15 अप्रैल की रात प्रयागराज में हिस्ट्रीशीटर और पांच बार विधायक रह चुके 62 साल के अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की 3 हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. जिस वक्त उनकी हत्या हुई, उन्हें करीब एक दर्जन पुलिसकर्मी मेडिकल जांच के लिए ले जा रहे थे. समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद, अतीक अहमद अपने बेटे असद अहमद के अंतिम संस्कार के कुछ ही घंटों बाद मारे गए. अतिक की हत्या से दो दिन पहले झांसी में हुई पुलिस मुठभेड़ में असद की मौत हो गई थी.

प्रयागराज के पुलिस आयुक्त रमित शर्मा ने कहा कि हमलावर मोटरसाइकिल पर मीडियाकर्मी बनकर आए थे. वो लोग न्यूज़ बाइट लेने के बहाने दोनों के करीब पहुंच गए और उन्हें करीब से गोली मार दी. अतीक अहमद और उनके भाई को सिर में गोली लगी थी उसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. यूपी पुलिस ने मौके से 3 कथित हमलावरों को हिरासत में लिया और तीन हथियार भी ज़ब्त किए.

जब पुलिस द्वारा हमलावरों को पकड़ा जा रहा था, तब उनमें से एक को साफ तौर पर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते हुए सुना जा सकता है.

हालांकि, सोशल मीडिया पर इस दोहरे हत्याकांड का वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद, कई यूज़र्स ने ये ट्वीट किया कि जय श्री राम के नारे नहीं लगाए गए थे और वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई थी. राइट विंग इन्फ्लुएंसर अरुण पुदुर ने लिखा, “मुंबई हमले के दौरान कसाब ने एक हिंदू धागा पहना था ताकि हिंदुओं पर दोष डाला जा सके, ISI, IT सेल द्वारा ये अफवाह फैलाई गई है कि #अतीकअहमद के हत्यारे जय श्री राम का नारा लगा रहे थे, ये भी काम करने का वही तरीका है.” (आर्काइव)

भारतीय जनता पार्टी, यूपी के लिए सोशल मीडिया के सह-संयोजक शशि कुमार ने दावा किया कि जय श्री राम के नारों के साथ अतीक के शूट आउट का वीडियो “फर्ज़ी और डब किया हुआ” है. (आर्काइव)

ट्विटर यूजर ‘News Arena India’ ने भी यही दावा ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि कोई नारेबाजी नहीं की गई थी और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो ‘फर्ज़ी’ है. (आर्काइव)

वेरीफ़ाईड यूज़र ‘@SaffronSunanda’ ने एक ट्वीट में जय श्री राम के नारे लगाने वाले दावे का खंडन करते हुए लिखा, “कई लोग नकली वीडियो शेयर कर रहे हैं जिसमें दावा किया गया है कि अतीक अहमद हत्याकांड के तीन आरोपी जय श्री राम के नारे लगा रहे हैं. कोई नारा नहीं लगा था…” (आर्काइव)

फ़ैक्ट-चेक

अतीक अहमद और उनके भाई MLN मेडिकल कॉलेज परिसर के परिसर के अंदर मेडिकल जांच के लिए जाते वक्त मीडिया से बातचीत करने के दौरान मारे गए. नतीजतन, ये घटना कैमरे में कैद हो गई क्योंकि रात 10 बजे के आसपास पुलिस द्वारा उन दोनों को अस्पताल ले जाते वक्त मीडियाकर्मी उन्हें फ़ॉलो कर रहे थे. खुद को पत्रकार बताने वाले अरुण मौर्य, लवलेश तिवारी और सनी सिंह के रूप में पहचाने गए तीन आरोपियों को हिरासत में लिया गया था. लेकिन उनके नामों पर कोई ऑफ़िशियल बयान जारी नहीं किया गया था.

न्यूज़ 18, घटनास्थल पर मौजूद मीडिया हाउस में से एक था. न्यूज़ 18 उत्तर प्रदेश के एक फ़ुटेज में अतीक अहमद और उनके भाई को हथकड़ियों में पुलिस वाहन से उतरते और मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए देखा जा सकता है. ये पूछे जाने पर कि अतीक अपने बेटे के अंतिम संस्कार में क्यों शामिल नहीं हुए, उन्होंने जवाब दिया “नहीं ले गए तो नहीं गए.” तभी अशरफ गुड्डू मुस्लिम के बारे में कुछ कहने ही लगता है कि अतीक पर पिस्तौल तानकर फ़ायर कर दिया जाता है. अतीक पहले नीचे गिरता है और कैमरामैन अस्पताल के अंदर भागता है जबकि बाहर कई राउंड फ़ायरिंग की आवाजें सुनाई देती हैं. फ़ायरिंग बंद होते ही ‘जय श्री राम’ के नारे साफ सुनाई देते हैं. नारेबाजी जारी थी, साथ ही पुलिस अधिकारी हमलावरों से निपटते नजर आ रहे हैं. वहीं दोनों भाई एक तरफ खून से लथपथ पड़े हैं.

