श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट के संदर्भ में कई सोशल मीडिया यूज़र्स नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. अमर्त्य सेन की एक तस्वीर शेयर कर रहे हैं. और साथ में उनके हवाले से एक बयान भी शेयर किया जा रहा है. इसमें लिखा है, “श्रीलंका हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत से आगे है, हंगर इंडेक्स में श्रीलंका भारत से कहीं बेहतर कर रहा है. GDP इंडेक्स में भी श्रीलंका ने भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है”. ये ग्राफ़िक इस तरह बनाया गया है कि दर्शकों को ऐसा लगेगा कि ये बयान अमर्त्य सेन ने दिए थे.

इस दावे की सच्चाई जानने के लिए ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर (76000 11160) पर कई रिक्वेस्ट मिलीं.

गौरतलब है कि इसके साथ ये नहीं बताया गया है कि कथित बयान कब दिया गया था. कई यूज़र्स ने दावा किया है कि डॉ. सेन ने ये बयान (पहला लिंक, दूसरा लिंक) एक साल पहले दिए थे. जबकि कई दूसरे बयान (पहला लिंक, दूसरा लिंक, तीसरा लिंक, चौथा लिंक) दो साल पहले के हैं. ट्विटर हैन्डल ‘@AreyBangdu’ ने एक ग्राफ़िक शेयर करते हुए दावा किया कि ये बयान दो साल पहले दिए गए थे.

ट्विटर हैन्डल ‘@AreyBangdu’ के ट्वीट का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया जा रहा है. फ़ेसबुक पेज ‘कश्मीरी पंडित‘ ने ये स्क्रीनशॉट पोस्ट किया. इस पोस्ट को आर्टिकल लिखे जाने तक 1 हज़ार से ज्यादा लाइक्स मिलें हैं और 345 बार शेयर किया गया है. ‘प्रधानमंत्री मेमे योजना‘ नामक एक और पेज ने इस स्क्रीनशॉट को पोस्ट किया जिसे 1500 लाइक्स और 300 शेयर मिले हैं.

कुछ ट्वीट्स में डॉ सेन की 2013 की किताब ‘एन अनसर्टेन ग्लोरी: इंडिया एंड इट्स कॉन्ट्राडिक्शन्स’ का भी हवाला दिया गया है जिसे उन्होंने वेल्फ़ेयर इकोनॉमिस्ट डॉ जीन ड्रेज़े के साथ लिखा था. (आर्काइव्ड लिंक)

इस जानकारी का दावा करने वाला सबसे पहला ट्वीट 11 जुलाई 2022 का है.

श्रीलंका का आर्थिक संकट

BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई विशेषज्ञों ने श्रीलंका की मौजूदा आर्थिक संकट के लिए पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और घरेलू बाज़ारों को प्रोवाइड न करा पाने को ज़िम्मेदार ठहराया. 2009 में गृहयुद्ध के बाद श्रीलंका ने ज़्यादा आयात किया और कम निर्यात किया जिसकी वजह से आयात बिलों में वृद्धि हुई जबकि निर्यात कम रहा. इस वजह से श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो गया. टैक्स में कटौती शुरू करने के लिए श्री राजपक्षे की भी आलोचना की गई जिससे सरकारी राजस्व में भारी गिरावट आई.

दूसरी तरफ सरकार श्रीलंका के सबसे बड़े विदेशी कमाईकर्ताओं में से एक पर्यटन व्यापार में गिरावट के लिए 2019 की बमबारी और COVID-19 महामारी जैसी प्रमुख घटनाओं को ज़िम्मेदार ठहराती है.

गोटाबाया राजपक्षे 13 जुलाई को देश छोड़कर भाग गए थे क्योंकि उनके राष्ट्रपति पद का भारी विरोध हुआ था. रानिल विक्रमसिंघे ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है.

वायरल दावे में बताए गए इंडेक्स का विश्लेषण

इंडेक्स एक साइन या मापक है जिसे किसी और चीज से आंका जा सकता है. वायरल दावों में तीन इंडेक्स शामिल हैं – हैप्पीनेस इंडेक्स, हंगर इंडेक्स और GDP इंडेक्स.

हैप्पीनेस इंडेक्स या वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स, द वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट पर आधारित है जो संयुक्त राष्ट्र सस्टेनेबल डेवलपमेंट सलूशंस नेटवर्क का प्रकाशन है. इसमें देशों को खुशी के अनुसार, क्रमबद्ध किया जाता है जो अलग-अलग जीवन कारकों से भी जुड़ा होता है. वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत 2013 और 2015 में श्रीलंका से ऊपर था. हालांकि श्रीलंका ने 2016, 2017, 2018, 2019, 2020 और 2021 के सालों में बढ़त हासिल की.

हंगर का ऑफ़िसियल इंडेक्स ग्लोबल हंगर इंडेक्स है जो वैश्विक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर हंगर को ट्रैक करता है. इसे यूरोपियन NGO ऑफ़ कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थंगरहिल्फ़ द्वारा तैयार किया गया है. भारत 2013 से 2021 तक लगातार 9 सालों में श्रीलंका से नीचे रहा है.

