कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर एक पोल कराकर पूछा गया कि क्‍या आप मोबाइल नंबर 13 अंक का करने के फैसले से खुश है? ट्विटर पोल में सवाल था, “दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने देश के सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए निर्देश दिया है कि वे इस वर्ष के अंत तक 13 अंक के मोबाइल नंबर जारी करने शुरू करें। क्या आप इस फैसले से खुश हैं? #IndiaSpeaks” जबकि इसका जवाब देने के लिए लिए हां और नहीं के विकल्प दिए गए।

सबका ध्‍यान आकर्षित करने वाली हेडलाइन से यह संकेत मिलता है कि रिपोर्ट के अनुसार दूरसंचार विभाग ने देश के सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों को 13 अंकों का मोबाइल नंबर देना शुरू करने का निर्देश दिया था। इस समाचार से काफी भ्रम फैला और यह माना गया कि मोबाइल नंबर जो फिलहाल 10 अंक का है, वह इस वर्ष के अंत तक 13 अंक के नंबर में बदल जाएगा।

सच्चाई यह है कि रिटेल मोबाइल नंबर के नंबरिंग सिस्टम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 13 अंकों के नए नंबर सिम आधारित मशीन टू मशीन (एम2एम) संचार के लिए उपलब्ध कराए जाने हैं। यह प्रक्रिया रिटेल मोबाइल नंबर तक विस्तारित नहीं होगी जो 10 अंक के नंबर पर काम करना जारी रखेंगे।

एक ट्विटर पोस्ट में यह स्पष्ट करते हुए बीएसएनएल ने कहा कि मोबाइल नंबर में बदलाव लाने की कोई योजना नहीं है और यह कदम एम2एम संचार के लिए उठाया गया है।

यह बात कहाँ से शुरू हुई? खोजने पर पता लगा कि सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रहा बीएसएनल का एक सर्कुलर इसकी वजह हो सकती है।

यह पत्र बीएसएनएल द्वारा जेडटीई टेलीकॉम इंडिया और नौकिया सॉल्यूशंस एंड नेटवर्क इंडिया को यह बताते हुए जारी किया गया था कि एम2एम कम्युनिकेशन के लिए 13 अंकों के मोबाइल नंबर अपनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। एम2एम का मतलब मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन होता है जो एक व्यापक शब्‍द है जो किसी भी चरण पर मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत के बगैर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बीच होने वाले संचार को व्यक्त करता है। एम2एम कम्युनिकेशन का उपयोग विभिन्न उद्योगों में विभिन्न प्रकार की एप्लीकेशनों में किया जाता है। इसका मोबाइल फोन कम्युनिकेशन से कोई लेना-देना नहीं है।

सोशल मीडिया पर इस जानकारी को उपयोगकर्ताओं द्वारा नोटिस किये जाने के बाद कांग्रेस ने फिर से ट्वीट किया कि “13-अंकों वाले मोबाइल नंबर योजना केवल सिम-आधारित एम2एम (मशीन टू मशीन) संचार के लिए लागू होगी। खैर, हमें खुशी है कि हम हमारे 10 अंकों वाले मोबाइल नंबरों को बनाए रखेंगे!”

लगता है कि किसी मामले की बारीकी पर गौर करने की बात कांग्रेस पार्टी यहां भूल गई और नतीजे में भ्रम पैदा करने वाली जानकारी फैलाने में हिस्‍सेदार बनी।

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