कांग्रेस उम्मीदवार कन्हैया कुमार का NDTV पत्रकार रवीश कुमार के साथ हुए एक इंटरव्यू की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि कन्हैया ने नक्सलियों को ‘शहीद’ कहा. पत्रकार ज्ञानेन्द्र तिवारी ने 18 मई 2024 को ये वीडियो क्लिप शेयर करते हुए लिखा, “जो नक्सली हमारे जवानों को मारते हैं. धारदार हथियारों से उन्हें सब्ज़ी की तरह काटते हैं. उन नक्सलियों को कन्हैया कुमार शहीद कह रहे हैं और आदरणीय रवीश कुमार सुन रहे हैं.”
जो नक्सली हमारे जवानों को मारते हैं। धारदार हथियारों से उन्हें सब्ज़ी की तरह काटते हैं। उन नक्सलियों को कन्हैया कुमार शहीद कह रहे हैं और आदरणीय रवीश कुमार सुन रहे हैं।
— Gyanendra Tiwari (Vistaar News) (@gyanendrat1) May 18, 2024
राजेन्द्र पांडे नाम के एक यूज़र ने भी ये वीडियो शेयर करते हुए ऐसा ही दावा किया है.
क्या इसी कन्हैया की बात कर रहे हो, जो नक्सलियों का समर्थन कर है, नक्सलियों को शहीद और सुरक्षाबलों को खलनायक साबित कर रहा है। जिस कांग्रेस में है उसी के नेताओ की एक फौज को छत्तीसगढ में समाप्त कर दिया था। ये अराजक था और रहेगा, ऐसे लोगों को टिकट देकर कांग्रेस ने लोकतंत्र का मजाक… pic.twitter.com/bVvHmvPY6r
— RAJENDRA PANDEY (@ramji_78) May 18, 2024
यहां ये जानना ज़रूरी है कि छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में सुरक्षा बलों ने 28-29 जून 2012 की रात कथित मुठभेड़ में 17 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया था. इस मुठभेड़ की जांच के लिए गठित आयोग ने 2019 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें ये खुलासा हुआ था कि ये मुठभेड़ फ़र्ज़ी थी. इस हमले में आदिवासी मारे गए थे जिसमें 7 बच्चे शामिल थे.
कई सालों से शेयर
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने 4 अप्रैल 2021 को ट्वीट करते हुए ऐसा ही दावा किया था. छतीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले में पुलिस के 22 जवान मारे गए थे. इसी घटना के बाद ये वीडियो शेयर करते हुए ऐसा दावा किया जाने लगा. शलभ ने अपने फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से भी ये वीडियो शेयर किया.
देश और संविधान के खिलाफ खूनी जंग छेड़ने वाले गुनाहगार इनकी नजर में भोलेभाले हैं,ये उनके लिए शहीद का दर्जा चाहते हैं !!
JNU में पले ऐसे अनपढ गद्दारों से बेहतर तो गांवों की पाठशालाओं के नौजवान हैं,उनके हृदय में सेना और राष्ट्र के लिए जज्बा और प्यार तो है !!
शहीदों को शत शत नमन 🙏 pic.twitter.com/UQxvNpSZcK
— Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) April 4, 2021
डॉक्टर कौशल के मिश्रा नाम के एक और ट्विटर यूज़र ने ऐसे ही दावे के साथ वीडियो ट्वीट किया.
देश और संविधान के खिलाफ खूनी जंग छेड़ने वाले गुनाहगार इनकी नजर में भोलेभाले हैं,ये उनके लिए शहीद का दर्जा चाहते हैं !!
JNU में पले ऐसे अनपढ गद्दारों से बेहतर तो गांवों की पाठशालाओं के नौजवान हैं,उनके हृदय में सेना और राष्ट्र के लिए जज्बा और प्यार तो है !!
शहीदों को शत शत नमन 🙏 pic.twitter.com/rzEv7ieQY2
— Dr. Kaushal K.Mishra (@drkaushalk) April 5, 2021
ये वीडियो ऐसे ही दावों के साथ ट्विटर और फ़ेसबुक पर काफी शेयर किया जा रहा है.
2019 में हुए नक्सल हमले के बाद भी शेयर किया गया था ये वीडियो
ये वीडियो 1 मई 2019 को महाराष्ट्र में हुए नक्सली हमले के बाद भी शेयर किया गया था. इस हमले में 15 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे.
