस्लिम धर्म से जुड़ी टोपी पहनी थी.)
भाजपा के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने न्यूज़ चैनल आज तक द्वारा इस रैली की कवरेज का एक वीडियो क्लिप ट्वीट किया. वीडियो में सिर पर टोपी पहने व्यक्ति को लाल घेरे में दिखाया गया है और लिखा है: “ममता बनर्जी द्वारा भेजे गए TMC कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पथराव किया ताकि बाद में बीजेपी को इसके लिए दोषी ठहराया जा सके…” इस वीडियो में रिपोर्टर कहता है, ‘देखिये किस तरह ये प्रदर्शनकारी हाथ में पत्थर लेकर फेंक कर रहे हैं. ये भी तस्वीरें हैं..कोलकाता हावड़ा..कई जगह ये तस्वीरें हैं..लेकिन ये जो गाड़ी आप जलते हुए देख रहे हैं..ये पश्चिम बंगाल पुलिस की गाड़ी है जहां आप देख रहे हैं कि कोलकाता पुलिस की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया है..”. इसका मतलब ये है कि स्क्रीन पर दिखाई देने वाले लोगों ने ही कार में आग लगाई थी. (आर्काइव लिंक)
Mamata Banerjee sent TMC cadres to pelt stones at the police so that later BJP could be blamed for it… pic.twitter.com/SkUBecr042
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 13, 2022
भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने भी इसी दावे के साथ ये वीडियो ट्वीट किया. (आर्काइव लिंक)
Mamata Banerjee sent TMC cadres to pelt stones at the police so that later BJP could be blamed for it… pic.twitter.com/DAuccQUM4G
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) September 13, 2022
भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री देबाश्री चौधरी ने ये वीडियो क्लिप ट्वीट करते हुए यही दावा किया. (आर्काइव)
Mamata Banerjee sent TMC cadres to pelt stones at the police so that later BJP could be blamed for it. #CholoNobanno pic.twitter.com/8qYvs2KiMq
— Debasree Chaudhuri (@DebasreeBJP) September 13, 2022
भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव दीप्ति रावत भारद्वाज ने भी ऐसा ही ट्वीट किया. (आर्काइव)
@MamataOfficial sent @AITCofficial TMC cadres to pelt stones at the police so that later @BJP4India could be blamed for it…#ShameOnTMC pic.twitter.com/ErhwJDAwM8
— Deepti Rawat Bhardwaj (@deeptirawatbjp) September 14, 2022
जीतने भी लोगों ने ये वीडियो पोस्ट किया इनमें से किसी ने ये नहीं बताया कि किस वजह से उन्होंने वहां प्रदर्शन करने वाले व्यक्ति की पहचान तृणमूल कार्यकर्ता के रूप में की.
13 सितंबर को इंडिया टुडे के प्राइमटाइम शो के दौरान होस्ट राजदीप सरदेसाई ने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला से पूछा, जो सार्वजनिक संपत्ति की तोड़फोड़ के लिए कौन ज़िम्मेदार थे. पूनावाला ने वायरल क्लिप में टोपी पहने आदमी का ज़िक्र करते हुए बताया, “…अगर आप इसे फ्रेम दर फ्रेम देखेंगे, तो ये बिल्कुल भी बीजेपी कार्यकर्ता जैसा नहीं लगता. देखिये कौन पथराव कर रहा है.” उन्होंने इशारा किया कि वीडियो में दिख रहे लोग TMC कार्यकर्ता थे. उन्होंने आगे बताया कि तृणमूल कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं को पुलिस की गाड़ी में तोड़फोड़ करने और आग लगाने के लिए भी भेजा. (ये बातचीत वीडियो में 35 सेकेंड के बाद से सुनी जा सकती है.)
न्यूज़ 18 इंडिया ने अमित मालवीय के आरोपों पर रिपोर्ट किया. नीचे, वीडियो में 8 मिनट 40 सेकेंड पर अमित मालवीय के TMC पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा रैली के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप लगाये गए.
वायरल क्लिप को प्रसारित करते हुए टाइम्स नाउ ने भी अमित मालवीय के आरोपों को उजागर किया.
