कोलकाता से लगभग 25 किलोमीटर उत्तर में स्थित बारासात शहर में संपत्ति विवाद को लेकर 11 साल के लड़के की कथित हत्या ने सोशल मीडिया पर बच्चों के अपहरण और अंग तस्करी की निराधार अफवाहों को हवा दे दी है. इसके बाद इलाके में काफ़ी दहशत और हिंसक सतर्कता फैल गई है. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना ज़िले के बारासात से सटे इलाकों में पिछले पांच दिनों में निर्दोष लोगों पर भीड़ के हमले की कम से कम पांच घटनाएं सामने आयी हैं.
इन मामलों के सिलसिले में अब तक 34 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है जिनमें अफवाहें फ़ैलाने वाले झूठे सोशल मीडिया पोस्ट के लिए चार लोग शामिल हैं. बारासात SP प्रतीक्षा झारखरिया ने 19 जून को प्रेस को बताया, “बारासात ज़िले में बच्चों के अपहरण की एक भी घटना नहीं हुई है. इस संबंध में सोशल मीडिया पर वायरल सभी दावे झूठे हैं.”
हालांकि, अफवाहें फ़ेसबुक पोस्ट से फैलती हैं. SP ने सोमवार, 24 जून को ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि पुलिस ने 55 ऐसे फ़ेसबुक पोस्ट की पहचान की है जिनमें से 51 को हटा दिया गया है.
11 साल का लापता लड़का मृत पाया गया
बारासात के काजीपारा के एक 11 साल के लड़के का क्षत-विक्षत शव उसके लापता होने के चार दिन बाद 13 जून को पड़ोसी के घर में लंबे समय से अप्रयुक्त शौचालय के अंदर लटका हुआ पाया गया था. शुरूआती शव परीक्षण रिपोर्ट से पता चला कि उसकी गला दबाकर हत्या की गई थी.
बारासात पुलिस ने लगभग एक हफ़्ते में मामले का खुलासा किया और 20 जून को लड़के के चाचा एंगर नबी को गिरफ़्तार कर लिया. पुलिस के अनुसार, नबी ने लड़के के पिता के साथ वित्तीय विवाद के कारण लड़के की हत्या करने की बात कबूल की.
आरोपी ने कई बार पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की थी. उसने कथित तौर पर पड़ोसी के घर की दीवारों पर लाल तरल पदार्थ डाला था ताकि ये आभास हो सके कि उस घर के लोगों ने लड़के को मार डाला है. SP प्रतीक्षा झारखरिया ने द टेलीग्राफ़ को बताया, “एक फ़ोरेंसिक टीम ने पड़ोसी के घर की दीवारों से नमूने इकट्ठा किए थे. ये इंसान का खून नहीं था. उसने कई बार हमें गुमराह करने की कोशिश की. लेकिन उनके बयान बदलते रहे और हम उससे सवाल करते रहे. आखिरकार उसने बात मानी और हमें बताया कि उसने बदला लेने के लिए लड़के को मार डाला है.”
हालांकि, सफल जांच से पुलिस को थोड़ी राहत मिली क्योंकि बच्चे का अगवा करने वालों और अंगों के तस्करों की अफवाहें पहले ही जंगल की आग की तरह फैल चुकी थीं.
अफवाहें
SP झारखड़िया के मुताबिक. अफवाहें खुद नबी ने शुरू की थीं जब लड़का लापता हो गया था. वो एक स्थानीय मस्जिद में मुअज़्ज़िन के रूप में काम करता है और स्थानीय लोगों पर उसका काफी प्रभाव है. 12 जून को लड़के का शव मिलने से एक दिन पहले, उसने लोगों को बताया कि एक बच्चा चोर महिला उस इलाके में थी. उन्होंने मस्जिद की सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का इस्तेमाल करके इस पर एक घोषणा भी की और लोगों से बच्चा चोरों के खिलाफ़ विरोध करने का आग्रह किया.
ऑल्ट न्यूज़ ने बारासात में एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक से बात की जिन्होंने कहा कि अफवाहें मौखिक रूप से फैलनी शुरू हो गई थीं. लेकिन जल्द ही किसी ने इस पर एक फ़ेसबुक पोस्ट कर दिया.
