कुछ दिन पहले ट्विटर पर एक हैशटैग #RahulWaveInKazakh लंबे समय तक ट्रेंड होता रहा। यह हैशटैग एएनआई के एक लेख की प्रतिक्रिया में फैल रहा था जिसमें उन्होंने रूस, कजाखिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देशों के ऐसे 10 ट्विटर अकाउंट उजागर किए जिन्होंने राहुल गांधी के ट्वीट को रीट्वीट किया था। एएनआई का लेख अपराह्न 1:05 PM बजे प्रकाशित हुआ था और ट्विटर अकाउंट ani_digital द्वारा अपराह्न 1:12 PM पर ट्वीट किया गया था। जल्दी ही, प्रमुख मीडिया संस्थानों ने एएनआई के लेख को उठाया और अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के मकसद से इन संदिग्ध अकाउंट का इस्तेमाल करते हुए कथित तौर पर कांग्रेस और राहुल गांधी का दिन-भर मजाक उड़ाया।
एएनआई के लेख में शामिल सभी 10 ट्विटर अकाउंट को अब बंद कर दिया गया है। इन 10 ट्विटर अकाउंट के नाम charlot34583589, pkbjdasjyesc557, lawannapuchajd9, yrlkamcsmc1507, madelenegonza14, cherilynzagors6, alinevyverberg2, berniecebenson6, lynettacrabtre7 और bernierogers121 थे।
हैशटैग #RahulWaveInKazakh का इस्तेमाल करने वाले दो ट्वीट 21 अक्टूबर को अपराह्न 1:28 pm पर ट्वीट किये गये थे। इनमें से एक ट्वीट बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय का, और दूसरा ट्वीट डॉ. पराग नाम के ट्विटर अकाउंट से पोस्ट किया गया था। मामला यहीं से दिलचस्प होना शुरू होता है। जैसा कि हमने पहले बताया, एएनआई का लेख 1:05 pm पर प्रकाशित हुआ था और इसे पहली बार 1:12 pm पर ट्वीट किया गया था। आइए अब अमित मालवीय के कुछ ट्वीट्स पर नजर डालते हैं।
ऊपर दिखाए गए ट्वीट में, एएनआई के लेख के लिंक के साथ, अमित मालवीय ने अकाउंट pkbjdasjyesc557 का स्क्रीनशॉट लगाया है जो एएनआई के लेख में शामिल 10 अकॉउंटस में से एक अकाउंट है। कोई भी व्यक्ति यह देख सकता है कि यह स्क्रीनशॉट लेने के लिए जिस फोन का उपयोग किया गया है, उसका सेवा प्रदाता “Vodafone IN” है। इसका मतलब है कि स्क्रीनशॉट भारत में किसी जगह से लिया गया था जबकि उस समय वह फोन, वोडाफ़ोन के भारतीय नेटवर्क से कनेक्टेड था। इसलिए फ़ोन का टाइम ज़ोन भारतीय मानक समय (IST) होगा। अमित मालवीय का ट्वीट अपराह्न 1:28 pm पर पोस्ट किया गया था, एएनआई के लेख में टाइमस्टैम्प (अंकित समय) अपराह्न 1:05 pm बजे की थी लेकिन हैरानी की बात है कि अमित मालवीय का स्क्रीनशॉट पूर्वाह्न 10:38 am पर लिया गया था। जिसका मतलब है कि यह स्क्रीनशॉट या तो उस दिन पूर्वाह्न 10:38 am पर लिया गया होगा या फिर 21 अक्टूबर से पहले किसी दिन पूर्वाह्न/अपराह्न 10:38 am पर लिया गया था। किसी भी स्थ्िाति में, यह बात साफ है कि यह स्क्रीनशॉट एएनआई का लेख प्रकाशित होने से कई घंटे पहले लिया गया था।
आइए इसी हैशटैग के साथ अमित मालवीय जी के एक और ट्वीट को देखते हैं।
इस बार एएनआई की कहानी में शामिल एक और अकाउंट – cherilynzagors6 का स्क्रीनशॉट लिया गया है। फिर से यदि गौर करें तो अमित मालवीय द्वारा पोस्ट किए गए स्क्रीनशॉट में दिख रहे समय के मुताबिक, यह स्क्रीनशॉट 11:08 पर लिया गया था यानी एएनआई के लेख आने से कई घंटों पहले, यह स्क्रीनशॉट लिया जा चुका था।
आइए हैशटैग #RahulWaveinKazakh के साथ ट्वीट करते हुए अमित मालवीय जी के तीसरे स्क्रीनशॉट को देखें।
इस तस्वीर को यदि ज़ूम करें तो आप देखेंगे कि ट्वीट का अंकित समय 11:05 या 11:06 है। दोबारा ध्यान दें कि संबंधित अकाउंट madelenegonza14 एएनआई की उस स्टोरी में शामिल है जो बहुत बाद में प्रकाशित हुई।
एएनआई का लेख प्रकाशित होने के समय से पहले, स्क्रीनशॉट लेने का पैटर्न केवल इन तीन अकाउंट तक सीमित नहीं है। इसी दौरान हमने बीजेपी सोशल मीडिया वॉलंटियर योगेश मलिक का अकाउंट देखा जिसने उन ट्वीट्स और स्क्रीनशॉट की लंबी सूची वाला एक गूगल डॉक्यूमेंट्स शेयर किया था जिसे बीजेपी आईटी सेल के सदस्य कॉपी/पेस्ट कर सकते थे। योगेश मलिक अक्सर ऐसे डॉक्यूमेंट्स शेयर करते रहते है और ऑल्टन्यूज़ द्वारा प्रकाशित लेख, बीजेपी के #DemonetisationSuccess trend का भी हिस्सा थे।
