पश्चिम बंगाल पुलिस भर्ती बोर्ड (WBPRB) ने 18 जून, 2021 को सब-इंस्पेक्टर (सशस्त्र बल और निःशस्त्र बल) 2019 भर्ती परीक्षा के परिणाम घोषित किये. इसके बाद भाजपा युवा मोर्चा मध्य प्रदेश के अध्यक्ष वैभव पवार ने चयनित किये गये 50 प्रतिभागियों की एक सूची ट्वीट की. इस सूची में अधिकतर लोग मुस्लिम समुदाय से दिखते हैं. इसके साथ ही उन्होंने लिखा, “ममता बानो #KhelaHobe से लेकर पाकिस्तान बनोबे तक का सफर तय कर रही हैं.”
बंगाल में हुई पुलिस भर्ती की इस मेरिट लिस्ट से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में हिन्दू क्यों पलायन कर रहे है। ममता बानो #KhelaHobe से लेकर पाकिस्तान बनोबे तक का सफर तय कर रही हैं। pic.twitter.com/Jav1Yy2q9P
— Vaibhav Pawar (@vaibhavpawarmp) June 19, 2021
ट्विटर बायो में खुद को ‘सनातनी मुस्लिम’ बताने वाली सुरभि खान ने भी ये सूची ट्वीट की जिसके बाद लोगों ने कई तरह के कमेंट किये, जैसे, “ये बांग्लादेश पुलिस भर्ती है.”
Merit list of 50 candidates selected for the post of sub-inspector by West Bengal Police Recruitment Board. pic.twitter.com/Z73CiJM44Q
— Subuhi Khan (@SubuhiKhan01) June 18, 2021
एक अन्य यूज़र अतुल आहूजा, जिसे भाजपा नेता पीयूष गोयल, कपिल मिश्र और तेजिंदर बग्गा फ़ॉलो करते हैं, ने तंज कसते हुए मीडिया आउटलेट्स, BBC, NDTV और द वाल स्ट्रीट जर्नल पर निशाना साधा.
भारत में मुसलमानों के साथ भेदभाव होता है ~ The wire, NDTV, BBC ,The wall street Journal etc… pic.twitter.com/9d5pN5EWLu
— Atul Ahuja (@atulahuja_) June 19, 2021
इनके अलावा भी कई यूज़र्स ने यही दावा किया पश्चिम बंगाल सब-इंस्पेक्टर में चुने गए अधिकतर प्रतिभागी मुस्लिम समुदाय से हैं. इन यूज़र्स में कल्पना श्रीवास्तव, समीत ठक्कर और मिन्टी शर्मा शामिल हैं. इस सूची की तस्वीर फ़ेसबुक यूज़र्स भी शेयर करने से पीछे नहीं रहे.
भ्रामक दावा
सोशल मीडिया पर वायरल इस सूची में दरअसल आरक्षण के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)-A के चयनित प्रतिभागियों के ही नाम हैं. पश्चिम बंगाल पुलिस भर्ती बोर्ड की वेबसाइट पर हर आरक्षण के लिए दो सूचियां हैं (कुल 10 सूची). इन्हीं में से एक सूची को उठा कर वायरल किया गया जिसमें मुस्लिम समुदाय लोगों के नाम हैं और भ्रम फैलाया गया कि WBPRB ने केवल मुस्लिम समुदाय को तरजीह दी. लेकिन अनुसूचित जाति (SC) के तहत चुने गए उम्मीदवारों के 147 नाम (पहली और दूसरी सूची) और अनुसूचित जनजाति (ST) आरक्षण के तहत चुने गए 40 उम्मीदवारों के नाम (पहली और दूसरी सूची) भी जारी किये गये थे. पाठकों को मालूम हो कि मुस्लिम समुदाय ST या ST के तहत अप्लाई नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा, ग़ैर-आरक्षित सीटों पर भी कुल 366 लोगों को (पहली और दूसरी सूची) चुना गया है जिनमें अधिकतर हिन्दू समुदाय के हैं.
जो सूची सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है, उसमें ऊपर ‘OBC-A vacancies’ लिखा हुआ देखा जा सकता है.
ये सूची WBPRB की वेबसाइट पर मौजूद है जिसमें वाकई अधिकतर लोग मुस्लिम समुदाय के हैं. OBC-A आरक्षण की दूसरी सूची में 18 चयनित लोगों के नाम हैं और उनमें भी अधिकतर मुस्लिम समुदाय के लोग हैं.
पश्चिम बंगाल में OBC दो भाग में बांटे गये हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पश्चिम बंगाल समिति के अध्यक्ष आशिम बनर्जी के मुताबिक, “जो सामाजिक और आर्थिक तौर से बेहतर हैं, उन्हें OBC-B श्रेणी और बाकियों को OBC-A में रखा जाता है.”
द क्विंट के अनुसार, “श्रेणी A को ‘अधिक पिछड़ा’ माना जाता है. उन्हें 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. वहीं श्रेणी B को ‘पिछड़ा’ मानते हुए 7 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. दोनों मिलाकर OBC को कुल 17 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है.”
WBPRB ने OBC-B के तहत चुने गए (पहली और दूसरी सूची) लोगों की अलग सूची जारी की थी जिसमें अधिकतर लोग हिन्दू हैं.
पश्चिम बंगाल में OBC के तहत 170 समुदाय आते हैं जिनमें 112 मुस्लिम धर्म से जुड़े हैं. इस कोटा को पहले लेफ़्ट और फिर तृणमूल सरकार ने पहले से ज़्यादा विस्तृत किया है. द क्विंट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 97 फ़ीसदी मुस्लिम समुदाय के लोग OBC के तहत आते हैं. इसी वजह से भाजपा कुछ सालों से दावा कर रही है कि राज्य में मुस्लिम समुदाय के लोगों को OBC आरक्षण का कुछ ज़्यादा ही लाभ दिया जा रहा है. पार्टी ने राज्य में चुनाव से पहले भी TMC सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया था.
लेकिन ये भी दोहरा दें कि मुस्लिम समुदाय को अनुसूचित जाति और जनजाति में नहीं रखा जाता है. संविधान के (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 का तीसरा पैराग्राफ़ कहता है, “पैराग्राफ़ 2 में जो भी लिखा है उसके बावजूद, हिन्दू धर्म के अलावा किसी और धर्म को मानने वाले (सिक्ख और बौद्ध धर्म) लोगों को अनुसूचित जाति में नहीं माना जाएगा.”
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश शरद अरविन्द बोबड़े ने पिछले साल इसाई और मुस्लिम समुदाय के लोगों को SC और ST से बाहर रखने को ज़रूरी मुद्दा मानते हुए कहा था कि इसपर उच्चतम न्यायलय को दोबारा विचार करने की ज़रुरत है. उन्होंने ये बात एक सुनवाई के दौरान कही थी जब नेशनल काउंसिल ऑफ़ दलित क्रिस्चियंस (NCDC) ने SC/ST श्रेणी के लिए धर्म को आधार बनाये जाने के खिलाफ़ याचिका डाली थी.
जहां तक बात सोशल मीडिया में फैलाये गये भ्रम की है, बड़ी चालाकी के साथ केवल OBC-A सूची की तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया गया कि WBPRB ने केवल मुस्लिम कैंडिडेट्स को चुना है. लेकिन इस सूची के अलावा 9 और सूचियां हैं जिनमें अधिकतर चयनित लोग हिन्दू समुदाय से हैं.
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