दान की अपील के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के आधिकारिक फेसबुक पेज द्वारा तस्वीरों का एक सेट इस दावे के साथ शेयर किया गया कि तस्वीरों में केरल बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने वाले लोग सेवा भारती कार्यकर्ता थे। शेयर किए गए तस्वीरों के सेट में से एक तस्वीर में पृष्ठभूमि में खड़े कई लोगों के साथ, जिसमें आरएसएस की पुरानी वर्दी जैसे दिखने वाले खाकी हाफ पैंट पहने कुछ लोग शामिल हैं, इसमें एक संवाददाता भी हैं।
This reporter covered the relief activity in 2012. He covered the flood relief in 2018 also . Hopefully, more media…
Posted by Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) on Saturday, 11 August 2018
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने तस्वीर को व्यापक रूप से प्रसारित किया, जिनमें ट्विटर हैंडल फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस (Friends of RSS) शामिल है, जो खुद को “स्वयंसेवकों द्वारा स्वतंत्र पहल” के रूप में वर्णित करता है।
यह तस्वीर 2012 के केरल बाढ़ की है
आरएसएस द्वारा शेयर की गई तस्वीर हाल के केरल बाढ़ की नहीं है लेकिन उसी राज्य में 2012 की बाढ़ के दौरान ली गई थी। इस तस्वीर में शामिल संवाददाता ने उसी वर्ष तस्वीर को अपने फेसबुक टाइम लाइन पे भी शेयर किया था।
अगस्त 2012 में उत्तर केरल के कोझिकोड और कन्नूर जिलों में भारी बारिश से आई बाढ़ में नौ लोगों की जान चली गई थी। केरल की हालिया बाढ़ के दौरान सहायता प्रदान करने वाले आरएसएस कार्यकर्ताओं के रूप में इस पुरानी घटना की तस्वीर शेयर की गई। यह एकमात्र पुरानी तस्वीर नहीं है जो झूठी कहानी के साथ पुनः शेयर की गई हो।
2017 के गुजरात बाढ़ की तस्वीरें केरल बाढ़ के रूप में सोशल मीडिया पर वायरल
बाढ़ से पीड़ित केरल को सहायता और राहत प्रदान करने वाले आरएसएस कार्यकर्ताओं की कथित तस्वीरें सोशल मीडिया पर व्यंगोक्ति भरे कैप्शन के साथ व्यापक थीं – “ऐसा लगता है कि केरल उन सभी आरएसएस आतंकवादियों को मार नहीं सका। उनमें से कुछ अभी भी जीवित हैं और बाढ़ प्रभावित निर्बल केरलवासियों को लूट रहे हैं।” (अनुवाद)
Looks like Kerela couldn't kill all of those RSS Terrorists. Few of them are still alive and are looting the poor floodstruck Kerelaites.
Where the hell is PFI, shouldn't they be saving these 100% literate civilians from these chaddi clad barbarians? pic.twitter.com/xPYqVr1Qht
— Biswajit Roy (@biswajitroy2009) August 12, 2018
ट्विटर उपयोगकर्ता ऋषि बागरी और राजेश कृष्णनसिम्हा ने उन तस्वीरों को प्रसारित किया जिन्हें संयुक्त रूप से 1,500 बार शेयर किया गया है।
कर्नाटक के भाजपा विधायक C.T रवि ने भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के “मानवीय प्रयासों” की तस्वीरें साझा कीं।
Blood Thirsty Commies murdered numerous @RSSorg Karyakartas in Kerala.
But when "God's Own Country" crumbled due to severe floods it is the same RSS that saved people & provided them with relief.
This Humanitarian efforts by Nationalists will not be showcased by the Paid Media. pic.twitter.com/IY8iudPEkC
— C.T.Ravi (@CTRavi_BJP) August 13, 2018
हालांकि, वास्तव में ये तस्वीरें केरल की नहीं हैं और पिछले साल गुजरात की हैं। SM होएक्स स्लेयर ने पहचान की कि अगस्त 2017 में गुजरात बाढ़ के दौरान सहायता प्रदान करने वाले आरएसएस कार्यकर्ताओं की तस्वीरों को ही प्रसारित किया गया है। फेसबुक पर कई उपयोगकर्ताओं ने उस वक्त इन तस्वीरों को शेयर किया था।
पिछले साल वर्षाऋतू की भयानक बाढ़ में गुजरात में कम से कम 213 लोग मारे गए थे। घरों के डूब जाने के कारण एक लाख से ज्यादा निवासियों को स्थानांतरित करना पड़ा था।
अलग घटनाएं नहीं
पिछले समय में कई बार पुरानी या असंबंधित तस्वीरों के लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया गया है। नेपाल भूकंप के दौरान 2015 में, गुजरात में आरएसएस कार्यकर्ताओं की तस्वीरों को सहायता प्रदान करने के रूप में शेयर किया गया था।
द हिंदू की राजनीतिक संपादक निस्तुला हिबर की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में वरिष्ठ आरएसएस कार्यकर्ता दत्तात्रेय होसाबेले ने, सोशल मीडिया पर किए गए दावों से इंकार कर दिया था।
इसके अलावा, आरएसएस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने भी नेपाल पहुंचने वाले 20000 आरएसएस कार्यकर्ताओं के दावे से इंकार किया था।
Media is reporting inflated figures of RSS Swayamsevaks reaching Nepal for rescue work.
— RSS (@RSSorg) April 26, 2015
पिछले साल, ट्विटर हैंडल @TrueIndology ने 1940 के दशक के अंत में पूर्व पंजाब के एक शिविर की तस्वीर के लिए झूठे तरीके से आरएसएस को श्रेय दिया था।
हालिया या असंबद्ध घटना के हिस्से के रूप में पुरानी तस्वीरों को फिर से प्रसारित करना लोगों को गलतफहमी में डालने का एक शरारती प्रयास है। सोशल मीडिया पर वायरल फोटोग्राफ पर विश्वास करने से पहले इन्हें सत्यापित कर लेना ही उचित है।
अपडेट: RSS के आधिकारिक फेसबुक पेज, जिसने पुरानी तस्वीर शेयर की थी, अब पोस्ट को अपडेट किया है और यह स्पष्ट करते हुए तस्वीर में एक विवरण जोड़ा है कि इसे 2012 में लिया गया था। इस अपडेटेड पोस्ट के अनुसार. “इस संवाददाता ने 2012 में इस राहत गतिविधि को कवर किया था। उन्होंने 2018 में भी बाढ़ राहत को कवर किया। उम्मीद है कि और मीडिया कर्मियों ने इस राहत गतिविधि को कवर किया है…”
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