11 दिसंबर को 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित किए जाने के बाद से एक संदेश सोशल मीडिया के कई प्लेटफ़ॉर्म और व्हाट्सएप पर फैलना शुरू हो गया। दावा किया गया कि लोकप्रिय अमेरिकी न्यूज़ पेपर द न्यूयॉर्क टाइम्स के ‘लेखक’ ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण किया और अपनी टिप्पणी की। पूरा संदेश निम्नानुसार है:
* न्यूयॉर्क टाइम्स समाचार ……। *
* … भारतीय मतदान के पैटर्न से कुछ स्पष्ट सबक हैं *
– भारतीय जनता वित्तीय घाटे को नहीं समझती है और उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह 2.4% या 3.4% है। उन्हें समझ में नहीं आता कि सब्सिडी(subsidies) और फ्रीबीज(Freebees) का मतलब कर्ज होता है और कर्ज का भुगतान एक दिन किसी न किसी को करना पड़ेगा ।
भारतीय जनता को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की दर से भी कोई मतलब नहीं, यह पिछले चार वर्षों से 3.8 से 7.4 हो गया जो अमेरिका, ब्रिटेन, जापान से अधिक है …….
– भारतीय जनता हमेशा शिकायत करेगी। अगर प्याज या तूर दाल की कीमत के बारे में नहीं तो पेट्रोल या डीजल के बारे में होगा। उन्हें सब कुछ सस्ता चाहिए लेकिन साथ ही किसानों को भी अच्छी कीमत मिलनी चाहिए ।
– भारतीय जनता से पुरानी आदतों को बदलने के लिए मत कहिये । यह सब कुछ बदलना सरकार का काम है ।
– भारतीय जनता को दीर्घकालिक मुद्दों को ठीक करने में कोई मतलब नहीं है। वे आज का ही सोचेंगे, आज का ही नहीं बल्कि अभी का ।
– भारतीय जनता की कमजोर याददाश्त है और संकीर्ण सोच है। वे अतीत को आसानी से भूल जाते हैं और माफ कर देते हैं।
– वे जाति के अनुसार ही वोट करते है …। जातिवाद भारतीय राजनीति का मुख्य दुश्मन है जो भारतीय युवाओं को विकास से दूर रखता है … भारत में पाक और चीन अपने मूल लोगों की मदद से जातिवाद को भडावा देते है क्योंकि दोनों खुले बाजार के लिए भारत पर निर्भर करते हैं .. जीडीपी (GDP) … ..
पिछले पांच सालों की तुलना में भारतीय रक्षा प्रणाली अधिक मजबूत हुई है और पाक और खाड़ी देश भारत पर शासन करने में सक्षम नहीं हैं … भारतीय प्रणाली को नष्ट करने के लिए ये देश अरबों में वित्त पोषण देते है और केवल मोदी उनके खिलाफ लड़ रहे हैं …… लेकिन भारतीय यह नहीं जानते।…. ..
