”अगर अहमद पटेल उस अस्पताल के संरक्षक थे जहाँ से ISIS के 2 संदिग्ध आतंकवादी गिरफ्तार किए गए तो क्या उन्हें जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए? (अनुवाद)” यह सवाल गुजरात एटीएस द्वारा दो संदिग्ध आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने पूछा। दो संदिग्ध लोगों में से एक संदिग्ध व्यक्ति उस सरदार पटेल अस्पताल में काम करता था और हाल ही में उसने वहाँ से इस्तीफा दिया था जिसमें कांग्रेस नेता अहमद पटेल कभी एक ट्रस्टी हुआ करते थे। चुनाव का समय नजदीक होने की वजह से, यह सूचना इतनी अहम थी कि दोनों पार्टियों की ओर से लगातार दावे और प्रतिदावे किए जाने लगे। ऑल्ट न्यूज ने इन दावों और उन दस्तावेज़ों की पड़ताल की जिन्हें सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है।
यह विवाद जैसे ही सामने आया, सिद्धार्थ मजूमदार (@sidmtweets) ने कुछ फोटोज पोस्ट की, यह साबित करने के लिए कि पटेल ने काफी पहले वर्ष 2013 में ही ट्रस्टी के पद से इस्तीफा दे दिया था जबकि संदिग्ध मोहम्मद कासिम स्टिम्बरवाला इस अस्पताल से मार्च 2017 में जुड़ा और उसने अक्टूबर 2017 में इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद एक लेख में अस्पताल के बयान की तस्वीर पोस्ट की गई।
उपरोक्त तस्वीर की सच्चाई के बारे में शक जाहिर किया गया कि क्या ये दस्तावेज असली हैं या नहीं।
1.Hndwritten resignation letter of AP without any stamp.Very convenient
2. Hospitals disclaimer dated 29/10//2017.It's 28th today
3. Idiots https://t.co/cqEeb1OtWu— दिव्या (@divya_16_) October 28, 2017
आइए इन सभी दावों की पड़ताल करें:
अस्पताल के ट्रस्टी के रूप में अहमद पटेल
ऑल्ट न्यूज ने सिद्धार्थ मजूमदार द्वारा ट्विटर पर पोस्ट की गई तस्वीरों का सत्यापन सरदार पटेल अस्पताल के ट्रस्टी से किया जिससे यह पुष्टि की जा सकती है कि अहमद पटेल ने वाकई सितंबर 2013 में इस्तीफा दे दिया था। यह इस्तीफा ट्रस्ट व चैरिटी कमिश्नर द्वारा सितंबर 2014 में स्वीकार कर लिया गया था। सोशल मीडिया पर ऐसे दस्तावेज होने का दावा करते हुए निम्न दस्तावेज फिर से पोस्ट किए गये, जो बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के पद से अहमद पटेल के हटने की पुष्टि करते हैं। ऑल्ट न्यूज ने अहमद पटेल के कार्यालय में ईमेल भेजा और हमें को यह बताते हुए एक आधिकारिक पुष्टि प्राप्त हुई कि सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे दस्तावेज असली हैं।
हालांकि इस बात की सबसे बड़ी पुष्टि, कि अहमद पटेल अब इस अस्पताल के ट्रस्टी नहीं हैं, स्वयं मुख्यमंत्री रूपाणी ने की। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “पटेल पहले इस अस्पताल के ट्रस्टी थे जहाँ से उन्होंने वर्ष 2014 में इस्तीफा दे दिया। लेकिन, अस्पताल में उनकी भूमिका अहम थी इसलिए 2016 में इसके परिसर का उद्घाटन करने के लिए राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित किया गया था।”
इन दस्तावेज़ों पर सवाल खड़े करने वाले लोग शायद यह भूल रहे हैं कि रूपाणी ने स्वयं पुष्टि की थी कि अहमद पटेल वर्ष 2014 में यहाँ से इस्तीफा दे चुके थे। इसके बाद यही लोग यह साबित करने में जुट गए कि त्याग-पत्र नक़ली है क्योंकि यह हाथ से लिखा गया है और इसमें कोई मुहर नहीं लगी है।
संदिग्ध ISIS सदस्य का इस्तीफा
मुख्यमंत्री रूपाणी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में संदिग्ध के इस्तीफे के बारे में अपनी चिंताएँ प्रकट की थी, ”पकड़े जाने से सिर्फ दो दिन पहले, उसने इस्तीफा दे दिया या उसके इस्तीफे की मांग की गयी थी, यह बात संदेहास्पद लगती है।”
इन दस्तावेजों से यह स्पष्ट होता है कि संदिग्ध व्यक्ति को मार्च 2017 में नियुक्त किया गया था और उसने 4 अक्टूबर, 2017 को इस्तीफा दे दिया। उसके इस्तीफे में नोटिस अवधि 4 अक्टूबर से 24 अक्टूबर थी। संदिग्ध की नियुक्ति तब हुई थी जब अहमद पटेल ट्रस्टी के पद से हट चुके थे और उन्होंने अस्पताल से त्याग-पत्र दे दिया था। जब ऑल्ट न्यूज ने सरदार पटेल अस्पताल के एक ट्रस्टी जयेश पटेल से बात की तो उन्होंने बताया कि आरोपी की नियुक्ति उसके पिछले नियोक्ता के सिफारिशी खत के आधार पर की गई थी।
अस्पताल द्वारा वक्तव्य जारी करने के बावजूद, इस पत्र की तिथि के आधार पर इसकी प्रामाणिकता पर संदेह व्यक्त किया गया। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कहा कि ”अस्पताल के पत्र की तिथि 29 हैं, जबकि आज 28 है।” हालांकि, उन्होंने इस तथ्य को नजरंदाज किया कि पत्र की तरह, इसकी तिथि भी गुजराती भाषा में लिखी गई है और इसे 27 अक्टूबर पढ़ा जाएगा न कि 29 अक्टूबर। इस तथ्य से अनजान एक हजार से अधिक लोगों ने इस ट्वीट को रीट्वीट किया।
सरदार पटेल अस्पताल के ट्रस्टी, जयेश पटेल के साथ ऑल्ट न्यूज की बातचीत और अहमद पटेल के कार्यालय के साथ हुए ईमेल के आदान-प्रदान के आधार पर, इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे उपरोक्त दस्तावेज वास्तविक दस्तावेज हैं।
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