आजतक ने उस क्लिप को बार-बार प्रसारित किया जिसमें सिर पर टोपी पहना व्यक्ति थोड़ी दूरी से कोई चीज़ फेंक रहा है और इसे “TMC बनाम BJP” युद्ध करार दिया गया है. कहा गया है कि वीडियो में दिख रहे लोग TMC कार्यकर्ता हैं. ये हिस्सा नीचे वीडियो में 4 मिनट 48 सेकेंड पर देखा जा सकता है.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने नबन्ना अभिजन रैली के बारे रिपब्लिक बांग्ला द्वारा किये गए लाइव कवरेज को काफी ध्यानपूर्वक देखा.
यूट्यूब पर उनके द्वारा अपलोड किये गए वीडियो क्लिप की शुरुआत में कुछ लोगों को पुलिस की गाड़ी (PCR 10) को ईंटों, हेलमेट और लाठी से तोड़ते हुए देखा जा सकता है जबकि एक व्यक्ति इसके सामने भाजपा का झंडा लहराता है. हमने घटना के लाइव कवरेज को सिलसिलेवार तरीके से आर्टिकल में शामिल किया है ताकि पाठक ऑल्ट न्यूज़ द्वारा पॉइंट आउट की गई बातों को अच्छे से समझ पायें.
वीडियो में 6 मिनट 47 सेकेंड पर पुलिस जीप के ठीक बगल में खड़ा ग्राउंड रिपोर्टर कहता है, “उग्र भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने पुलिस की गाड़ी को आग लगा दी है.” रिपोर्टर आगे बताता है कि कुछ अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं ने उसी समय आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन सब बेकार.
इसके बाद वीडियो में 12 मिनट 21 सेकेंड पर ग्राउंड रिपोर्टर कहता है कि भीड़ फिर से पागल हो गई है. कुछ सेकेंड बाद रिपोर्टर ये बताता है कि स्थानीय व्यापारियों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ़ जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है और वे बीजेपी कार्यकर्ताओं पर पथराव कर रहे हैं. यहां वीडियो में 12 मिनट 53 सेकेंड पर टोपी पहने व्यक्ति को उसके पीछे देखा जा सकता है. रिपब्लिक बांग्ला रिपोर्टर के मुताबिक़, स्थानीय दुकान मालिक अपने दुकानों को बचाने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं को भगाने की कोशिश कर रहे थे.
नीचे हमने वायरल वीडियो और रिपब्लिक बांग्ला के लाइव कवरेज के विजुअल्स की तुलना की है.
वीडियो में 13 मिनट 35 सेकेंड पर टोपी पहने व्यक्ति को जलती हुई पुलिस की कार (नीचे दी गई तस्वीर) के ठीक बगल में एक दुकान के अंदर कुछ बोरियों को जल्दबाजी में हिलाते हुए देखा जा सकता है. 13 मिनट 58 सेकेंड पर रिपोर्टर कहता है कि घबराये दुकानदार अपना सामान बचाकर एक दुकान के अंदर डालने की कोशिश कर रहे हैं. व्यक्ति को उस वक्त भी स्क्रीन पर देखा जा सकता है.
ये पता लगाने के लिए कि उस दिन असल में क्या हुआ था, ऑल्ट न्यूज़ ने उसी जगह जाकर स्थानीय लोगों से बात की जहां वायरल फ़ुटेज को शूट किया गया था. महात्मा गांधी रोड-रवींद्र सारणी जंक्शन को चित्तपुर क्रॉसिंग के नाम से भी जाना जाता है, वहां से सिर्फ 50 मीटर की दूरी पर कुछ दुकानों के सामने पुलिस की गाड़ी को आग लगा दी गई थी. रॉयल इंडियन होटल जो बिरयानी के लिए मशहूर है, वो इस रास्ते से कुछ ही कदम की दूरी पर है. वायरल तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति साफ़ तौर पर उस चौराहे की ओर पत्थर फेंक रहा है जिस तरफ इस मार्च को आगे बढ़ना था.
ऑल्ट न्यूज़ ने पांच दुकान मालिकों से बात की जिनमें से सभी ने मार्च के दिन किसी भी TMC कैडर की मौजूदगी से इनकार किया. जब उन्हें टोपी पहने हुए व्यक्ति की क्लिप दिखाई गई, तो उन्होंने सबसे पहले उसकी पहचान ‘एक स्थानीय व्यक्ति’ के रूप में की. आगे थोड़ी और पूछताछ करने पर, उन्होंने बताया कि वो ‘स्थानीय दुकान में एक सहायक’ है. लेकिन उन्होंने उस व्यक्ति के बारे में ज़्यादा जानकारी देने से मना कर दिया.