यदि श्री मोदी अगले 5 महीने तक दीर्घकालिक समस्याओं को ठीक करना जारी रखते हैं, तो वो 2019 में हार जायेंगे। एक मृत सैनिक देश के लिए कुछ भी नहीं कर सकता है। उन्हें अगले 5 सालों की वापसी के लिए जीना चाहिए। अब उन्हें अगले 5 महीने के लिए राजनेता बन जाना चाहिए। यदि जनता सस्ता पेट्रोल और डीजल चाहता है तो उन्हें दे। अगर किसान ऋण छूट चाहते हैं, तो उन्हें दे दो,
उन्हें सबका साथ सबका विकास के बारे में नहीं पता है
हम सलाह देते हैं कि श्री मोदी राजनेता से 5 महीने की छुट्टी ले और राजनीतिज्ञ की तरह काम करे। 2019 के बाद दुबारा राजनेता बन जाये क्युकि भारत केवल राजनेता मोदी के अधीन ही आगे बढ़ सकता है राजनीतिज्ञ मोदी के अधीन नहीं। (अनुवादित)
– न्यूयॉर्क टाइम्स लेखक द्वारा
इस संदेश का मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के लिए सहानुभूति का लहर पैदा करना था। यह भारतीय नागरिकों को उनकी “em>कमजोर याददाश्त और संकीर्ण सोच” रखने की निंदा करता है और उन्हें “दीर्घकालिक मुद्दों की जरुरत” को पहचानने और ठीक करने में नाकामयाब बताता है, जो प्रधानमंत्री मोदी सफलतापूर्वक कर रहे हैं।
रेणुका जैन जिन्हे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ट्विटर पर फॉलो किया जाता है, ने भी 14 दिसंबर को अपने फेसबुक पेज पर यह संदेश पोस्ट किया था।
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने भी इस संदेश को अपनी पेज और ग्रुप्स पर पोस्ट किया है।
इन सभी पोस्ट में यूजर्स का एक समान सन्देश से लगता है कि इसे व्हाट्सएप पर पोस्ट किया गया होगा जहां से इसे भारी मात्रा में अलग अलग जगह शेयर किया गया है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस तरह का कोई लेख नहीं लिखा
इस लेख को जिसे न्यूयॉर्क टाइम्स का हवाला देके शेयर किया जा रहा है उसपर किसी लेखक का कोई नाम नहीं लिखा है बल्कि यह स्पेलिंग और व्याकरण संबंधी त्रुटियों से भरा हुआ है। उदाहरण के लिए,‘increased‘ की स्पेलिंग ‘increasesed‘, लिखी है, ‘their‘ की ‘thier‘, ‘promote‘ की ‘pramote‘ लिखी है, और इसी तरह कई गलतिया है इस लेख में। यह आसान सा संकेत था कि संभवतः एक झूठा संदेश वायरल किया जा रहा है।
ऑल्ट न्यूज ने द न्यूयॉर्क टाइम्स पर इस लेख को खोजा और पाया कि वायरल सन्देश जैसा कोई लेख मौजूद नहीं है। वेबसाइट पर ‘नरेंद्र मोदी’ शब्दों के साथ सर्च करने पर पता चला कि प्रधानमंत्री मोदी के बारे में सबसे ताज़ा लेख 11 दिसंबर का है, जिस दिन विधानसभा चुनावों के नतीजे घोषित हुए थे। इस लेख का शीर्षक था ‘मोदी की पार्टी का भारत के’ सेमीफाइनल माने जाने वाले ‘चुनावों में हार हुई (Modi’s Party Is Trounced in India’s ‘Semifinal’ Elections), वायरल संदेश में जो लिखा है वह इस लेख से दूर दूर तक मेल नहीं खाते हैं। इसके बजाए, इस लेख में किसानों की पीड़ा, मुद्रास्फीति दर और गाय मुद्दे को हार के मुख्य कारणों के रूप में लिखा गया है।
प्रधानमंत्री मोदी का गुणगान वाले ऐसे झूठे लेख का लिखा जाना कोई नयी घटना नहीं हैं। इससे पहले भी ऑल्ट न्यूज़ ने एक नौकरशाह के लिखे लेख का पर्दाफाश किया था जिसमे पीएम मोदी का एक दिन में 18-20 घंटे काम करने का गुणगान किया गया था। ऑल्ट न्यूज़ ने हाल ही में लिखे एक अन्य लेख का भी पर्दाफाष किया था जिसमे अर्नब गोस्वामी द्वारा पीएम मोदी की प्रशंसा करने वाला एक झूठा भावनात्मक पोस्ट वायरल हुआ था। इस तरह के संदेश वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध न्यूज़ प्रकाशन के जरिये जैसे न्यूयॉर्क टाइम्स के नाम का इस्तेमाल करके झूठे दावों को जनता के बीच विश्वसनीयता दिखाकर पेश करना गलत प्रयास है।
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