बाढ़ प्रभावित केरल के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने 700 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है या नहीं, इस विवाद के बीच द टेलीग्राफ ने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जयद अल नह्यान ने फेसबुक पेज पर इस शीर्षक से समाचार दिया है- “केरल में राहत और पुनर्वास के लिए 700 करोड़ रुपये देने का यूएई वचन देता है“।(अनुवाद) “UAE Pledges Rs-700-crore Kerala relief and rehabilitation”
लेख में यह बताया गया कि “संयुक्त अरब अमीरात के परिचित सूत्रों ने कहा कि यह अकल्पनीय होगा कि राष्ट्रपति की आधिकारिक साइट झूठी अफवाह पोस्ट करे और इसे जारी भी रखे। कुछ स्रोतों ने तो इस पोस्ट का वर्णन “अप्रत्यक्ष पुष्टि” के रूप में किया।” तो, क्या इस दावे में सच्चाई है कि संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति की आधिकारिक साइट ने 700 करोड़ रुपये की सहायता के बारे में समाचार शेयर किया है?
यह ध्यान दिया जा सकता है कि यह फेसबुक पोस्ट द न्यूज मिनट द्वारा प्रकाशित उस लेख का कॉपी-पेस्ट है, जिसने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद इस कथित प्रस्ताव की रिपोर्ट की थी।
UAE Pledges rs-700 crore kerala relief and rehabilitation
Coming as a major relief for Kerala, which is struggling to…
Posted by Khalifa bin Zayed Al Nahyan on Tuesday, 21 August 2018
इस समाचार के आधार पर केरल को सहायता देने पर अनुमान लगाया जाने लगा। “जब ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं था तो क्या संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति अपने फेसबुक पेज पर केरल को 700 करोड़ रुपये की सहायता देने की जानकारी को पोस्ट करते?” नहीं, वह नहीं करेंगे और उन्होंने नहीं किया। ऐसा इसलिए है क्योंकि संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति फेसबुक पर नहीं हैं।
Would the President of the United Arab Emirates, Sheikh Khalifa, reproduce a news report of the Rs 700 crore aid his country wanted to give Kerala on his #Facebook page if such an offer hadn't been made in the first place? #KeralaFloodRelief @ttindia @pmoindia @MEAIndia pic.twitter.com/0drcsKSV3R
— churumuri (@churumuri) August 25, 2018
समाचार-रिपोर्ट पोस्ट करने वाले पेज शेख खलीफा बिन जयद अल नह्यान पर एक सरसरी नज़र डालने से ही पता चलता है कि यह संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति का आधिकारिक पृष्ठ नहीं है। अनुयायियों की संख्या और पृष्ठ पर सत्यापन की नीली टिक का नहीं होना इस तथ्य को दिखाता करता है कि यह राज्य प्रमुख का आधिकारिक पेज नहीं हो सकता है। पेज की जानकारी बताती है कि इसे किसी क्रिस्टोफर बटलर द्वारा चलाया जाता है जो इस्तांबुल में एक वित्त कंपनी में काम करता है। यह पेज मुख्य रूप से शेख खलीफा और संयुक्त अरब अमीरात से संबंधित अंग्रेजी में समाचार रिपोर्ट पोस्ट करता है।
संयुक्त अरब अमीरात सरकार के कई नेता सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। इनमें शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम, संयुक्त अरब अमीरात के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री और दुबई के शासक शामिल हैं, जिनके ट्विटर पर 93.5 लाख अनुयायी और फेसबुक पर 38 लाख अनुयायी हैं। शेख मोहम्मद बिन जयद अल-नह्यान, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और संयुक्त अरब अमीरात के सशस्त्र बलों के उप सुप्रीम कमांडर, लगभग 20 लाख अनुयायियों के साथ ट्विटर पर भी सक्रिय हैं।
दोनों ही अकाउंट ज्यादातर अरबी में ही पोस्ट करते हैं। संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति से संबंधित 6000 से कम अनुयायियों वाले पेज का सुझाव देने से पहले द टेलीग्राफ को यह मूलभूत जांच अवश्य करनी चाहिए थी।
एक गैर-सत्यापित सोशल मीडिया खाते के आधार पर केरल को 700 करोड़ रुपये की सहायता के विवादित समाचार पर टिप्पणी करते समय द टेलीग्राफ को अतिरिक्त रूप से सावधान रहना चाहिए था। हैरानी की बात है कि अखबार के पहले पेज पर तथ्यों की सबसे बुनियादी जांच के बिना समाचार-रिपोर्ट को लगाया। प्रकाशन के तथाकथित “स्रोत” यह पुष्टि करने के लिए अपरिचित प्रतीत होते हैं कि 6000 से कम अनुयायियों वाले एक गैर-सत्यापित पेज की एक पोस्ट किसी जानकारी का “अप्रत्यक्ष समर्थन” हो सकती है। “संयुक्त अरब अमीरात से परिचित स्रोतों” ने यह भी नहीं बताया कि एक “आधिकारिक” पेज जो विशेष रूप से अंग्रेजी में सामग्री पोस्ट करता है, वह संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति का आधिकारिक पेज नहीं हो सकता।
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