“बिहार:आदिवासियों की जमीन पर मुस्लिम नमाज़ पढ़ने के लिए दाखिल हुए,आदिवासियों ने जमीन हड़पने की कोशिश के डर से उन पर हमला कर दिया”- (अनुवाद) इस शीर्षक को आप दक्षिण पंथी वेबसाइट ओपइंडिया के 6 जून को प्रकाशित किये गए एक लेख में पढ़ सकते हैं। इस लेख के मुताबिक, 5 जून को ईद के मौके पर नमाज़ अदा करने के लिए बिहार के किशनगंज के धुलबाड़ी गांव के पास चाय बागानों में मुसलमानों का एक समूह पहुंचा। आदिवासियों को इस बात का डर था कि मुसलमान उनकी ज़मीनों पर कब्ज़ा कर लेंगे, इसलिए उन पर तीरों से हमला कर दिया।

इस दावे को @squintneon द्वारा भी पोस्ट किया गया, जो गलत जानकारिओं को प्रसारित करने के लिए जाना माना ट्विटर हैंडल है। “किसनगढ़ में चौकाने वाली घटना में, बिहार के आदिवासियों ने मुसलमानों पर तीर और धनुष से हमला कर दिया जो ईद पर नमाज़ पढ़ने के लिए उनकी ज़मीन पर जबरन कब्जा कर रहे थे,” – (अनुवाद) इस लेख के लिखे जाने तक इस ट्वीट को 4000 बार से ज्यादा बार लाइक और 2000 बार रीट्वीट किया गया जा चूका है।

@squintneon के ट्वीट और ओपइंडिया के लेख के बाद इस दावे को कई व्यक्तिगत सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने भी साझा किया है। इसी दावे के साथ इसे फेसबुक पर भी साझा किया गया है, जिसमें We Support Republic नाम के ग्रुप में भी इस दावे को पोस्ट किया गया है।

भ्रामक दावा

ओपइंडिया का यह लेख दैनिक जागरण के लेख पर आधारित है। हालांकि दैनिक जागरण का लेख इस खबर से मेल नहीं खाती है। ओपइंडिया ने लिखा है कि,“आदिवासियों को मुस्लिम द्वारा अपनी जमीन पर कब्ज़ा करने का डर था, इस वजह से उन्होंने अपने पारंपरिक हथियार तीर और धनुष से उनपर हमला बोल दिया”। – (अनुवाद) लेकिन दैनिक जागरण के लेख में मुस्लिमो द्वारा जमीन हड़पने की कोई बात नहीं लिखी गई है। लेख का पूरा ध्यान पीड़ित लोगों और घटना में हुई हिंसा पर केंद्रित है,”बताते चलें कि बुधवार को ठाकुरगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत सखुआडाली पंचायत के धुलावाड़ी गांव स्थित चाय बागान के ईदगाह में नमाज पढने गए लोगों पर आदिवासियों ने हमला कर दिया। पारंपरिक हथियार से लैस आदिवासियों के हमले में तीर लगने पांच लोग घायल हो गए।

इस घटना के बारे में हिंदुस्तान टाइम्स ने भी प्रकाशित किया है, जिसके मुताबिक, जमीन आदिवासियों की नहीं थी, मगर उनके द्वारा उस पर उनके द्वारा कब्ज़ा किया गया था। “घटना तब हुई जब आदिवासियों ने चाय बागान पर अपनी धार्मिक क्रिया शुरू की, जिस पर उन्होंने पहले से कब्ज़ा कर लिया था। इसकी जानकारी मिलने पर चाय बागान के मालिक और कर्मचारी मौके पर पहुंचे और उन्हें रोकने की कोशिश की। इससे नाराज आदिवासियों ने उन पर जवाबी हमला किया और तीरों से उन पर हमला किया”- रिपोर्ट के मुताबिक। -(अनुवाद)

लेख में पुलिस के बयान का भी ज़िक्र किया गया है, जिसके मुताबिक,”कुछ महीनो पहले आदिवासियों ने जबरन चाय बागानों की ज़मीन पर कब्जा कर लिया था। आमतौर पर, आदिवासी जमीन पर कब्ज़ा करने के लिए रात में धारदार हथियारों के साथ बड़ी संख्या में चाय बागानों में प्रवेश करते हैं”।

लेख में आगे लिखा है कि जिला प्रशासन के एक अधिकारी के मुताबिक, “आदिवासी “भूदान” जमीन को निशाना बना रहे थे जो पहले वाजिब मूल्य पर चाय बागान मालिकों द्वारा खरीदी गई थी।”

इस ज़मीन के मालिक के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने और हिंसा को किसने भड़काया इस जानकारी के लिए, ऑल्ट न्यूज़ ने एसपी कुमार आशीष से बात की, जिनकी टीम एक महीने से आदिवासियों के चाय बागान पर कब्जा करने के बाद से इस पर नज़र रखी हुई थी। इस जमीन को 2016 में दो मुस्लिम भाइयों ने खरीदा था। “एक अनजान व्यक्ति ने ईद के मौके पर ईदगाह के पास एक लाल रंग का धार्मिक झंडा फहराया था, जिसने हिंसा को जन्म दिया। जो लोग सुबह की नमाज अदा करने के लिए आए थे, उन्होंने मांग की कि आदिवासियों को जमीन से निकाला जाए। वहां पर मौजूद लोगों ने मैत्रीपूर्ण समाधान करने के लिए पहले से ही मौजूद थे, हालांकि, नमाज़ पढ़ने आए लोग काफी गुस्से में थे और उन्होंने आदिवासियों की झोपड़ी जलानी शुरु कर दी। सैकड़ों लोग वह पर इक्कठा हो गए और उन्होंने पथराव शुरू कर दिया, जिसमें करीब  5 लोग घायल हो गए”।

एसपी आशीष ने कहा कि पुलिस ने शांति बनाए रखने के लिए कम से कम 70 आदिवासियों को जमीन से हटा दिया गया। उनकी झोपड़ियों को ले लिया गया और आदिवासियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। “आदिवासियों को कुछ लोगों ने भड़काया था, और कहा कि यह जमीन बिहार सरकार की है। ये भूमिहीन आदिवासी थे जिन्हें जमीन पर कब्जा करने के लिए उकसाया गया था,”- अधिकारी ने बताया।

घटना के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक यह है कि ज़मीन मुस्लिमों की थी और आदिवासियों द्वारा उस पर कब्जा कर लिया गया था – यह किये गए दावे से विपरीत था।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.