अवधभूमि न्यूज़ नाम के एक ट्विटर हैंडल से 8 सितम्बर को एक ट्वीट किया गया जिसमें लिखा था कि 50 साल की उम्र पार कर चुके सभी विभागों के कर्मचारियों को यूपी सरकार रिटायर करेगी.

इस ट्वीट का स्क्रीनशॉट फ़ेसबुक पर खूब शेयर किया जा रहा है. ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) पर इस दावे की सच्चाई जानने के लिए रिक्वेस्ट मिलीं.

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फ़ैक्ट-चेक

इस दावे की पड़ताल के लिए जब हमने की-वर्ड्स सर्च किया तो हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं जिसके अनुसार ये दावा भ्रामक है. असल में योगी सरकार ने ऐसे भ्रष्ट पुलिसवालों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की कार्रवाई शुरू की है जो 31 मार्च 2020 को 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं. न्यूज़ 18 में 12 सितम्बर को छपी एक रिपोर्ट में लिखा है, “डीजीपी मुख्यालय ने पुलिस की सभी इकाइयों के प्रमुखों, सभी आईजी रेंज और एडीजी जोन को ऐसे नाकारा पुलिसवालों की सूची भेजने के लिए पत्र लिखा है. पत्र में 31 मार्च 2020 को 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग कराए जाने निर्देश दिए गए है. वहीं सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर रैंक के पुलिसकर्मियों की होगी अनिवार्य सेवानिवृत्त देने के लिए स्क्रीनिंग. उन पुलिसवालों की छंटनी की जाएगी, जो 31 मार्च 2020 को 50 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं.”

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘”उत्तर प्रदेश में अक्षम, अनुशासनहीन और भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को हटाने के लिए नए सिरे से स्क्रीनिंग की शुरुआत हुई है जिसके बाद ऐसे अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिृवत्ति दे दी जाएगी.” इस रिपोर्ट में आगे लिखा है, “इससे पहले वर्ष 2019 में स्क्रीनिंग की प्रक्रिया के बाद पूरे राज्य से 364 पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर कर दिया गया था, जिसमें 11 इंसपेक्टर, 57 सब इंस्पेक्टर, आठ सब इंस्पेक्टर (मिनिस्ट्रियल), 80 हेड कॉन्स्टेबल और 200 कॉन्स्टेबल शामिल थे. इसके अलावा पीपीएस और आईपीएस सेवा के कुछ अधिकारियों को भी वर्ष 2019 में जबरन रिटायर कर दिया गया था.”

एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि ये कोई नई प्रक्रिया नहीं है. ऐसा नियम वर्ष 1985 से मौजूद है और ऐसा अन्य विभागों और केंद्र सरकार के विभागों में होता रहा है.

दैनिक जागरण की रिपोर्ट में संजय सिंघल के आदेश के बारे में लिखा है. रिपोर्ट के अनुसार, “उत्तर प्रदेश के एडीजी संजय सिंघल की ओर से सभी ज़िलों के एसएसपी, एसपी और पुलिस कमिश्नरों भेजे गए पत्र में 50 साल या इससे ऊपर की उम्र के कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति देने के लिए स्क्रीनिंग की कार्यवाई समय और नियम के मुताबिक कराने को कहा गया है. इस पत्र में 26 अक्टूबर, 1985 से लेकर छह जुलाई, 2017 तक के कई शासनादेशों का हवाला भी दिया गया है और पहले की तरह कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है.”

यानी, इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि वायरल हो रहा स्क्रीनशॉट, जिसमें उत्तर प्रदेश में 50 साल या उससे अधिक की उम्र के सभी सरकारी कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की बात लिखी है, भ्रामक है. इसमें पूरी जानकारी नहीं दी गयी है कि ऐसा 50 साल से ज़्यादा उम्र के पुलिसकर्मियों के साथ उनकी स्क्रीनिंग के बाद उनके भ्रष्ट, अनुशासनहीन और काम के प्रति लापरवाह पाए जाने पर किया जायेगा.


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