एक पोस्ट ने कई लोगों को प्रभावित किया और सोशल मीडिया अफवाह ने लोगों को चेताना शुरू कर दिया. लोगों ने बच्चा चोरी करने वालों की तलाश में एक-दूसरे को चेतावनी देने वाले व्हाट्सऐप टेक्स्ट भी फॉरवर्ड करना शुरू कर दिया.
बच्चे का शव मिलने के बाद इस दावे ने आग में घी डालने का काम किया. क्षत-विक्षत शव की एक विचलित करने वाली तस्वीर शेयर होने लगी. स्कूल शिक्षक ने कहा कि उन्हें व्हाट्सऐप पर दो तस्वीरों का एक कोलाज मिला है जिसमें एक बच्चे की तस्वीर थी और दूसरी शव की. इसे जितना संभव हो सके शेयर करने की अपील भी थी. उन्होंने कहा, “ये एक संवेदनशील पोस्ट था, मैंने इसे तुरंत हटा दिया.”
ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे ही एक फ़ेसबुक पोस्ट को एक्सेस किया जो अब हटा दिया गया है. इसमें 11 साल के लड़के और पुलिस द्वारा बरामद उसके क्षत-विक्षत शव की तस्वीरों का एक कोलाज था. पोस्ट में काजीपारा घटना में अंग तस्करी रैकेट के शामिल होने की बात कही गई थी.
पोस्ट में कहा गया है: “दाईं ओर की तस्वीर उसके लापता होने से पहले की है. मुद्दा ये है… पिछले कुछ दिनों में कई बच्चे लापता हो गए हैं और उनका कोई पता नहीं चल पाया है. बस यही बच्चा मिल गया है. हैरानी की बात ये है कि बड़े-बड़े न्यूज़ चैनल इसे नहीं दिखा रहे हैं. मुझे व्यक्तिगत रूप से शक है कि इसके पीछे एक बड़ा रैकेट है (बंगाली में इसे ग़लत लिखा गया है.) इसमें कुछ बड़े लोग शामिल हैं क्योंकि किडनी निकालना इतना आसान काम नहीं है. केवल अनुभवी डॉक्टर ही ऐसा कर सकते हैं. किडनी को स्टोर करना भी कोई आसान काम नहीं है…”
काजीपारा के 1 किलोमीटर के दायरे में कई स्कूल हैं. एक बार जब युवा छात्रों के माता-बाप के व्हाट्सऐप ग्रुपों में अफवाहें फैल गईं, तो उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया. अफवाहों से प्रेरित होकर, 10 जून को लगभग 40 किलोमीटर दूर चकदह में स्थानीय लोगों ने बच्चा चोर होने के शक में एक महिला की पिटाई कर दी. घटना के विज़ुअल्स फ़ेसबुक पर वायरल हो गए जिनमें से कुछ अभी भी मौजूद हैं.
न्यूज़ 24 बांग्ला लाइव नाम के एक स्थानीय न्यूज़ आउटलेट ने इस पर एक रिपोर्ट की थी जिसमें महिला को बच्चा चोर गिरोह का मास्टरमाइंड बताया गया था. कई यूज़र्स ने इसे फ़ेसबुक पेजों पर शेयर किया.
घटना की सूचना मिलने पर बारासात पुलिस अधिकारी चकदह गये. SP ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “महिला चकदह की रहने वाली है. हमने उसके ठिकाने का पता लगाया. वो घर-घर जाकर भीख मांगती है. हमने पूरी जांच की और पाया कि वो किसी भी ग़लत काम में शामिल नहीं थी. उसका कोई पूर्ववृत्त या आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था.”
अफवाहों को दूर करने की कोशिश करते हुए, बारासात पुलिस ने एसडीपीओ विद्यागर अजिंक्य अनंत के साथ एक वीडियो डाला जिसमें कहा गया कि पोस्टमार्टम सर्जन के मुताबिक, बच्चे के शरीर से कोई अंग गायब नहीं था और अंग तस्करी का बच्चे की ‘हत्या’ से कोई लेना-देना नहीं है.
Social media rumors allege a woman is involved in child and organ trafficking in Barasat. The medical officer confirmed after a child’s post-mortem that it’s not organ trafficking. Please don’t spread these false news.
#FakeNewsAlert #BarasatPoliceDistrict #WestBanegalPolice4U pic.twitter.com/awKwRMomFL— Barasat District Police (@BarasatPolice) June 17, 2024
वीडियो को फ़ेसबुक पर भी शेयर किया गया. पुलिस ने व्हाट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी एक नोटिस शेयर की है.