हालांकि, उसके बाद अपलोड किए गए एक और वीडियो में न्यूज़ 18 इंडिया ने कहा कि हमलावरों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने से पहले ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए. वीडियो में भी दिख रहा है कि दोनों शूटरों को जमीन पर गिरा दिया गया और बाद में पुलिस उन्हें खींचकर ले गई. उन्होंने “जय श्री राम” का नारा लगाते हुए अपने हाथ उठाए. यूट्यूब पर इस वीडियो का टाइटल है, “अतीक़ के हमलावर ने सरेंडर से पहले कहा ‘जय श्री राम.”

टाइम्स नाउ ने इस घटना का अलग एंगल से रिकार्ड किया गया फ़ुटेज ट्वीट किया. इसमें भी हमलावर ज़मीन पर पड़े दोनों व्यक्तियों पर गोली चलाते हुए और जय श्री राम के नारे लगाते हुए दिखते हैं. इसके बाद वो तुरंत पुलिस के सामने सरेंडर कर देते हैं. टाइम्स नाउ ने बाद में एक रिपोर्ट जारी की जिसके टाइटल का हिंदी अनुवाद है, “अतीक अहमद के हमलावर पत्रकारों के रूप में आए, हमलावरों ने जय श्री राम के नारे लगाए: हत्यारों की पहचान का खुलासा.” हमलावरों ने कथित तौर पर पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि उन्होंने पूर्व सांसद अतीक और उनके भाई की हत्या इसलिए कि ताकि अतीक और अशरफ के गिरोह का सफाया करके वो फ़ेमस हो सकें.

घटना के अलग-अलग फ़ुटेज में नारेबाजी साफ सुनाई देती है. इसके आलावा कई न्यूज़ रिपोर्ट्स में भी नारे लगाए जाने का ज़िक्र है. हिंदुस्तान टाइम्स ने तीनों हमलावरों के बारे मे एक रिपोर्ट में पब्लिश की जिसके टाइटल का हिंदी अनुवाद है, “अतीक अहमद के हत्यारों ने जय श्री राम के नारे लगाए; पहचान: जो हम जानते हैं.” हमलावरों में से एक, लवलेश तिवारी, उसके फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल के मुताबिक, वो बजरंग दल का ज़िला साह प्रमुख है.

एक वीडियो रिपोर्ट में भी हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि जय श्री राम के नारे लगाए गए थे.

ये डिटेल Zee News ने भी रिपोर्ट में बताई थी, और इसका टाइटल है, “अतीक अहमद की हत्या के तुरंत बाद, कैमरे पर लगे जय श्री राम के नारे.” IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, मौके पर मौजूद एक पत्रकार ने बताया, “हमलावरों ने ‘सरेंडर, सरेंडर’ के नारे लगाए और अपने हथियार ज़मीन पर फेंक दिए.”

न्यूज़ रिपोर्ट्स के अलावा, ऐसे कई चश्मदीद गवाह हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि वहां सच में फ़ायरिंग के बाद जय श्री राम के नारे लगाए गए थे. न्यूज़ तक के साथ एक इंटरव्यू में एक चश्मदीद ने बताया, “(उनके पास) प्रेस के आईडी कार्ड थे… उन्होंने 7 राउंड फ़ायरिंग की. अशरफ और अतीक के ज़मीन पर गिरने के बाद पुलिस भाग खड़ी हुई. (हमलावर) गोली चलाने के दौरान “जय श्री राम” के नारे लगा रहे थे…”

प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया के पत्रकार पंकज श्रीवास्तव, जो मौके पर मौजूद थे, गोली लगने से बाल-बाल बच गए. उन्हने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि हमलावरों ने जय श्री राम के नारे लगाए थे.

इस मामले पर बयान के लिए हमने प्रयागराज के पुलिस अधीक्षक से संपर्क किया. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

कुल मिलाकर, सबूत के तौर पर पर्याप्त वीडियोज़, कई ग्राउंड रिपोर्ट्स, और चश्मदीदों के बयान मौजूद हैं, जिनसे पता चलता है कि हमलावरों ने अतीक और अशरफ अहमद को गोली मारने के बाद जय श्री राम के नारे लगाए थे. यानी, नारे न लगाए जाने के दावे झूठे हैं.

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About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.