वायरल दावे में बताए गए पहले दो इंडेक्स सही निकले. वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स और ग्लोबल हंगर इंडेक्स दोनों ने श्रीलंका को कई वर्षों तक भारत से आगे रखा है जिसमें नवीनतम रिपोर्ट (2021) भी शामिल है.

जहां तक ​​GDP इंडेक्स का सवाल है, दो देशों के GDP की तुलना करने के कई तरीके हैं और हम ये पता नहीं लगा सके कि दावे में किस इंडेक्स का इस्तेमाल किया गया था. हमने इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए वेल्फ़ेयर इकोनॉमिस्ट, डॉ जीन ड्रेज़े से संपर्क किया. उन्होंने कहा, “ये एक भ्रामक सूचना है. मुझे भी ये नहीं पता कि इन कथित बयानों में GDP इंडेक्स शब्द का क्या मतलब है. संदर्भ के आधार पर प्रति व्यक्ति GDP या GDP क्या मायने रखता है.” यहां ध्यान दिया जाना चाहिए कि वायरल दावों में साफ़ तौर पर ये ज़िक्र नहीं किया गया है कि GDP इंडेक्स के बारे में कहा जा रहा है या प्रति व्यक्ति GDP के बारे में.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर की-वर्ड्स सर्च किया. लेकिन ऐसी कोई भी रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स, ग्लोबल हंगर इंडेक्स या GDP इंडेक्स के मामले में भारत और श्रीलंका के रैंक पर डॉ सेन द्वारा कथित तुलनात्मक बयान गया हो.

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वायरल दावों के संदर्भ में ‘एन अनसर्टेन ग्लोरी: इंडिया एंड इट्स कॉन्ट्राडिक्शन्स’ का विश्लेषण

डॉ. अमर्त्य सेन ने हाल में श्रीलंका और भारत के बीच कोई विस्तृत तुलना नहीं की है. कुछ वायरल ट्वीट्स में डॉ. सेन और डॉ. जीन ड्रेज़े द्वारा लिखी गई 2013 की किताब ‘एन अनसर्टेन ग्लोरी: इंडिया एंड इट्स कॉन्ट्राडिक्शन‘ का हवाला दिया गया है. इस सेक्शन में हमने किताब में की गई कुछ तुलनाओं के बारे में बताया है.

की-वर्ड्स सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को ये किताब मिली. इस किताब में भारत द्वारा स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और बढ़ती असमानता जैसे कई अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ स्वतंत्रता के बाद की चुनौतियों का सामना करने की कोशिशों का विश्लेषण किया गया है. इसमें अलग-अलग सामाजिक संकेतकों को ध्यान में रखकर भारतीय उपमहाद्वीप के देशों के बीच कई तुलना की गई है.

ध्यान दें कि पेज 47 पर, लेखक ने प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में तुलना की है. हालांकि सकल घरेलू उत्पाद का प्रत्यक्ष माप नहीं है. प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद देश के प्रति व्यक्ति आर्थिक उत्पादन को कमजोर कर देता है.

किताब के पेज 48-49 पर, लेखक ने श्रीलंका और भारत में शिक्षा की तुलना की है. उनका कहना है कि भारत में निजी शिक्षा में बढ़ती रुचि की तुलना में श्रीलंका में निजी स्कूल (जो सामाजिक संकेतकों के मामले में भारत से बहुत आगे हैं) 1960 के दशक से प्रतिबंधित हैं. तत्काल स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच के संदर्भ में दोनों देशों के योजना की तुलना भी की गई है.

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किताब में दक्षिण एशियाई और पूर्वी एशियाई देशों को वयस्क साक्षरता दर और युवा महिला साक्षरता दर के मामले में भी रैंक की  तुलना की गई है.

उस वक्त श्रीलंका, चीन और ब्राजील की तुलना में GDP के प्रतिशत के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भारत के बेहद कम खर्च को भी उजागर किया गया है.

लेखकों ने भारत और श्रीलंका सहित कई देशों के सकल घरेलू उत्पाद और राज्य घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को भी सूचीबद्ध किया है. वायरल दावों से अलग, 1980-81 से 1990-91 (श्रीलंका- 2.4 और भारत-3.1) और 2000-01 से 2010-11 (श्रीलंका- 4.5 और भारत- 5.9) के दौरान श्रीलंका की तुलना में भारत की विकास दर ज़्यादा थी. 1990-91 से 2000-01 के दौरान दोनों देशों की विकास समान (3.9) थी.

सेन और ड्रेज़ ने 2011 में ‘पुटिंग ग्रोथ इन प्लेस’ नाम से एक पेपर भी पब्लिश किया था. इस पेपर में दक्षिण एशिया के 6 प्रमुख देशों (श्रीलंका सहित) के बीच सामाजिक संकेतकों के संदर्भ में भारत के प्रदर्शन पर उपरोक्त पुस्तक के रूप में एक ही टिप्पणी है.

