सोशल मीडिया पर तुर्की के ‘पर्यटन विभाग’ द्वारा कथित तौर पर जारी की गई एक ‘सार्वजनिक घोषणा’ वायरल हो रही है. इसमें भारतीय यात्रियों से तुर्की की यात्राएं रद्द न करने का अनुरोध किया गया है. लेटर में तुर्की का झंडा और “कामु दुयुरुसु” (सार्वजनिक सूचना या घोषणा) शब्द लिखे हुए हैं जिसमें कहा गया है कि “स्थानीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा भारत और पाकिस्तान के बीच हो रहे संघर्ष से अनजान है” और इस प्रकार “तुर्की की किसी भी यात्रा को स्थगित या रद्द करने का कोई कारण नहीं है.” इसमें कहा गया है कि “भारतीय मेहमानों को प्रभावित करने वाले कोई प्रतिबंध या सुरक्षा मुद्दे नहीं हैं.”

ये घोषणा भारत में तुर्की के बहिष्कार के आह्वान के बीच सामने आया है. भारतीय सशस्त्र बलों ने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान ने हालिया संघर्ष में सैन्य चौकियों और नागरिक बस्तियों को निशाना बनाने के लिए चीन और तुर्की द्वारा आपूर्ति किए गए हथियारों का इस्तेमाल किया था. इसके अलावा, पहलगाम हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिन्दूर शुरू किया, तो तुर्की ने भारत की “उकसाने वाली” कार्रवाई की निंदा की थी. उस वक्त से भारतीयों ने सामूहिक रूप से यात्राएं रद्द कीं जबकि MakeMyTrip, Ixigo, EaseMyTrip और Cox & Kings जैसे यात्रा व्यवसायों ने भी एकजुटता व्यक्त करने के लिए तुर्की के लिए बुकिंग कैंसिल कर दी. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया ने भी तुर्की संस्थानों के साथ अपनी साझेदारी कैंसिल कर दी है. इस ‘सार्वजनिक घोषणा’ को शेयर करने वाले सोशल मीडिया यूज़र्स ने सुझाव दिया कि तुर्की भारतीय पर्यटकों से ‘भीख’ मांग रहा है.

कथित तौर पर तुर्की से वायरल लेटर ने भारतीय न्यूज़ आउटलेट्स में सुर्खियां बटोरीं. द इकोनॉमिक टाइम्स, फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस, न्यूज़18, बिजनेस टुडे और राईटविंग समर्थक मुखपत्र ऑपइंडिया ने सोशल मीडिया दावों का हवाला देते हुए इस पर रिपोर्ट पब्लिश की. ज़ी न्यूज़ ने भी अपनी रिपोर्ट में तस्वीर शेयर किए बिना लेटर का ज़िक्र किया है.

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भाजपा केरल के अध्यक्ष और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पूर्व राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने X पर लेटर को “नो थैंक्यू” फ़र्म के साथ शेयर किया. इस बीच, राज्यसभा सदस्य और शिवसेना की उपनेता प्रियंका चतुर्वेदी ने X पर लेटर पोस्ट करते हुए कहा, “भारतीय उस देश में पर्यटन पर पैसा खर्च नहीं करेंगे जो पाकिस्तान को हथियार देने के लिए इसका इस्तेमाल करता है.” (आर्काइव)

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पत्रकार वीर सांघवी (@virsanghvi) और रोहिणी सिंह (@rohin_sgh) ने भी वही नोटिस पोस्ट किया जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि भारतीयों से ऐसे देश का दौरा करने की उम्मीद करना विवेकहीन होगा जो खुले तौर पर पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान करता है. सांघवी की पोस्ट को दस लाख से ज़्यादा बार देखा गया. (आर्काइव्स 12)

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सांघवी की X पोस्ट को कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने आगे बढ़ाया, जो राज्यसभा सांसद और भारत के क्रिकेट बोर्ड, BCCI के उपाध्यक्ष हैं. इसे पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने भी शेयर किया है.

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पॉल एंटोनोपोलोस (@oulosP) नामक एक X यूज़र ने भी लेटर शेयर करते हुए कहा कि भारतीयों को इसके बजाय ग्रीस की यात्रा करनी चाहिए. इस आर्टिकल के लिखे जाने तक पोस्ट को 1.5 मिलियन बार देखा गया था.

ये लेटर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसे दावों के साथ ही वायरल है.

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फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने जांचने के लिए सबसे पहले संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय और अंकारा मेट्रोपॉलिटन नगर पालिका सहित तुर्की सरकार के ऑफ़िशियल सोशल मीडिया हैंडल की समीक्षा की कि क्या ऐसा कोई लेटर औपचारिक रूप से जारी किया गया है. हमें ऐसी कोई घोषणा या लेटर नहीं मिली. पाठकों को ये भी ध्यान देना चाहिए कि आधिकारिक नाम संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय है, न कि ‘पर्यटन विभाग’ जैसा कि लेटर में साइन है.

ये नोटिस संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय या विदेश मंत्रालय की घोषणा या प्रेस सेक्शन में सूचीबद्ध नहीं था. हमने ये भी देखा कि किसी भी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए प्रेस बयान या बुलेटिन वायरल नोटिस की तरह नहीं दिखते हैं.

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इसकी पुष्टि तुर्की स्थित फ़ैक्ट-चेक संगठन, मालुमाटफ़ुरस द्वारा भी की गई थी, जिसने X पर सबसे पहले पोस्ट किया था कि लेटर नकली है. उन्होंने कहा, “‘कामु दुयुरुसु’ सही तुर्की अनुवाद है; फिर भी, उन्हें अंग्रेजी में एक घोषणा में तुर्की टाइटल का इस्तेमाल क्यों किया गया? अगर वे भारतीय आबादी को टारगेट कर रहे हैं, तो उन्हें तुर्की टाइटल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था.” उन्होंने आगे कहा कि “तस्वीर MoCT या तुर्की सरकार की घोषणा टेम्पलेट्स के अनुरूप नहीं है.”

इसके बाद ऑल्ट न्यूज़ ने तुर्की के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय से संपर्क किया, क्योंकि वायरल पत्र में साइन-ऑफ़ में उनका ज़िक्र किया गया था. उन्होंने हमें साफ तौर पर से बताया कि इसे मंत्रालय ने जारी नहीं किया है. एक प्रवक्ता ने हमें ईमेल पर बताया, “आपके द्वारा उल्लिखित ये लेटर हमारे मंत्रालय द्वारा शेयर नहीं किया गया है.”

कुल मिलाकर, तथाकथित सार्वजनिक घोषणा फ़र्ज़ी है जिसमें भारतीयों से तुर्की जाने का आग्रह किया गया है और कई इन्फ्लुएंसर सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा शेयर किया गया है. तुर्की के पर्यटन मंत्रालय ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि ऐसा कोई लेटर जारी नहीं किया गया है. 

नोट: इस आर्टिकल को और ज़्यादा दावों के साथ अपडेट किया गया है.

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