11 मई को भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं की ट्विटर टाइमलाइन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ़ करने वाला आर्टिकल छा गया. इस आर्टिकल में कोविड-19 से उपजी परिस्थितियों को संभालने के मामले में पीएम मोदी की पीठ थपथपाते हुए हेडिंग लिखी गयी है, “पीएम मोदी कड़ी मेहनत कर रहे हैं; विपक्ष की बातों में न आयें (PM MODI HAS BEEN WORKING HARD; DON’T GET TRAPPED IN THE OPPOSITION’S BARBS)”

ये आर्टिकल भाजपा IT सेल के मुखिया अमित मालवीय, खेल एवं युवा और अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री किरन रिजीजू, भाजपा सांसद डॉ. जीतेन्द्र सिंह, फ़ाइनेंस और कॉर्पोरेट राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी, कोयला, खदान और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी, भाजपा सांसद नरेंद्र केशव सवइकर, झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास और पूर्व भाजपा विधायक अर्चना चिटनिस ने शेयर किया.

पूरे आर्टिकल में लिखा है कि कैसे, जब लोग इस स्थिति के लिए ज़िम्मेदार ठहराने में लगे हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना किसी को जवाब दिए देश की भलाई में जुटे हैं. आर्टिकल में सरकार के प्रति सभी आलोचनाओं की लीपापोती करते हुए बताया गया है कि कैसे कुछ मुख्यमंत्री बच्चों की तरह रो रहे हैं और ज़िम्मेदारी से पलड़ा झाड़ रहे हैं, कैसे कांग्रेस सरकार एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली बनाने में नाकामयाब रही और कैसे नरेंद्र मोदी के आलोचक उनकी छवि को धूमिल करने में लगे हैं.

ये स्टोरी ‘द डेली गार्डियन’ नाम के आउटलेट ने पब्लिश की है जो इससे पहले कभी लोगों की नज़र में नहीं आया था. इसका नाम ‘द गार्डियन’ से मिलता है लेकिन यूके के न्यूज़ आउटलेट से इसका दूर-दूर तक का कोई नाता नहीं है.

ये आर्टिकल भाजपा की नेशनल मीडिया टीम के सदस्य ने लिखा है

आउटलेट का नाम अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों से मिलता है इसलिए कई लोगों ने समझ लिया कि किसी विदेशी मीडिया पब्लिकेशन ने 2,700 शब्द लम्बे आर्टिकल के ज़रिये पीएम मोदी की सराहना की है. लेकिन ये आर्टिकल भाजपा के मीडिया रिलेशंस विभाग के सुदेश वर्मा ने लिखा है. वो भाजपा के प्रवक्ता के रूप में टीवी चैनलों पर भी आते रहे हैं.

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इस ओपिनियन आर्टिकल में सुदेश वर्मा ने कोरोना की भयावह स्थिति के लिए प्रधानमंत्री मोदी के अलावा सभी को ज़िम्मेदार ठहरा दिया. उन्होंने पूछा, “दुनिया में किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि कोरोना की दूसरी लहर इतनी ख़तरनाक होगी. सभी ने सोचा था कि पहले से कम स्तर पर फैलेगा. क्या इसके लिए भी हम मोदी को ज़िम्मेदार ठहरा सकते हैं?” लेकिन इसी सरकार द्वारा गठित वैज्ञानिकों के फ़ोरम ने मार्च में भी चेतावनी दी थी कि कोरोना मामलों में बहुत तेज़ वृद्धि आने वाली है और सरकार ने इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया.

आर्टिकल में आगे कहा गया है, “अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने से पहले तक मात्र एक AIIMS हुआ करता था जो 1952 में बना था. लेकिन वाजपेयी ने 6 और AIIMS खोलने का फ़ैसला लिया… वाजपेयी से सीख लेते हुए मनमोहन सरकार ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली में 2013 में एक AIIMS बनवाया. और जब नरेंद्र मोदी आये, उन्होंने पूरे देश में 14 AIIMS खोलने का फ़ैसला किया.” लेकिन ये लिखते समय उन्होंने तथ्यात्मक गड़बड़ी कर दी. वाजपेयी ने 6 AIIMS खोलने की घोषणा तो की थी लेकिन उन्हें UPA के काल में खोला गया था. इसके अलावा, जिन 14 AIIMS की घोषणा नरेंद्र मोदी ने की, आज की तारीख़ में उनमें से कोई भी पूरी क्षमता के साथ चालू नहीं हो पाया है. कई जगह या तो आधे-अधूरे काम हो रहे हैं या अभी निर्माण कार्य ही चल रहा है.

आगे लिखा है, “किसी को भी अन्य पार्टियों और उनके नेताओं के कैंपेन से दिक्कत नहीं हुई लेकिन आलोचकों को प्रधानमंत्री से ही दिक्कत हो रही है. प्रधानमंत्री के लिए अलग नियम नहीं बनाये जाते हैं. और उन्होंने पश्चिम बंगाल में कैंपेन के आखिरी चरण की अपनी बैठकें रोक दी थीं. मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य भाजपा नेताओं ने भी पश्चिम बंगाल में चुनाव के मध्य में ही सभी दौरे रद्द कर दिए.” लेकिन पाठक नीचे पीएम मोदी का आसनसोल में 17 अप्रैल को दिया गया भाषण सुन सकते हैं जिसमें वो (बगैर मास्क पहने दिख रहे हैं) गर्व से कह रहे हैं कि इससे पहले उन्होंने इतनी बड़ी भीड़ कभी नहीं देखी. उनके शब्द हैं, “चारों तरफ़ मैंने ऐसी सभा पहली बार देखी है…मैं जहां देख सकता हूं मुझे लोग ही लोग दिखते हैं.” जिस दिन उन्होंने ये बात कही, उसी दिन देश में 2.6 लाख से ज़्यादा मामले सामने आये थे.

