12 फ़रवरी को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले के सुती इलाके में कथित तौर पर तोड़फोड़ की घटना की ख़बर आई. रिपोर्ट के अनुसार, एक स्कूल में प्रधानाध्यापक ने छात्राओं को हिजाब/बुर्का पहनकर स्कूल आने से मना कर दिया था जिसके बाद ये घटना हुई.

ये भेदभाव वाली पॉलिसी कर्नाटक से शुरू हुई थी जहां कई शिक्षण संस्थानों में छात्रों को हिजाब/बुर्का पहनकर परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया. मामला अभी कर्नाटक हाई कोर्ट में चल रहा है लेकिन ये मुद्दा अब देश के दूसरे राज्यों में भी फैल गया है.

पश्चिम बंगाल के बीजेपी विधायक सुकांत मजूमदार, बीजेपी दिल्ली वीपी सुनील यादव और बीजेपी यूपी के प्रवक्ता प्रशांत पटेल उमराव ने दावा किया कि मुर्शिदाबाद में जिस स्कूल में छात्राओं को हिजाब पहनकर परिसर में प्रवेश करने पर रोक लगाई गई थी वहां प्रदर्शनकारियों ने बम फेंके.

नेटवर्क18 के संपादक अमन चोपड़ा और एबीपी न्यूज के संपादक मनोग्या लोईवाल ने भी इस दावे को बढ़ावा दिया.

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भाजपा समर्थक प्रोपेगंडा आउटलेट ऑप इंडिया ने एक आर्टिकल में भी ऐसा दावा किया. ऑप इंडिया ने इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है, लेकिन इंडिया टुडे की रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया है कि मुर्शिदाबाद में विरोध प्रदर्शन के दौरान बम फेंके गए थे.

ग्राउंड रिपोर्ट कुछ और ही कहते हैं

हमने अंग्रेजी और बांग्ला दोनों में अलग-अलग न्यूज़ रिपोर्ट्स चेक किये और मालूम चला कि स्कूल में बम फेंके जाने की ऐसी कोई रिपोर्ट मौजूद नहीं थी.

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ऑल्ट न्यूज़ ने विरोध के दौरान मौजूद एक स्थानीय पत्रकार से संपर्क किया. रिपोर्टर ने भी ये बताया कि स्कूल में कोई बम नहीं फेंका गया था. रिपोर्टर ने कहा कि प्रधानाध्यापक ने शुक्रवार को कुछ लड़कियों को स्कूल में हिजाब/बुर्का नहीं पहनने के लिए कहा और अगले दिन छात्राओं के अभिभावकों सहित स्थानीय लोग स्कूल के आसपास जमा हो गए. स्थिति जल्द ही गंभीर हो गई और लोगों ने स्कूल की बिल्डिंग में तोड़फोड़ शुरू कर दी. पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया और मांग की कि हेडमास्टर को उन्हें सौंप दिया जाए. पुलिस ने जवाब में आंसू गैस छोड़े और थोड़ा लाठीचार्ज किया. बाद में स्थिति को नियंत्रण में लाया गया और 17-18 लोगों को ग़िरफ्तार किया गया.

हमने सुती ब्लॉक 1 BDO (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर) HM रियाजुल हक से भी बात की. उन्होंने हमें बताया कि बम फेंकने की ख़बरें सच नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वो हिंसा के दौरान प्रधानाध्यापक को बचा रहे थे और दूसरे स्टाफ़ सदस्यों को स्थानीय पुलिस सुरक्षा दे रही थी. हालांकि, स्कूल पर पत्थर/ईंट फेंके गए लेकिन बम नहीं फेंका गया था. पुलिस ने 18 लोगों को ग़िरफ्तार किया है. उन्होंने ये भी बताया कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन लगाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने कोई निर्देश नहीं दिया था, प्रधानाध्यापक ने अपने हिसाब से घोषणा की थी. उन्होंने आगे कहा, उच्च प्रशासन को एक रिपोर्ट भेजी जाएगी जिसके आधार पर प्रधानाध्यापक के संबंध में निर्णय लिया जाएगा.

इस तरह, मुर्शिदाबाद के एक स्कूल में बम फेंके जाने के दावे, ग्राउंड रिपोर्ट और स्थानीय प्रशासन के बयान से बिल्कुल अलग है. हालांकि स्कूल में तोड़फोड़ की गई और स्थानीय लोगों ने पथराव किया, लेकिन हिंसा में किसी बम का इस्तेमाल नहीं किया गया था.

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