वायरल दावों पर बात करते हुए, डॉ ड्रेज़ कहते हैं, “ये एक सत्यापित फ़ैक्ट है कि श्रीलंका ने लंबे समय तक कई सामाजिक संकेतकों पर भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है. पिछली बार हमने इस पर 2013 में अपनी संयुक्त किताब ‘एन अनसर्टेन ग्लोरी: इंडिया एंड इट्स कॉन्ट्राडिक्शन्स’ में टिप्पणी की थी. ये फ़ैक्ट है कि श्रीलंका 2022 में आर्थिक संकट से गुज़ र रहा है और इससे उस वक्त हमारे द्वारा लिखी गई किसी भी बात का खंडन नहीं होता है. चाहे हम श्रीलंका को देखें या चीन या केरल को, हमें हमेशा असफलताओं और सफलताओं दोनों से सीखना चाहिए.”

यानी, जैसा कि साफ़ है लेखकों ने वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स या ग्लोबल हंगर इंडेक्स या “GDP इंडेक्स” के संदर्भ में श्रीलंका और भारत के बीच कोई सीधी तुलना नहीं की है. लेखकों ने दोनों देशों की GDP और प्रति व्यक्ति GDP की ग्रोथ रेट की तुलना की है जिनमें से कोई भी GDP का प्रत्यक्ष माप नहीं है.

2018 बुक लॉन्च पर की गई टिप्पणियों का विश्लेषण

2018 में अपनी 2013 की किताब के हिंदी संस्करण ‘भारत और उसके विरोधभास’ के लॉन्च पर, डॉ. सेन ने कथित तौर पर कहा कि 20 साल पहले अलग-अलग सामाजिक संकेतकों के संदर्भ में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और भूटान में, भारत श्रीलंका के बाद दूसरा सबसे बेहतर देश था. द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने डॉ. सेन के बयान को कोट करते हुए बताया, “अब, ये दूसरा सबसे खराब देश है. पाकिस्तान हमें सबसे खराब होने से बचाने में कामयाब रहा है.” कार्यक्रम के दौरान डॉ. सेन द्वारा दिए गए बयान यूट्यूब चैनल राजकमल बुक्स पर 25 मिनट पर देखा जा सकता है. इसके अलावा, उन्होंने भारत और श्रीलंका के बीच कोई और तुलना नहीं की थी.

बुक लॉन्च पर डॉ. सेन द्वारा दिए गए बयान के एक हफ्ते के भीतर, NITI आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने PTI से कहा, “काश प्रोफ़ेसर अमर्त्य सेन भारत के भीतर कुछ समय बिताते और असल में ज़मीनी हकीकत को देखते. और इस तरह के बयान देने से पहले मोदी सरकार द्वारा पिछले चार सालों में किए गए सभी कार्यों की कम से कम समीक्षा करनी चाहिए.” राजीव कुमार ने PTI के साथ एक इंटरव्यू में ऐसा कहा. 

वायरल दावों के बारे में अमर्त्य सेन का बयान

ऑल्ट न्यूज़ ने ईमेल के माध्यम से अमर्त्य सेन से संपर्क किया. हमने मेल में ट्विटर यूज़र @AreyBangdu के स्क्रीनशॉट भी भेजा. उन्होंने जवाब देते हुए लिखा, “आपके लेटर के लिए धन्यवाद, मैंने कई दशकों (दो साल का ज़िक्र नहीं किया) से श्रीलंका और भारत के बीच कोई तुलनात्मक बयान नहीं दिया है, और मैं सिर्फ ये निष्कर्ष निकाल सकता हूं कि श्री बांगडू, जिनके द्वारा कोट किए गए बयान आपने मुझे भेजे हैं, वो झूठे बयानों का प्रचार करना पसंद करते हैं. ये दिलचस्प है कि कुछ कथित वक्ता सच्चे बयानों की तलाश करने के बजाय झूठ बोलना पसंद करते हैं.”

कुल किलाकर, ये बिल्कुल साफ है कि डॉ.अमर्त्य सेन ने श्रीलंका और भारत के बीच उनके संबंधित वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स, वर्ल्ड हंगर इंडेक्स और “GDP इंडेक्स” के आधार पर कोई तुलनात्मक बयान नहीं दिया है. डॉ. सेन ने अपनी किताब ‘एन अनसर्टेन ग्लोरी: इंडिया एंड इट्स कॉन्ट्राडिक्शन्स’ में सह-लेखक डॉ जीन ड्रेज़े के साथ दोनों देशों की प्रति व्यक्ति GDP और प्रति व्यक्ति GDP में ग्रोथ रेट की तुलना की (जो कि GDP प्रत्यक्ष मापक नहीं है). वायरल दावों से अलग किताब में कहा गया है कि भारत की प्रति व्यक्ति GDP की विकास दर असल में श्रीलंका की तुलना में ज़्यादा है. इस तरह डॉ. अमर्त्य सेन के हवाले से शेयर किये जा रहे कथित बयान झूठे हैं.

 

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About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.