भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दलित विभाग के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक फ़ोटो ट्वीट किया जिसमें एक व्यक्ति अपनी पीठ पर एक बुजुर्ग महिला को लेकर जा रहा है. कैप्शन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से सवाल किया गया है, “.@narendramodi जी, क्या आप इनके चेहरे की बेबसी को आप पढ़ पा रहे हैं? कुछ तो करो सरकार..”

इंडिया यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अभियान मुखिया श्रीवत्स ने भी यह फ़ोटो ट्वीट करते हुए भारतीय रेल की अप्रवासी मजदूरों से किराया वसूलने की आलोचना की.

पत्रकार विनोद दुआ ने 11 मई 2020 को HW न्यूज़ पर अपने कार्यक्रम में यही तस्वीर दिखाई. नीचे शो से लिया गया स्क्रीनशॉट आप देख सकते हैं.

अर्थशास्त्री रूपा सुब्रमण्या और पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने तस्वीरों का जो कोलाज शेयर किया है उसमें एक तस्वीर यह भी है.

फैक्ट-चेक

गूगल रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिए ऑल्ट न्यूज़ ने पता लगाया कि यह तस्वीर अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी प्रेसेंज़ा ने 8 नवंबर 2017 को प्रकाशित की थी. लेख के शीर्षक पर लिखा था “कोक्स बाजार, बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी.” तस्वीर का क्रेडिट मुबारक हुसैन को दिया गया है. यह उन रोहिंग्या शरणार्थियों की हालत दिखाती है जिन्होंने बांग्लादेश तक अपना रास्ता तय किया था.

इसके अलावा हमें मिडिल ईस्ट अपडेट नाम के फ़ेसबुक पेज पर 9 सितंबर 2017 का एक पोस्ट दिखा जिसमें यही शख्स अपनी मां को पीठ पर लादकर ले जा रहा है. (गूगल ट्रांसलेशन के मुताबिक) “जब म्यांमार के सैनिकों ने हमारे घर को जला दिया, मैं पिछले 4 दिन से मां को अपनी पीठ पर लेकर चल रहा हूं.” आगे जांच करने पर पता चला कि फ़ोटो 2 साल से ज़्यादा पुरानी है. बूम लाइव को बंगाली वेबसाइट पर 6 सितंबर 2017 को प्रकाशित हुआ एक लेख मिला. खबर के मुताबिक ओसिउर रहमान नाम का शख्स अपनी 75 साल की मां ममताज बेगम को पीठ पर लादकर बांग्लादेश पहुंचा.

यानी बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी की 2017 की तस्वीर को लॉकडाउन में घर लौटते असहाय अप्रवासी मजदूरों के रूप में शेयर किया गया.

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Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.