रिपब्लिक बांग्ला के कवरेज में सांप्रदायिक टोपी पहना व्यक्ति कुछ बोरियों को आग की जगह से दूर एक दुकान में ले जाते हुए दिख रहा है. यहां हमें दुकान मालिकों द्वारा बताई गई बाते सच लगी.
दो स्थानीय व्यवसायी, मुन्ना भाई और शेख शाहजहां (ऊपर दी गई तस्वीर), ऑल्ट न्यूज़ से ऑन रिकॉर्ड बात करने के लिए सहमत हुए. शाहजहां उन स्थानीय दुकान मालिकों में शामिल थे जिन्होंने घायल ACP को लूटपाट कर रहे प्रदर्शनकारियों से छुड़ाया और मुन्ना भाई की जूते की दुकान के अंदर ले गए.
मुन्ना भाई ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “उस दिन इस एरिया में कोई TMC का आदमी नहीं था. हमारा शटर नीचे था. लेकिन हम आसपास ही थे. बीजेपी का मार्च MG रोड से गुजरने वाला था. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों का पीछा किया और रवींद्र सरानी में घुस गए. उन्होंने उन पुलिस वालों को टारगेट किया जिनकी संख्या भी कम थी. जब जीप में आग लगा दी गई तो हम अपनी दुकानों को लेकर लिए डर गए और जवाबी कार्रवाई करने का साहस जुटाया. हमने ही थे प्रदर्शनकारियों को पीछे खदेड़ा.”
पथराव की वायरल फ़ुटेज देखकर उन्होंने उस व्यक्ति की पहचान स्थानीय दुकानदार के रूप में की.
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ये रिपोर्ट मुन्ना भाई की इस बात को कंफ़र्म करती है कि प्रदर्शनकारियों का रवींद्र सारणी में प्रवेश अचानक और अनियोजित था.
शाहजहां ने बताया, “दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर जीप को आग के हवाले कर दिया गया. पुलिस अधिकारी पर करीब 3 बजकर 12 मिनट पर हमला किया गया था. हम ये सोचकर घबरा गए कि कहीं आग हमारी दुकानों में न फ़ैल जाए. फिर हम यहां इकट्ठे हुए और बीजेपी प्रदर्शनकारियों पर नारेबाज़ी की जिसके बाद वे पीछे हट गए.”
अलग से फ़ुटेज दिखाए जाने पर उन्होंने बताया, “ये एक स्थानीय व्यक्ति है. उसने जो पत्थर उठाया उसे प्रदर्शनकारियों ने फेंका था. कई दुकान मालिकों ने अपने व्यवसाय को बचाने के लिए ऐसा ही किया. (मतलब वहीं गिरे पत्थर उठाकर प्रदर्शनकारियों पर वापस फेंक दिया)” शाहजहां ने ये भी बताया कि कैसे उन्होंने बहुत मुश्किल से पुलिस अधिकारी को मारे जाने से बचाया.
द इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट से शाहजहां की ये बात कंफ़र्म होती है कि भाजपा समर्थकों ने पुलिस पर पथराव किया था.
रिपब्लिक बांग्ला की लाइव रिपोर्ट और ऑल्ट न्यूज़ की स्थानीय लोगों और चश्मदीदों से हुई बातचीत अमित मालवीय सहित कई बीजेपी नेताओं के उस दावे का खंडन करती है जिसमें दावा किया गया था कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को पुलिस पर पथराव करते देखा गया. जबकि इससे बिल्कुल अलग पथराव कर रहे लोग असल में PCR वैन में आग लगाने वाले प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने की कोशिश कर रहे थे.
ऐसा पहली बार नहीं है जब अमित मालवीय ने सोशल मीडिया के ज़रिए ग़लत जानकारी शेयर की हो. ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी उनके कई भ्रामक/झूठे दावों की पड़ताल की है. पाठक उनसे संबंधित फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट्स लिंक 1, लिंक 2 और लिंक 3 पढ़ सकते हैं.
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