सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के अवसर पर, उत्तर प्रदेश के मथुरा में जय भीम समर्थकों की शोभा यात्रा में भाग लेने वालों पर पथराव किया. वायरल वीडियो में कथित तौर पर कुछ उपद्रवी चेहरे ढंक कर पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में भीड़ पर (अपनी छतों से) पथराव करते दिख रहे हैं.
कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने वीडियो शेयर करते हुए बताया कि ये हमलावर मुस्लिम थे. कुछ ने मुसलमानों और अनुसूचित जाति के सदस्यों के बीच ‘भाईचारे’ का मज़ाक उड़ाया.
इस घटना पर रिपब्लिक भारत के कवरेज में, 1 मिनट 37 सेकेंड पर वरिष्ठ एंकर अमित कुमार सिंह ने कहा, “पत्थर बरसाए जा रहे हैं….और राम नवमी की घटना आपको याद होगी, लेकिन बड़ा सवाल यही है की क्या पथरबाजों के घर पर बुलडोज़र चला के ही उनका इलाज किया जा सकता है?”
ट्विटर यूज़र ‘हम लोग वी द पीपल (@ajaychauhan41)’ ने भी ये क्लिप ट्वीट की जिसे आर्टिकल लिखे जाने तक 31 से ज़्यादा बार देखा गया और 900 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया. (आर्काइव)
अजमेर के डिप्टी मेयर और भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीरज जैन ने ट्विटर पर क्लिप ट्वीट करते हुए पूछा, “भीम आर्मी और मीम आर्मी के सेक्युलर समर्थकों ये पत्थरबाज क्या किसी और देश से आए हैं?? …इस पर आपका कोई एक्सपर्ट कमेंट #सेक्युलरगैंग??”
रिडर्स ध्यान दें कि “मीम आर्मी” शब्द मुस्लिम समुदाय के लिए यूज़ होने वाला एक अप्रत्यक्ष संदर्भ है. इस ट्वीट को 3 हज़ार से ज़्यादा बार देखा गया. (आर्काइव)
अक्सर सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रूप से ग़लत सूचनाएं पोस्ट करने वाले इस्कॉन-कोलकाता के उपाध्यक्ष, राधारमण दास ने ट्वीट करते हुए लिखा, “मीमतास ने भीमतास को ईंटें फेंककर अपनी कॉलोनी में घुसने से रोक दिया. कहां छिपे हैं मीम+भीम एकता के तथाकथित समर्थक? मीम के लिए हम सब काफिर हैं. बस. उनके बहकावे में न आएं. सनातन धर्म के बैनर तले एकजुट हों.” इसे 1 हज़ार से ज़्यादा बार देखा गया था, बाद में राधारमण दास ने इसे हटा दिया.
कई और यूज़र्स ने इसी तरह के ट्वीट किए जिनमें @MrSinha_, @GemsOfSanatan, @mysatish20, @nagmakhatun786, @akashsh82276183, @citizenship108 शामिल हैं.
ये वीडियो फ़ेसबुक पर भी इसी तरह के कैप्शन के साथ वायरल है.
फ़ैक्ट-चेक
गूगल पर की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें इस घटना से जुड़ी कई खबरें मिलीं. द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ये घटना 14 अप्रैल को मथुरा ज़िले के जैत पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले एक गांव में हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया है, “आसपास के जाटव समुदाय के लोगों द्वारा निकाले गए अंबेडकर जयंती के जुलूस के खिलाफ ठाकुर समुदाय के लोगों का एक ग्रुप आपत्ति जता रहा था.”
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने एक स्थानीय निवासी के हवाले से कहा, “अंबेडकर जयंती से एक दिन पहले, गांव में सभी समुदायों की एक बैठक आयोजित की गई थी. प्रस्तावित उत्सव पर किसी ने भी आपत्ति नहीं की थी. प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद पहली बार गांव में शोभायात्रा निकाली गई. उच्च जाति के लोगों का एक समूह अपने घरों के सामने से शोभायात्रा के गुजरने का विरोध कर रहा था. उन्होंने जातिवादी गालियां दीं और बाद में पथराव शुरू कर दिया.”
9 ज्ञात और 30-40 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ़ जुलूस को रोकने और पथराव करने के आरोप में FIR दर्ज़ की गई थी. सूरजभान (55 साल), हुकुम सिंह (24 साल) और प्रताप सिंह (28 साल) के रूप में पहचाने गए तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया, जबकि अन्य की तलाश जारी है. यानी, ये दावा बिल्कुल ग़लत है कि पत्थर फेंकने वाले मुसलमान थे.
ऑल्ट न्यूज़ ने मथुरा ज़िले के SP मार्तंड प्रकाश सिंह से भी संपर्क किया. उन्होंने पुष्टि की कि इस झड़प में कोई मुस्लिम व्यक्ति शामिल नहीं था और इस घटना का कोई सांप्रदायिक पहलू नहीं था. “वीडियो में दिखाई गई कॉलोनी में राजपूत और ऊंची जाति के ब्राह्मण रहते हैं. उस विशेष कॉलोनी में एक भी मुसलमान नहीं रहता है. सांप्रदायिक ऐंगल पूरी तरह से ग़लत है. ये घटना संभवत: पुलिस की लापरवाही की वजह से हुई है.” उन्होंने ये भी कहा कि घटना के बाद स्थानीय थाना प्रभारी अरुण पवार और पुलिस बूथ प्रभारी शैलेंद्र शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया था.
मथुरा पुलिस के बयान के मुताबिक, गांव में हुई इस घटना में कोई पुलिस अधिकारी या नागरिक घायल नहीं हुआ है.
संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती के सम्बन्ध में अपर पुलिस अधीक्षक नगर मथुरा द्वारा दी गयी बाइट- pic.twitter.com/PdBxlwIaVG
— MATHURA POLICE (@mathurapolice) April 14, 2023
कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो इस झूठे सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर किया गया कि मथुरा के एक गांव में अंबेडकर जयंती पर शोभा यात्रा पर मुस्लिमों ने पथराव किया. हमारे फ़ैक्ट-चेक से पता चलता है कि पत्थरबाज मुस्लिम नहीं थे. मथुरा के SP ने भी इसकी पुष्टि की है. सांप्रदायिक दावों को ग़लत बताते हुए उन्होंने कहा कि उस विशेष कॉलोनी में एक भी मुसलमान नहीं रहता था.
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