क्लिप शेयर करने वालों में भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा भी थे (आर्काइव लिंक).
नक्सलियों को शहीद का दर्जा 🤔
श्रीमान @digvijaya_28 जिस #कन्हैया का समर्थन करते है अपने चुनाव प्रचार के लिए भोपाल बुला रहे है सुनिए उस कन्हैया कुमार के नक्सली विचार । @SadhviPragya_MP @jhaprabhatbjp @vinay1011 @vijeshlunawat @SuhasBhagatBJP @HinduSannyasin pic.twitter.com/VgpYjOuwBl— Chowkidar Rameshwar Sharma (@rameshwar4111) May 2, 2019
भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी और भाजपा सदस्य सुरेंद्र पूनिया ने भी यह वीडियो ट्वीट किया था. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
कन्हैया जी,आपकी नज़र में तो नक्सली भी शहीद हैं😳बहुत ही क्रान्तिकारी 🙏
क्या सोच है इन लोगों की 🤔? #UrbanNaxals का 1 गैंग है जिसमें तथाकथित पढ़े लिखे,लेखक,वक़ील,नेता, Activist लोग हैं जो देश को अंदर से तोड़ने की साज़िश रच रहे हैं और कुछ डिज़ाइनर पत्रकार इनको हीरो बनाते हैं। pic.twitter.com/3xjhuM1qWm
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) May 2, 2019
अधिकांश सोशल मीडिया यूज़र्स ने क्लिप को ‘पॉलिटिकल कीड़ा’ के लोगो के साथ शेयर किया है, जो फेसबुक पर गलत सूचनाएं फैलाने वाला एक प्रमुख पेज है.
Never Forget,
For Anti-nationals like Kanhaiya Kumar, the Maoists who kill our Jawans are ‘Shaheed’, ‘Gareeb ka Beta’.
Posted by Political Kida on Wednesday, 1 May 2019
क्लिप्ड वीडियो
ऑल्ट न्यूज़ ने रवीश कुमार के साथ कन्हैया के साक्षात्कार का पूरा वीडियो देखा और पाया कि सोशल मीडिया में वायरल हिस्से को 2016 की बातचीत से उठाया गया था. वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार होने के बाद कल (गुरुवार को) जमानत पर रिहा होकर जेएनयू वापस लौटे जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि ‘9 फरवरी का कार्यक्रम मैंने आयोजित नहीं किया था. देशविरोधी नारे लगे या नहीं लगे, इसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता, क्योंकि मैं वहां मौजूद नहीं था.”
यह इंटरव्यू 2016 के जेएनयू देशद्रोह प्रकरण से संबंधित था. वीडियो में लगभग 37:16 पर, रवीश कुमार कहते हैं, “ये बहुत तर्क चल रहा है कि सीमा पर जवान शहीद हो रहे हैं और आप इस तरह से मिनिमम यूनिटी जैसी अय्याशी जैसी बात कर रहे हैं. सब आप पढ़े लिखे लोग हैं, आप ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं? ये चल रहा है, खतरनाक सा सवाल है और कई बार तो लगता है इसका जवाब ही नहीं होता है. आपने कहा था आपके भाई की शहादत हई थी सीआरपीएफ में थे, नक्सलियों से लड़ते हुए. कभी आपको लगा कि आप उनकी शहादत को कमतर कर रहे हैं..”
इस पर कन्हैया ने जवाब दिया, “रवीश जी, हम किसी की शहादत को कमतर नहीं करना चाहते. हमारी तो लड़ाई ही यही है कि सारे शहीदों को शहादत का दर्जा देना चाहिए औऱ जो इन्हें शहीद बना रहे हैं उनके खिलाफ जंग छेड़ी जाए. मैं कहता हूं कि जिन्हें नक्सली बताकर मारा जा रहा है वो भी शहीद हैं, आदिवासी हैं. जो तथाकथित नक्सली हिंसा मे शहीद हो रहा है वो भी उनके जैसा गरीब का बेटा है. जो लोग इस देश में अनाज उपजा रहे हैं.. मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती… वो किसान जो मर रहे हैं वो भी इस देश के शहीद हैं, और जो सीमा पर लोग मर रहे हैं वो भी शहीद हैं. इन सारे शहीदों को एकजुट होना है. ये सारे परिवार जो हैं इनके परिवार को शहीद के परिवार का दर्जा मिलना चाहिए. और ये सारे शहीद जब रोड पर निकलेंगे एक साथ, जय जवान-जय किसान, मजदूर, आदिवासी, किसान का बेटा.. ये सब जब एक साथ होगा, तभी वो लोग जो इनको शहीद बना रहे हैं उनकी राजनीति को एक्सपोज किया जाएगा कि लड़ाई होती क्यों है… लड़वाते कौन हैं..”
