23 अगस्त, 2018 को दैनिक भास्कर नई दिल्ली संस्करण द्वारा प्रकाशित एक लेख में हाथी के एक बच्चे की तस्वीर इस कैप्शन के साथ थी- “सेना केरल में बाढ़ में फंसे लोग के साथ जानवरों की भी मदद कर रही है। जवान ने हाथी के बच्चे को रेस्क्यू किया।” कैप्शन ने बताया कि केरल बाढ़ के दौरान सेना द्वारा हाथी के एक बच्चे को बचाया गया था।
उसी अख़बार के गुजराती संस्करण दिव्य भास्कर ने भी 23 अगस्त, 2018 को यह तस्वीर प्रकाशित की थी।
सोशल मीडिया
कई यूजर्स ने भी तस्वीर को प्रसारित किया है। एक फेसबुक उपयोगकर्ता जॉन मॉरिस ने 20 अगस्त, 2018 को यही तस्वीर पोस्ट की थी। यह लेख लिखे जाने तक इसे 4700 से अधिक बार शेयर किया गया है।
PHOTOGRAPH OF THE YEAR
KERALA, FLOODS.Posted by John Morris on Monday, 20 August 2018
आठ महीने पुरानी तस्वीर
मेट्टुपलायम, कोयंबटूर के पास तैनात 28 वर्षीय फारेस्ट गार्ड पलानिचमी सरथकुमार ने, 12 दिसंबर, 2017 को जब वह रात की शिफ्ट के बाद घर जा रहा था, एक कॉल प्राप्त किया। 29 दिसंबर, 2017 को बीबीसी द्वारा प्रकाशित एक लेख में सरथकुमार ने कहा था, “कॉलर ने मुझे बताया कि एक महिला हाथी वानभद्र कालियाम्मन मंदिर के पास सड़क को अवरुद्ध कर रही थी।” बीबीसी की रिपोर्ट आगे बताती है कि सरथकुमार और उसके सहयोगी पटाखे जलाकर हाथी को जंगल में वापस भेजने में कामयाब रहे। क्षेत्र में अन्य हाथियों की देखभाल के दौरान, टीम एक छोटे से नाले में फंसे एक हाथी का बच्चे के निकट आई। उन्होंने महसूस किया कि यह हाथी का बच्चा ही मादा हाथी के आफ़त का कारण था। वह बच्चा इतना कमजोर था कि चल भी नहीं सकता था।
आगे सरथकुमार को यह कहते हुए उद्धृत किया गया था, “हम इसे सड़क के दूसरी तरफ उसकी मां से मिलाने के लिए ले जाना चाहते थे। लेकिन उसके हमलावर होने का खतरा था क्योंकि वह अभी भी पास में थी। तो, हम सभी को जोखिम में डालने की बजाय मैंने खुद ही सड़क पर उस हाथी के बच्चे को ले जाने का फैसला किया।” (अनुवाद)
दैनिक भास्कर की गलती को पहली बार ट्वीटर उपयोगकर्ता स्नेह भावसार ने उजागर किया था।
13 अगस्त, 2018 को केरल के अथिरपल्ली, त्रिशूर के पास एक हाथी के बच्चे को बचाया गया था। हालांकि, दैनिक भास्कर की रिपोर्ट इसके बारे में नहीं थी। 16 अगस्त, 2018 को द न्यूज़ मिनट द्वारा प्रकाशित एक लेख में, बचाए गए हाथी की एक तस्वीर पेश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, “दिल को छू लेने वाले एक बचाव अभियान में, केरल राज्य बिजली बोर्ड (केएसईबी) के अधिकारियों ने एक हाथी के बच्चे को जबरदस्त बहती नदी में डूबने से बचाने के लिए बांध के शटर बंद कर दिए।” (अनुवाद)
केरल बाढ़ की रिपोर्ट करते हुए कई प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों में सावधानी बरतने की कमी देखी गई है। घटना से असंबद्ध स्थान के फ़ोटो और वीडियो को शामिल करना कई बार दोहराया गया है।
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