क्या मोदी सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के स्वर्ण भंडार से, गुप्त रूप से विदेशों में 200 टन से अधिक सोना हस्तांतरित किया? राष्ट्रीय स्वामित्व वाली कीमती धातु का यह मुद्दा कुछ प्रकाशनों में सामने आई ‘रिपोर्टों’ के आधार पर उभरा है, जिन्हें बाद में सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफार्मों पर शेयर किया गया।

कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक हैंडल से एक पार्टी-समर्थक प्रकाशन, नेशनल हेराल्ड के एक लेख का लिंक ट्वीट किया, जिसका शीर्षक था ‘क्या मोदी सरकार ने 2014 में गुपचुप तरीके से आरबीआई का 200 टन सोना स्विट्जरलैंड में परिवहन किया?’ -(अनुवाद) यह लेख 2 मई को ऑनलाइन प्रकाशित हुआ था।

यह ‘समाचार’ व्हाट्सएप पर प्रसारित हो रहा है। एक अप्रचलित हिंदी प्रकाशन, दैनिक दोपहर (नीचे पोस्ट की गई तस्वीर) में इसी तरह का समाचार छपा दिख रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है, “ईमानदारी और पारदर्शी का ढिंढोरा पिटने वाली नरेंद्र मोदी सरकार ने विदेशों में 268 टन सोना गिरवी रख दिया। इस बात को लगभग साढ़े 4 साल पूरे होने को है, जिसका अब आरटीआई के माध्यम से बड़ा खुलासा हुआ तो मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही है।”

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि नवनीत चतुर्वेदी नाम के एक खोजी पत्रकार ने आरटीआई दायर की थी और दावा किया था कि सरकार ने जुलाई 2014 में 268 टन सोना विदेश में स्थानांतरित किया था, जिसके लिए उसके पास संबंधित दस्तावेज हैं। इसमें कहा गया है, “उनहोंने दावा किया है की रिजर्व बैंक में रखा गया सोना जून 2011 की रिपोर्ट में सोना पूरी तरह से रिजर्व बैंक में रखा गया पाया गया, लेकिन 2015 की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि आरबीआई की बैलेंस शीट में 268 टन सोना कम दर्शाया गया, लेकिन इतने बड़े मामले को मोदी सरकार ने पूरी तरह से गोपनीय रखा …।” उनके फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार, चतुर्वेदी खुद को ‘स्वतंत्र खोजी पत्रकार’ बताते हैं। उनकी प्रोफाइल यह भी कहती है कि वह दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।

हिंदी प्रकाशन, इंदौर समाचार में यही इस शीर्षक से छापा गया है- “RBI का 200 टन सोना चोरी छुपे विदेश भेजा गया”।

सोशल मीडिया में, एक पेज, जर्नलिस्ट पुण्य प्रसून बाजपेयी द्वारा एक मीम के रूप में यही पोस्ट किया गया है। इस पोस्ट को 17,000 से अधिक बार शेयर किया गया है।

दावा कितना सच है?

क्या इस दावे में कोई सच्चाई है कि आरबीआई ने इतनी बड़ी मात्रा में सोना देश के बाहर स्थानांतरित कर दिया हो, और वह भी मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद?

ऑल्ट न्यूज़ ने क्रमिक वर्षों- 2011-12, 2012-13 और 2013-14 की केंद्रीय बैंक की वार्षिक रिपोर्टों का गहन अवलोकन किया और इसकी तुलना 2014-15 से लेकर नवीनतम 2017-18 तक की आरबीआई की वार्षिक रिपोर्टों से की। भारतीय रिजर्व बैंक का कुल सोने का स्टॉक लगातार बना हुआ है, और वास्तव में, 2017-18 में मामूली वृद्धि हुई है।

आइए, हम यूपीए-2 शासन के अंतिम वर्ष 2013-14 को लेते हैं। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2013-14 में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक द्वारा रखे गए सोने की कुल मात्रा 557.75 टन है, “जिसमें से 292.26 मीट्रिक टन को इश्यू डिपार्टमेंट की संपत्ति के रूप में रखा गया है और शेष 265.49 मीट्रिक टन का हिस्सा बैंकिंग विभाग की अन्य संपत्तियों के रूप में माना जाता है।” यह दोहराया जा सकता है कि ‘इश्यू डिपार्टमेंट में रखा गया सोना’उस सोने को संदर्भित करता है, जो देश में आरबीआई द्वारा जारी कुल मुद्रा नोटों के कवर के रूप में हैं, जबकि ‘बैंकिंग विभाग में रखा गया सोना’ वह सोना है, जो विदेशों में रखा गया है।

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2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, “रिजर्व बैंक के पास 566.23 मीट्रिक टन सोना है, जिसमें से 292.30 मीट्रिक टन, 30 जून, 2018 के अनुसार (तालिका XII.6) जारी नोटों के समर्थन के रूप में रखे गए हैं। प्राथमिक तौर पर, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्यह्रास के कारण, जारी नोटों के समर्थन के रूप में रखे गए सोने का मूल्य, 30 जून, 2017 के 690.30 बिलियन से 7.70 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 30 जून, 2018 को 743.49 बिलियन हो गया।” -(अनुवाद)

