सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो क्लिप को लोकसभा चुनावों में बूथ कैप्चरिंग के एक मामले के रूप में शेयर किया जा रहा है। संयोग से, भाजपा और कांग्रेस दोनों को एक ही क्लिप का उपयोग करके निशाना बनाया जा रहा है।

कांग्रेस के नाम से चलाए जा रहे एक पोस्ट में कहा गया है, “कोंग्रेस विधायक अनिल उपाध्याय की इस हरकत पर क्या कहेगे राहुल जी, इस video को इतना वायरल करो की ये पूरा हिन्दुस्तान देख सके।”

ऐसे ही कैप्शन के साथ भाजपा को निशाना बनाते हुए भी यह वीडियो प्रसारित किया गया है। यहां तक कि विधायक का नाम — अनिल उपाध्याय — भी वही है। इसका कैप्शन है, “BJP विधायक अनिल उपाध्याय की इस हरकत पर क्या कहेगे MODI जी, इस video को इतना वायरल करो की ये पूरा हिन्दुस्तान देख सके।”

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह वीडियो तृणमूल कांग्रेस के नाम से भी चलाया गया है।

पश्चिम बंगाल का वीडियो

यदि कोई ध्यान से सुने, तो वीडियो में लोगों को बंगला भाषा में बात करते हुए सुना जा सकता है। पश्चिम बंगाल में संभावित बूथ कैप्चरिंग की खबरों की तलाश में, हम 18 अप्रैल को रिपब्लिकटीवी द्वारा यूट्यूब पर अपलोड किए गए वीडियो तक पहुंचे। मीडिया संगठन ने यही वीडियो पोस्ट किया था और इसे कैप्शन दिया था – “इस्लामपुर में तृणमूल कांग्रेस द्वारा बूथ कैप्चरिंग।” -(अनुवाद)

हालांकि, हम इस वीडियो का उपयोग करती अन्य मीडिया खबरों का पता लगाने में असमर्थ रहे, लेकिन पश्चिम बंगाल के रायगंज निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस्लामपुर में बूथ कैप्चरिंग के आरोप की खबर ज़रूर मिली। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, “भाजपा के रायगंज संसदीय क्षेत्र के उम्मीदवार देबाश्री चौधरी ने आरोप लगाया कि टीएमसी कार्यकर्ताओं ने निर्वाचन क्षेत्र में एक मतदान केंद्र पर कब्जा करने की कोशिश की।”

द क्विंट की घटनास्थल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वायरल वीडियो में दिखाई गई घटना वास्तव में इस्लामपुर में घटित हुई थी, जहां 18 अप्रैल को मतदान हुआ था। इस रिपोर्ट के अनुसार, ”क्विंट के सूत्रों के अनुसार, वीडियो में दिख रहा शख्स मो सोमिनुद्दीन नामक रायगंज का टीएमसी कार्यकर्ता है। जब उनसे पूछा गया कि स्थानीय मीडिया को साक्षात्कार देने के दौरान वह मतदान केंद्र के अंदर क्या कर रहे थे, तो उन्होंने कहा कि वह अपनी वृद्धा मां और पहली बार मतदाता बेटियों की केवल मतदान प्रक्रिया में मदद करने के लिए वहां मौजूद थे, क्योंकि मतदान केंद्र में पीठासीन अधिकारी बीमार हो गए थे।” -(अनुवाद)

रायगंज के सीपीएम उम्मीदवार मोहम्मद सलीम के वाहन पर भी हमला किया गया, जब वह इस्लामपुर में मतदान केंद्र पर गए। सीपीएम ने आरोप लगाया कि हमले के पीछे टीएमसी का हाथ था। सलीम ने मीडिया को बताया, “मुझे इस बूथ के अंदर धांधली का पता चला।”

ऑल्ट न्यूज़ ने सीपीएम नेता से संपर्क किया जिन्होंने दावा किया कि रायगंज निर्वाचन क्षेत्र के लगभग 50-विवादित पोलिंग बूथों पर आपस मे समझौता कर लिया गया। “यह पारंपरिक बूथ कैप्चरिंग का मामला नहीं है। टीएमसी से संबंधित स्थानीय गुंडों या पंचायत सदस्यों के बजाय, बूथ के अंदर ऐसे लोग बैठे थे जो मतदाताओं को यह देखकर कि वे किसे वोट दे रहे हैं, भयभीत कर रहे थे।” सलीम ने आरोप लगाया कि टीएमसी द्वारा प्रभावित भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों के कारण बूथ कैप्चरिंग संभव थी। उन्होंने कहा, “टीएमसी के सदस्य अनधिकृत रूप से बूथ के अंदर थे। सेक्टर अधिकारी, चुनाव आयोग के प्रतिनिधि और पर्यवेक्षक – सभी मौन थे”।

पश्चिम बंगाल की इस एक कथित घटना का इस्तेमाल भाजपा और कांग्रेस दोनों को निशाना बनाने के लिए किया गया था। इसके अलावा, उम्मीदवार का नाम – अनिल उपाध्याय – भी काल्पनिक था। माय नेता वेबसाइट, जिसमें राज्य और केंद्रीय कानून निर्माताओं (विधायकों/सांसदों) के बारे में विवरण है, उसमें अनिल उपाध्याय नाम के कोई भी व्यक्ति को शामिल नहीं किया गया था।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.