हालांकि, घटना के विज़ुअल्स फ़ेसबुक पर इस झूठे दावे के साथ वायरल हो गए कि महिला ने पांच बच्चों को अगवा किया था. आगे, वायरल पोस्ट्स के कुछ स्क्रीनशॉट हैं:
यूज़र ‘समायरा पुरकायस्थ’ एक एक्टर-इन्फ्लुएंसर हैं जिनके बड़ी संख्या में फ़ॉलोवर्स हैं. बाद में उन्होंने एक और पोस्ट शेयर कर अपनी पिछली पोस्ट के लिए माफी मांगी और स्वीकार किया कि बच्चा चोरी की ख़बर फर्ज़ी थी.
उपर बताए सभी पोस्ट में एक ही तस्वीर थी जिसमें इंजामुल हक का नाम था. पुलिस ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि इंजामुल हक पहला व्यक्ति था जिसने सोशल मीडिया पर बच्चों के अपहरण और अंग तस्करी के संबंध में पोस्ट शेयर की थी.
हमने उनके X हैंडल (@InjamulOfficial) का पता लगाया जहां उनके ज़्यादातर पोस्ट में वही नाम था जो फ़ेसबुक पोस्ट में था. X पर, इंजामुल हक ने ज़्यादातर बंगाल और तृणमूल कांग्रेस से संबंधित न्यूज़ अपडेट शेयर किए. उन्होंने अलग-अलग मुद्दों पर बीजेपी पर हमला भी बोला.
उनका फ़ेसबुक पेज या तो डिलीट कर दिया गया है या प्राइवेट कर दिया गया है.
चार फ़ेसबुक यूज़र गिरफ्तार
पुलिस ने बच्चों के अपहरण के बारे में अफवाहों को हवा देने वाले झूठे सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में चार लोगों को गिरफ़्तार किया. उनकी पहचान प्रीतम मिस्त्री, अब्दुल करीम खान, पायल तालुकदार और शेख मिजानुर रहमान के रूप में की गई.
बारासात की एडिशनल SP स्पर्श नियालंगी ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि शुरू में दर्ज़ किए गए स्वत: संज्ञान मामले में उन पर IPC 505 और 506 के तहत आरोप लगाए गए थे. हालांकि, भीड़ के हमले के आरोप में गिरफ़्तार किए गए लोगों से पूछताछ के दौरान ये पता चला कि हिंसा भड़काने वालों के रूप में ये चार नाम सामने आए थे. उन्होंने कहा, ”उनका नाम मारपीट से जुड़े मामले में जोड़ा गया है.”
SP प्रतीक्षा झारखरिया ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “फ़ेसबुक पेजों के प्रशासकों के रूप में या व्यक्तिगत यूज़र के रूप में वो एक जैसे, विशेष रूप से वीडियो पोस्ट कर रहे थे, और अफवाहें फैला रहे थे कि बारासात में बच्चा चोरों का एक गिरोह घूम रहा है. जब हमने ऑफ़िशियल हैंडल से उन पोस्ट पर कमेंट किया, तो उन्होंने हमारे कमेंट्स को हटा दिया ये सुनिश्चित करने के लिए कि अफवाहें बंद न हों.”
ये पूछे जाने पर कि इंजामुल हक, अपर सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई. SP नीलांगी ने कहा, ”इंजामुल हक बारासात के निवासी नहीं हैं. वो बैरकपुर से हैं. जब हमने उनसे कॉन्टेक्ट किया और उन्हें बताया कि ये फर्ज़ी ख़बर है, तो उन्होंने इसे हटा दिया. ये 18 जून की बात है जब कोई भी हमला की घटना नहीं हुई थी (उस घटना के अलावा जिसके बारे में उन्होंने पोस्ट किया था). 18 तारीख को ही उन्होंने इसे डिलीट कर दिया. 19 तारीख को जब दो घटनाएं हुईं, हमने देखा कि बारासात से संबंधित कुछ सोशल मीडिया ग्रुप्स या पेज ने वही फ़र्ज़ी ख़बर पोस्ट की थी. जब हमने उनसे संपर्क करने की कोशिश की और पोस्ट हटाने के लिए कहा, तो उन्होंने पोस्ट नहीं हटाईं. इसके अलावा (चूंकि वे बारासात से हैं) स्थानीय लोगों ने उनकी पोस्ट देखी और दूसरों पर हमला करके अपनी प्रतिक्रिया दी.”