RBI Annual Report 2017-18

नहीं, 200 टन सोना विदेश नहीं भेजा गया

दो रिपोर्टों, अर्थात, 2013-14 और 2017-18 की संख्याओं की तुलना स्पष्ट रूप से बताती है कि सोने की मात्रा में गिरावट नहीं, बल्कि वास्तव में, 8.48 टन की मामूली वृद्धि हुई है, 2013-14 में 557.75 टन से बढ़कर 2017-18 में 566.23 टन हो गया है। इसके अलावा, बैंकिंग विभाग में रखे गए सोने की मात्रा स्थिर रही है- 2013-14 में यह 265.49 टन थी, जो 2017-18 में बढ़कर 273.93 हो गई। दूसरे शब्दों में, मोदी सरकार के शासन के दौरान विदेशों में 200 टन से अधिक सोने का कोई गुप्त हस्तांतरण नहीं हुआ, जैसा कि दावा किया गया है।

यह ध्यान देना उपयुक्त होगा कि सोने का यह हस्तांतरण बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) को 2014 से पहले यानी मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले प्रभावी किया गया था। 28 फरवरी, 2012 को द हिंदू की एक रिपोर्ट में कहा गया था, “रिजर्व बैंक के पास 30 सितंबर, 2011 तक 557.75 टन सोना था। इनमें से 265.49 टन विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास जमा/सुरक्षित अभिरक्षा में हैं।” -(अनुवाद) यह मुद्दा पहले भी 2012 में उठाया गया था, जब 265.49 टन सोना भारत से बाहर स्थानांतरित करने के आरबीआई के कदम पर बॉम्बे उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी।

बैलेंस शीट की अनुचित जांच

ऑल्ट न्यूज़ ने नेशनल हेराल्ड के लेख में प्रस्तुत आरबीआई की बैलेंस शीट का अध्ययन किया, जिसका उपयोग याचिकाकर्ता ने अपने तर्क के पक्ष में किया है, और जो भारतीय रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में उपलब्ध हैं।

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि 2010-11 की बैलेंस शीट स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि भारत के बाहर रखा गया सोना ‘शून्य’ है। यह दिखाने के लिए कि 30 जून, 2011 तक, आरबीआई के पास मौजूद सारा सोना देश के भीतर था, उन्होंने ‘इश्यू डिपार्टमेंट’ खंड का हवाला दिया है। सीधे शब्दों में कहें, तो यह बैलेंस शीट का गलत पढ़ा जाना है।

याचिकाकर्ता ने केवल बैलेंस शीट के ‘इश्यू डिपार्टमेंट’ को संदर्भित किया है। इस खंड के तहत, केवल देश के भीतर रखे गए सोने को सूचीबद्ध किया गया है। इसलिए, ‘भारत के बाहर रखा गया’ आरबीआई का स्वर्ण भंडार के स्थान को शून्य दिखाया गया है। भारत के बाहर रखा जाने वाला सोना बैलेंस शीट के बैंकिंग विभाग में परिलक्षित होता है। याचिकाकर्ता ने बैलेंस शीट के केवल एक खंड पर ध्यान केंद्रित करके, आरबीआई के स्वर्ण भंडार के प्रबंधन को लेकर त्रुटिपूर्ण समझदारी बना ली।

RBI Annual Report 2010-11

याचिकाकर्ता ने आरबीआई के पूरे स्वर्ण भंडार के साथ इश्यू डिपार्टमेंट की स्वर्ण संपत्ति का तालमेल कर दिया है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, सोने की परिसंपत्तियां जो इश्यू डिपार्टमेंट का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें बैंकिंग विभाग की बैलेंस शीट में ‘अन्य एसेट्स’ के तहत रखा गया है। जैसा कि नीचे देखा जा सकता है, इश्यू डिपार्टमेंट के तहत भारत के बाहर रखा गया सोना वाला ‘खंड’ खाली दिखाता है, जबकि बैंकिंग डिपार्टमेंट, विदेशी स्वर्ण भंडार को ‘विदेश में रखा गया बैलेंस’ में दर्शाता है।

RBI Annual Report 2010-11

आरबीआई ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से खारिज किया दावा

इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक ने एक प्रेस नोट के माध्यम से यह स्पष्ट करते हुए कि 2014 में या उसके बाद देश से बाहर कोई सोना हस्तांतरित नहीं किया गया था, इन हालिया रिपोर्टों को खारिज किया है। प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि “सुरक्षित अभिरक्षा के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड जैसे अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों के पास अपने स्वर्ण भंडार को रखना, दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की एक सामान्य प्रथा है।” -(अनुवाद)

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यह दावा कि मोदी सरकार ने आरबीआई के स्वर्ण भंडार से गुप्त रूप से 200 टन से अधिक सोने का विदेश में परिवहन किया है, साफ़ तौर पर गलत, और आरबीआई की बैलेंस शीट को गलत तरीके से पढ़े जाने पर आधारित है।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.