इसके पांच दिन बाद पीएम मोदी ने फ़ैसला किया कि अब वो पश्चिम बंगाल में आगे की चुनावी रैली में भाग नहीं लेंगे. क्योंकि कोविड आने के बाद ये पहली बार था जब राज्य में सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किये गए. सुदेश वर्मा ने पीएम का बचाव करते हुए ये तो कह दिया कि उन्होंने चुनाव के आखिरी समय में रैली में भाग लेना बंद कर दिया लेकिन ये नहीं बताया कि क्षेत्रों में रैलियां फिर भी हो रही थीं और पीएम उसमें वर्चुअली उपस्थित होते थे.

सुदेश वर्मा आगे लिखते हैं, “हरिद्वार में कुम्भ मेला क्यों हुआ? इसे स्थगित किया जा सकता था. ये राज्य की ज़िम्मेदारी थी कि वो देखे कि क्या कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इतने बड़े स्तर का मेला लगाना संभव है या नहीं… प्रधानमंत्री ने सभी से तो मेले को केवल प्रतीकात्मक रखने की भी गुज़ारिश की थी.” लेकिन तथ्यात्मक तौर से फिर गड़बड़ी की गयी क्योंकि पीएम मोदी ने जनता से ये अपील 18 अप्रैल को की थी. और तब तक लाखों लोग मेले में शामिल हो चुके थे. कुम्भ मेले की तस्वीर लगभग सभी अख़बारों के पहले पन्ने पर छापी गयी थी जिसमें नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी दिखती थी. इस विज्ञापन में लिखा हुआ था – “सभी भक्तों का हार्दिक स्वागत है.”

द कारवां ने हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को रातों-रातों कुर्सी से हटाने की वजह ये थी कि उन्होंने कुम्भ मेला की भीड़ पर इस साल प्रतिबन्ध लगाने और इसे प्रतीकात्मक रखने का सुझाव दिया था. लेकिन कुम्भ न केवल आयोजित किया गया बल्कि ज्योतिष एवं शास्त्र के बताये मुहूर्त के हिसाब से एक साल पहले ही आयोजित किया गया.

डेली गार्डियन का मालिक ITV है

डेली गार्डियन को इसी साल फ़रवरी में ITV नेटवर्क ने लॉन्च किया था. ITV न्यूज़X का भी मालिक है.

न्यूज़X ने डेली गार्डियन के लॉन्च पर भाजपा हरियाणा के अध्यक्ष का संबोधन दिखाया था जिसमें वो पत्रकारों को लॉन्च के मौके पर बधाई दे रहे थे.

ये आउटलेट केवल 3 महीने पहले अस्तित्व में आया है और सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी के साथ इसने एक्सक्लूज़िव इंटरव्यू किया था. नितिन गडकरी ने इस इंटरव्यू में कहा था कि कोरोना वायरस ‘एक छिपा हुआ आशीर्वाद’ साबित हो सकता है जो भारत में FDI निवेश को बढ़ावा देने में भूमिका निभाएगा.

कुछ प्रो-मोदी आर्टिकल के अलावा आउटलेट ने ऐसे बेतुके आर्टिकल भी छापे जिसमें लोगों को चिंतित होने से मना किया जा रहा है और सरकार पर भरोसा रखने बोला जा रहा है. इसमें लिखा है, “सर, ये सरकार आपकी है इसलिए भरोसा रखिये. अगर आप भरोसा नहीं करते हैं तो क्या होगा आप जानते हैं? इससे नकारात्मकता बढ़ेगी और लोगों के बीच डर और भ्रम पैदा होगा.” वेबसाइट खोलते ही इसकी हेडलाइन दिखती है – “शरीर में ऐंटीबॉडीज़ बनाने के लिए खुश रहें.” और यही वाक्य एक साथ दो बार लिखा गया है. आर्टिकल में व्याकरण और फ़ॉर्मेट की और भी कई ग़लतियां हैं.

डेली गार्डियन के कार्यकारी संपादक उत्पल कुमार हैं.

भाजपा मीडिया रिलेशंस विभाग के सदस्य ने स्वास्थ्य प्रणाली में गए काम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ाई करते हुए एक ओपिनियन पीस लिखा जिसमें तथ्यात्मक ग़लतियों की भरमार है. ये आर्टिकल डेली गार्डियन नाम के आउटलेट ने छापा जिसका मालिक ITV नेटवर्क है. इसे कई भाजपा नेताओं ने शेयर करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कोविड से निपटने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. ये पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी की तारीफ़ों के पुल बांधता ऐसा आर्टिकल चर्चा का विषय बना हो. एक ऐसी ही अज्ञात वेबसाइट ‘ब्रिटिश हेरल्ड‘ ने 2019 में पाठकों द्वारा वोट देकर सबसे प्रभावशाली नेता के रूप में पीएम मोदी को चुने जाने की बात कही थी. इसके नाम पर मत जायें, इसका मालिक भी एक भारतीय उद्योगपति है.


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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.