राज्यवर्धन सिंह राठौर की एक तस्वीर इस बात के साथ सोशल मीडिया पर वायरल है कि खेल मंत्री इन दिनों जकार्ता में एशियाई खेलों के दौरान भारतीय खिलाड़ियों को भोजन परोस कर रहे थे। तस्वीर में, राठौर को ट्रे पकड़कर खिलाड़ियों के साथ बातचीत करते देखा जा सकता है। ट्रे में तीन कटोरे हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि मंत्री खिलाड़ियों को भोजन दे रहे थे। इस तस्वीर को यह कह के शेयर किया जा रहा है कि “खेल राज्य मंत्री मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौर खुद अपने हाथों से खिलाड़ियों को चाय पिला रहे हैं।”

मेरा देश बदल रहा है …जकार्ता में खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते खेल राज्य मंत्री मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौर खुद अपने हाथों से खिलाड़ियों को चाय पिला रहे हैं और खिलाड़ियों का पूरा ध्यान रख रहे हैं

Posted by जितेंद्र सिंह on Sunday, 26 August 2018

द फ्रस्ट्रेटेड इंडियन (The Frustrated Indian) ने फेसबुक और ट्विटर दोनों पर इस कैप्शन के साथ तस्वीर पोस्ट की- “ट्रे पकड़ने वाले दोस्त हमारे खेल मंत्री हैं”। (अनुवाद) इसे कुल मिलाकर लगभग 6,000 बार शेयर किया गया। उन्होंने एक लेख भी लिखा, जिसमें कहा गया था, “एक मंत्री खिलाड़ियों को भोजन पेश कर रहा, 5 साल पहले यह असंभव था।” (अनुवाद) इस लेख के 1,500 शेयर हैं।

नकली समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज़ के संस्थापक महेश हेगड़े ने भी तस्वीर शेयर की। इसे 900 से अधिक बार रीट्वीट किया गया।

भाजपा तेलंगाना राज्य अध्यक्ष और विधायक डॉ के लक्ष्मण, भाजपा कर्नाटक के विधायक रघुपति भट्ट और आप दिल्ली के विधायक कपिल मिश्रा ने भी इसी तरह के दावे के साथ फोटो को प्रसारित किया। मिश्रा के ट्वीट को 7,700 से अधिक बार रीट्वीट किया गया है।

तस्वीर शेयर करने वाले व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं में कई वैसे लोग शामिल थे जिन्हें प्रधानमंत्री और रेल मंत्री पियुष गोयल के कार्यालय सहित बीजेपी नेताओं द्वारा फॉलो किया जाता है (1,2,3)।

एक फेसबुक पेज इंडिया फर्स्ट (India First) ने “नया भारत” के रूप में कई तस्वीरों के कोलाज में यह तस्वीर शेयर की। यह लेख लिखने तक इस पोस्ट के 12,000 शेयर थे। यह दावा व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं, नकली समाचार के पैरोकारों और सांसदों द्वारा प्रसारित होने तक ही सीमित नहीं था। कई मीडिया संगठन और पत्रकारों ने भी “भोजन पेश करने” के लिए राठौर की प्रशंसा की।

मीडिया और पत्रकार

एनडीटीवी, डीएनए, दैनिक जागरण, इंडिया टीवी और रिपब्लिक वर्ल्ड, उन मीडिया संस्थाओं में से थे, जिन्होंने मंत्री के कथित प्रेरणादायक भाव पर लेख लिखे थे। ट्रे के साथ उनकी तस्वीर ही एकमात्र उनके रिपोर्ट का आधार थी।

कई पत्रकारों ने ट्वीट्स के माध्यम से खेल मंत्री की भी प्रशंसा की। रिपब्लिक टीवी के मेजर गौरव आर्य, न्यूज18 की वरिष्ठ राजनीतिक संपादक पल्लवी घोष, कर्नाटक के पत्रकार हरिप्रकाश कोनेमैन और इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई उनमें से थे। हालांकि, सरदेसाई ने बाद में ट्विट हटा दिया।

सच क्या है?

वायरल तस्वीर को पहली बार 26 अगस्त को भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जकार्ता में एशियाई खेलों के गांव में खिलाड़ियोंऔर अधिकारियों के साथ खेल मंत्री की कई अन्य तस्वीरों के साथ साझा किया गया था। हालांकि, एसएआई ने ऐसे किसी दावे के साथ तस्वीर पोस्ट नहीं की कि राठौर खिलाड़ियों को “सेवा” दे रहा थे।

खेल मंत्री ने भी सोशल मीडिया या मीडिया रिपोर्टों में दावा नहीं किया है कि उन्होंने खेलों के दौरान भारतीय खिलाड़ियों को भोजन या चाय पेश किया था।

उस दिन खिलाड़ियों के साथ बातचीत करते हुए राठौर की कई अन्य तस्वीरें हैं। हालांकि, वही एक जिसमें वह ट्रे पकड़े हुए हैं, व्यापक रूप से प्रसारित हुई। अगर कोई इन तस्वीरों को गौर से देखे, तो यह देखा जा सकता है कि मंत्री अपना खाना हाथ में लिए हुए हैं।

चूंकि यह इस तस्वीर को देखकर लगाया गया अनुमान था, ऑल्ट न्यूज़ ने उस व्यक्ति से संपर्क किया जो वहां मौजूद था लेकिन नाम प्रकट नहीं करना चाहता था। उन्होंने हमें बताया कि तस्वीर भ्रामक है क्योंकि मंत्री भोजन, स्नैक्स या चाय पेश नहीं कर रहे थे, बल्कि केवल उन खिलाड़ियों को शुभकामना दे रहे थे जिन्हें वह अपनी भोजन के स्थान पर जाते हुए मिले थे।

विडंबना यह है कि, एबीपी न्यूज ने अपने ‘वायरल सच’ कार्यक्रम में 28 अगस्त को दावे की वास्तविकता की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि “तस्वीर 27 अगस्त को ली गई थी और यह सच है।” उनका विश्लेषण, जिसका कोई स्रोत ज्ञात नहीं, गलत था, क्योंकि एसएआई ने 26 अगस्त को ही तस्वीर शेयर की थी। इसके अलावा, हम स्वतंत्र रूप से पुष्टि करने में सक्षम थे कि राठौर भोजन नहीं पेश कर रहे थे, बल्कि खिलाड़ियों से केवल बातचीत कर रहे थे।

एशियाई खेलों में खिलाड़ियों के साथ राठौर की बातचीत की तस्वीर को यह बताने के लिए कि मंत्री खिलाड़ियों को भोजन पेश कर रहे थे, सच्चाई से परे एक झूठ के लिए बढ़ा-चढ़ा कर चलाया गया था। भ्रामक दावा न केवल व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर शेयर किया गया, बल्कि पत्रकारों, मीडिया संगठन और मंत्रियों द्वारा भी प्रसारित किया गया था। अनधिकृत जानकारी पर अनुमान अक्सर पूर्वाग्रहों के आधार पर किए जाते हैं और दावे का समर्थन करने वाले तथ्य नहीं होते। ऐसी स्थितियों में छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देना व परखना आवश्यक है।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.