डर के परिणामस्वरूप आसपास के कस्बों में भीड़ द्वारा हमले होते हैं
पांच दिनों के भीतर बच्चा चोर की अफवाहों के आधार पर भीड़ द्वारा निर्दोष लोगों पर हमले की कई घटनाएं सामने आईं.
19 जून को बारासात में दो घटनाएं सामने आईं. मोल्लापारा में स्थानीय लोगों ने एक व्यक्ति की पिटाई कर दी.
उसी दिन, सेंट्रल मॉडर्न स्कूल के पास ऑटो-रिक्शा पर चढ़ते समय एक पुरुष और एक महिला के साथ मारपीट की गई. जब पुलिस ने हस्तक्षेप किया, तो भीड़ ने दंगा किया और पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया. दोनों पीड़ितों को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
स्थानीय पार्षद समीर तालुकदार ने आनंदबाज़ार पत्रिका को बताया, ”अफवाहों का कोई आधार नहीं है. सिर्फ शक के आधार पर लोगों को पीटा जा रहा है. दो लोगों को तब तक बुरी तरह पीटा गया जब तक खून नहीं बहने लगे. कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स बच्चा चोरी की असत्यापित खबरें वायरल कर रहे हैं. पुलिस उनके खिलाफ़ कार्रवाई कर रही है. वो दहशत फैला रहे हैं.”
21 जून को अशोक नगर में रजनी खातून नामक महिला के साथ मारपीट की गयी. जब पुलिस ने उसे भीड़ से बचाने की कोशिश की तो झड़प में पुलिस का एक एसआई घायल हो गया. अगले दिन, राणाघाट PS क्षेत्र के अंतर्गत मोहनपुर में एक ईद मेले में नज़ीर हुसैन नाम के एक व्यक्ति की पिटाई की गई.
24 तारीख को ठाकुरपल्ली, बनगांव से एक और घटना सामने आई. बच्चा चोरी के शक में स्थानीय लोगों ने एक घुमक्कड़ की पिटाई कर दी. पुलिस ने उसे बचाया और अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया.
‘आपराधिक, भीड़ की मानसिकता से स्तब्ध’
SP प्रतीक्षा झारखरिया ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “ये हमले निराधार सोशल मीडिया पोस्ट का प्रत्यक्ष परिणाम थे. हमने ऐसे 55 पोस्ट का पता लगाया और एक-एक करके यूज़र्स तक पहुंचने की कोशिश की. इनमें से ज़्यादातर अब हटा दिए गए हैं. इनमें से कुछ को 80 से 90 हज़ार फ़ॉलोवर्स वाले ‘अमर सहर बारासात’ और ‘बारासात ऑनलाइन’ जैसे कम्यूनिटी पेज पर पोस्ट किया गया था. हमने देखा कि विदेश में रहने वाले बारासात के लोगों ने भी इसे वेरिफ़ाई किए बिना शेयर किया था.”
उन्होंने कहा, “जहां भी कोई अनजान चेहरा दिखता है, अगर वो संदिग्ध दिखता है, तो लोग उसे बच्चा चोर के रूप में टैग कर रहे हैं. ज़्यादातर मामलों में ये लोग आवारा, नशेड़ी और भिखारी होते हैं. एक उदाहरण में व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार था. उन सभी को पीटा गया. हिंसक सतर्कता विकराल स्तर पर पहुंच गई है.”
IPS अधिकारी ने कहा कि वो लोगों की हिंसक होने की प्रवृत्ति से स्तब्ध थीं. “मानो, उन्होंने मनोरंजन के लिए ऐसा किया हो. कानून लागू करने वालों के रूप में ये घटना हमारे लिए आंखें खोलने वाला है. दत्तपुकुर की एक घटना में हर कोई पीड़ित को 6 से 7 साल तक रेलवे स्टेशन के पास रहने वाले एक आवारा व्यक्ति के रूप में जानता था. फिर भी उस पर हमला किया गया. अंदर आपराधिकता हमेशा मौजूद थी. एक बार जब अफवाहें फैल गईं, तो इसे भड़कने का रास्ता मिल गया.
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