तीन साल पहले रवीश कुमार को दिए गए कन्हैया के बयान की व्याख्या इस रूप में की जा सकती है कि इस युवा राजनेता की बातें गरीब किसानों, मजदूरों और आदिवासियों के साथ हुए अन्याय के बारे में हैं, जो नक्सलियों के खिलाफ हमले की आड़ में भड़की हिंसा में मारे गए. वह हिस्सा, जिसमें वह कहते हैं ‘जिन्हें नक्सली बताकर मारा जा रहा है’ , उसमें वह उन लोगों के बारे में बात कर रहे थे, जो झूठे तरीके से नक्सलवादी कहलाते और मारे जाते हैं.
इसके अलावा, यह इंटरव्यू 2016 में हुआ था, इसलिए, कन्हैया इसमें 2021 में हुए हमले का ज़िक्र नहीं कर सकते हैं.
ऐसी ही एक और क्लिप वायरल
उसी साक्षात्कार की एक और क्लिप सोशल मीडिया पर चल रही है. इसमें, कन्हैया को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “किसी भोले-भाले आदिवासी को नक्सली बता कर मार देना, उसका भी समर्थन नहीं करते हैं. और ये लोग जो भोले-भाले आदिवासी को भी मारते हैं , नक्सली बता कर मारते हैं, आज जो लोग आदिवासियों के पक्ष में खड़े हो रहे हैं, उनको नक्सली बता कर के मार रहे हैं.”
कन्हैया कुमार नक्सलियों को मानता है भोला भाला नक्सली हिंसा को ‘तथाकथित’
कन्हैया कुमार नक्सलियों को मानता है भोला भाला
नक्सली हिंसा को ‘तथाकथित’Posted by India272+ on Wednesday, 1 May 2019
यह वीडियो ट्विटर पर भी शेयर किया गया.
कन्हैया कुमार नक्सलियों को मानता है भोला भाला #naxalattack #gadchiroli #Naxal pic.twitter.com/ztpasDgalp
— Chowkidar Ranjitsinh Chudasama (@bk_chudasama) May 1, 2019
इसके पूरे वीडियो में, लगभग 10:33 पर, कुमार कहते हैं, “अब देखिये मेरे घर में मेरा भाई CRPF में था और वो मारा गया. उनका नाम पप्पू था. वो मारे गए. और मज़ेदार बात ये है कि जो मुझे पूछा जाता है कि तुम नक्सली लोग हो, वो नक्सली हिंसा में ही मारा गया. लेकिन इस बात को कैसे मिला दिया जाता है. नक्सली हिंसा अपनी जगह पर गलत है, हम उसको समर्थन नहीं करते हैं. लेकिन किसी भोले-भाले आदिवासी को नक्सली बता कर मार देना, उसका भी समर्थन नहीं करते हैं. और ये लोग जो भोले-भाले आदिवासी को भी मारते हैं , नक्सली बता कर मारते हैं, आज जो लोग आदिवासियों के पक्ष में खड़े हो रहे हैं, उनको नक्सली बता कर के मार रहे हैं. ये बहुत खतरनाक ट्रेंड है इस देश के लिए.”
इंटरव्यू के पहले हिस्से में, कन्हैया नक्सलियों को ‘निर्दोष’ नहीं कह रहे थे, बल्कि उन आदिवासियों के लिए इस शब्द का उपयोग कर रहे थे जिन्हें गलत तरीके से माओवादी होने का आरोप लगाकर मार दिया गया है.
कुल मिलाकर, कन्हैया कुमार के एक पुराने भाषण को क्लिप करके गलत संदर्भ के साथ उसे सोशल मीडिया पर चलाया जा रहा है.
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