गूगल डॉक्यूमेंट्स का लिंक यह हैः
https://docs.google.com/document/d/1-sgtBuviczpWm3CwtbluDP-vbnKi3nW6E3zft15IAxg/edit
इस मूल डॉक्यूमेंट को हटाया भी जा सकता है इसलिए हमने इस डॉक्यूमेंट का एक बैकअप भी रख लिया है ताकि इसे हटाए जाने पर रिकॉर्ड के रूप में यह बचा रहे।
इस डॉक्यूमेंट में अमित मालवीय द्वारा डाले गए स्क्रीनशॉट के साथ-साथ उन दूसरे ट्वीटर अकाउंट के स्क्रीनशॉट भी मौजूद हैं जो एएनआई के लेख में बाकायदा शामिल थे। ऐसा लगता है कि ये सभी स्क्रीनशॉट एक ही फ़ोन से लिये गये हैं जैसा कि फ़ोन की लगातार कम होती बैटरी के प्रतिशत से पता चलता है।
एएनआई की स्टोरी में शामिल किए गए अकाउंट charlot34583589 का स्क्रीनशॉट 10:28 पर लिया गया था।
सबसे पहला स्क्रीनशॉट lawannapuchajd9 अकाउंट का 10:18 पर लिया गया था और यह भी एएनआई की उस छानबीन का हिस्सा था जिसे बहुत बाद में अपराह्न 1:05 pm पर प्रकाशित किया गया था।
गूगल डॉक्यूमेंट में उन 10 अकॉउंटस में से हरेक अकाउंट के स्क्रीनशॉट हैं जिनका एएनआई ने ‘पर्दाफाश‘ किया और हर स्क्रीनशॉट की टाइमस्टैम्प एएनआई की स्टोरी प्रकाशित होने से कई घंटे पहले की है जैसा कि इन स्क्रीनशॉट और बीजेपी आईटी सेल द्वारा प्रसारित डॉक्यूमेंट में देखा जा सकता है। क्या बीजेपी के आईटी सेल को पहले से पता चल गया था कि एएनआई के लेख में क्या प्रकाशित होने जा रहा है?
एएनआई के लेख में कई महत्वपूर्ण तथ्यों को भी नजरंदाज किया गया है। राहुल गांधी के ट्वीट को रीट्वीट करने वाले कम से कम एक अकाउंट द्वारा बीजेपी सांसद प्रवेश साहिब सिंह का ट्वीट भी रीट्वीट किया गया है जो पश्चिम दिल्ली से सांसद हैं।
एएनआई के लेख में राहुल गांधी के ट्वीट का हवाला देते हुए यह कहा गया है कि ”यह ट्वीट बहुत तेज़ी से 20,000 बार रीट्वीट किया गया। (अनुवाद)” हालांकि राहुल गांधी के ट्वीट को रीट्वीट करने वाले 10 में से 5 अकाउंट उनके इस खास ट्वीट करने के बाद बने थे और इसलिए वे राहुल गांधी के ट्वीट को ‘बहुत तेज़ी से 20,000 बार रीट्वीट करने’ में अपना योगदान नहीं दे सकते। फिर से ध्यान दें कि एएनआई के लेख में इस बात का कहीं उल्लेख नहीं किया गया कि राहुल गांधी का ट्वीट 15 अक्टूबर को किया गया जबकि ये अकाउंट 16 अक्टूबर को बनाए गए थे।
एएनआई अपनी रिपोर्ट में एक और बात का जिक्र करना भूल गई कि इन सभी 10 अकाउंटस ने राहुल गांधी के केवल एक ट्वीट को ही रीट्वीट किया। अगर वाकई इन बॉट्स को काम पर लगाया गया था तो यह हैरान करने वाली बात है कि उन्होंने राहुल गांधी के किसी अन्य ट्वीट को रीट्वीट नहीं किया, सिवाय उस एक ट्वीट को छोड़कर जिसे एएनआई ने प्रमुखता से अपने लेख का आधार बनाया है। इस खास ट्वीट को 52,291 रीट्वीट और लाइक्स मिले। जिसका मतलब होगा कि राहुल गांधी के केवल इस ट्वीट पर मिलने वाली कुल प्रतिक्रियाओं (52,291) के मात्र 0.02 प्रतिशत प्रतिक्रियाओं के आधार पर एएनआई की यह स्टोरी तैयार की गई। 0.02 प्रतिशत के मामूली सैंपल के साथ, एएनआई किस आधार पर यह दावा कर रही है कि इसकी वजह से ‘लोकप्रियता बढ़ गई‘? इस तरह का दावा तभी किया जा सकता है जब कोई हर ट्वीट को मिलने वाले रीट्वीट और लाइक्स की संख्या में कोई न कोई तर्कसंगत बढ़ोत्तरी दिखा सकता हो। क्या एएनआई के पास अपने दावे के समर्थन में कोई डेटा मौजूद है?
एएनआई को अपनी इस अधूरी रिसर्च के बारे में बहुत-सी बातें स्पष्ट करनी हैं जो उनके लेख में उठाई गई हैं। लेकिन इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि बीजेपी का आईटी सेल एएनआई के लेख में शामिल उन 10 अकॉउंटस के स्क्रीनशॉट्स को उन टाइमस्टैम्प के साथ ट्वीट कर रहा है जो सभी एएनआई के लेख प्रकाशित होने से कई घंटे पहले के स्क्रीनशॉट्स हैं। आखिर बीजेपी आईटी सेल को किस दिव्यदृष्टि से यह पता चल गया कि एएनआई अपने लेख में इन्हीं चुनिंदा ट्वीटर अकाउंटस का उल्लेख करने जा रहा है?
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