जम्मू में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा कटरा से लेकर वैष्णो देवी के मंदिर तक प्रस्तावित रोपवे को लेकर घोड़ा, पिट्ठू और पालकी वाले समेत स्थानीय दुकानदार, व्यापारी ने भी विरोध प्रदर्शन किया है. एक तरफ घोड़ा, पिट्ठू और पालकी वालों का मानना है कि रोपवे बनने से लोग उनकी सवारी का इस्तेमाल नहीं करेंगे जिससे उनका जीवन और व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा, वहीं दूसरी तरफ रास्ते में पड़ने वाले दुकानदारों का कहना है कि जब लोग रोपवे के ज़रिए यात्रा करेंगे तो उनकी दुकानें नहीं चलेंगी और उनका व्यापार ठप हो जाएगा. श्राइनबोर्ड के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया जिसमें प्रदर्शनकारियों द्वारा पत्थरबाजी भी की गई. इसमें पुलिस के जवान भी घायल हुए थे.
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस खबर को सांप्रदायिक एंगल देते हुए दावा किया कि मुसलमानों ने वैष्णोदेवी में पुलिस पर पत्थरबाजी कर हमला किया. क्योंकि रोपवे बन जाने के बाद वो घोड़े, पिट्ठू और पालकी के जरिए तीर्थयात्रियों से ज्यादा पैसे नहीं वसूल बाएंगे.
The Squind नाम के यूज़र ने विरोध प्रदर्शन से जुड़ा वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि 2 किलोमीटर की सवारी के लिए ज़्यादा पैसे ऐंठने वाले मुसलमान पत्थरबाज़ी कर रहे हैं. रोपवे बन जाने के बाद वो तीर्थयात्रियों से ज़्यादा पैसे लेकर उनका शोषण नहीं कर पाएँगे.
Muslims who earn by overcharging for a 2 KM ride are pelting stones.
Once the Ropeway is built, they won’t be able to milk the pilgrims by overcharging them.
pic.twitter.com/HrxuZBZJBY— Squint Neon (@TheSquind) November 25, 2024
‘गोपी के’ नाम के यूजर ने भी वीडियो ट्वीट करते हुए इसे सांप्रदायिक एंगल दिया और पुलिस पर हमला करने वालों को मुसलमान बताया.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि वायरल वीडियो ANI द्वारा ट्वीट किया गया था जिसके कैप्शन में लिखा था कि कटरा में माता वैष्णो देवी रोपवे परियोजना के खिलाफ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस थ्रेड के अगले ट्वीट में, ANI ने अन्य वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि टट्टू और पालकी वालों ने कटरा में माता वैष्णो देवी रोपवे परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इस खबर में कहीं भी सांप्रदायिक ऐंगल नहीं है और ना ही पत्थरबाजी करने वाले प्रदर्शनकारियों को मुसलमान बताया गया है.
#WATCH | Pony and palanquin owners hold protest against the Mata Vaishno Devi ropeway project, in Katra pic.twitter.com/cyMMuqMfmG
— ANI (@ANI) November 25, 2024
इस मामले से जुड़े की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें दैनिक जागरण का एक आर्टिकल मिला जिसके मुताबिक, मजदूर यूनियन के प्रधान भूपेंद्र सिंह जमवाल की अध्यक्षता में मां वैष्णो देवी मार्ग पर घोड़ा पिट्ठू और पालकी के रूप में कार्य करने वाले सैकड़ों मजदूर कटरा के मुख्य बस अड्डे पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे, उसी वक्त सीआरपीएफ जवान की गाड़ी वहां से गुजर रही थी जिसपर आक्रोशित प्रदर्शनकारी पत्थरबाजी करने लगे. इस खबर में भी कहीं भी सांप्रदायिक एंगल नहीं है और प्रदर्शन का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता हिन्दू हैं.
हमने इस मामले को लेकर भूपेंद्र सिंह जमवाल से बात की, उन्होंने हमें बताया कि इस मामले में कोई हिन्दू-मुस्लिम जैसा एंगल नहीं है. घोडा, पिट्ठू चलाने वालों में हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के भी लोग शामिल हैं जो इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे. ये विरोध प्रदर्शन किसी एक धर्म के लोगों का नहीं था. इसके साथ ही उन्होंने हिंसक झड़प होने के मामले में बताया कि जब मजदूर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे तब वहां पुलिस की गाड़ी आयी जिससे वहां भ्रम की स्थिति बन गई और मजदूरों को लगा कि वो उन्हें पीटने आए थे और इस गलतफहमी की वजह से वहां पत्थरबाजी जैसी घटना हुई. हालांकि, उन्होंने कहा कि वो पत्थरबाजी करने वालों का समर्थन नहीं करते और पुलिस उन्हें चिन्हित करके गिरफ्तार करें.
हमें ‘बिजनेस स्टैन्डर्ड’ पर 27 नवंबर को पब्लिश्ड एक रिपोर्ट मिली जिसमें बताया गया है कि 25 नवंबर को हुई पत्थरबाजी की घटना के अगले दिन 26 नवंबर को पुलिस ने इस मामले में 8 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की. पुलिस ने 25 नवंबर को हुए प्रदर्शन के दौरान, लोगों को उकसाने और हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए भूपिंदर सिंह जामवाल, सोहन चंद और मकबूल सहित अन्य लोगों पर एफआईआर दर्ज करवायी थी जिसमें पुलिस पर हमले और ईंट, पत्थर और हथियार का इस्तेमाल कर पुलिसकर्मियों को नुकसान पहुंचाने का भी प्रयास का आरोप लगाया गया है. इसके बाद कटरा में हुए अन्य विरोध प्रदर्शन में मजदूरों और दुकानदारों के दो प्रतिनिधि भूपिंदर सिंह और सोहन चंद को पुलिस ने हिरासत में लिया.
कटरा में प्रस्तावित रोपवे का विरोध कर रहे स्थानीय नेताओं से हमने बात की. नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने बताया कि इस मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. उन्होंने कहा कि सभी व्यापारी इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं. टट्टू और पालकी चलाने वालों में हिंदू और मुस्लिम लोग शामिल हैं. टट्टू और पालकी चलाने वाले मुसलमान भी रियासी ज़िले के रहने वाले हैं, हालांकि मंदिर के रास्ते में बाकी व्यापार में उनकी भागीदारी ना के बराबर है. इस मामले को लेकर FIR दर्ज की गई है, पुलिस प्रदर्शनकारियों में से पत्थरबाजी करने वाले लोगों की पहचान कर रही है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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